मुंबई: शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के गृहनिर्माण राज्यमंत्री रविंद्र वायकर की मुश्किलों में इजाफ़ा होता दिखा रहा है। वायकर के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुंबई कांग्रेस ने महाराष्ट्र के लोकायुक्त के पास उनकी शिकायत की है।
रविंद्र वायकर शिवसेना के नेता हैं। वे मुम्बई के जोगेश्वरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने हैं। उनके क्षेत्र में आरे कॉलोनी बसी हुई है। आरे – राज्य सरकार का दूध उत्पादन और पशु संवर्धन प्रोजेक्ट है। इसलिए मुम्बई के उत्तरी उपनगरों में कई सौ एकड़ जमीन सरकार के कब्जे में है। यह शहर का हरित क्षेत्र भी है जिस से महानगरी मुम्बई को ऑक्सीजन की आपूर्ती होती है।
कांग्रेस का आरोप है कि वायकर ने इस हरित क्षेत्र में 20 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा बनाया हुआ है। साथ ही आदिवासियों के नाम पर शिवसेना मंत्री वायकर ने वहां सौनाबाथ और जैकुजी से संपन्न एक हेल्थ सेंटर बनाया। जिसकी जिम्मेदारी एक ऐसी संस्था को दिलाई जिस में मंत्री की पत्नी सहभागी हैं। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि संस्था चैरिटी कमिश्नर के पास रजिस्टर्ड नहीं है। इस हेल्थ सेंटर के लिए सरकारी तिजोरी से 27 लाख रुपये खर्च करने की बात भी कांग्रेस ने कही है।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सांसद संजय निरुपम ने अपने इन आरोपों की सूची महाराष्ट्र के लोकायुक्त एम एल ताहिलियानी को सुपूर्द की। सोमवार को मुंबई में उन्होंने प्रतिनिधि मंडल समेत लोकायुक्त से मुलाक़ात कर शिकायत पर जांच की मांग की। जिसके बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया कि उनकी शिकायत पर मंत्री वायकर को हफ्तेभर में जवाब देने को कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले सोमवार से मामले पर सुनवाई के लिए भी शिकायतकर्ताओं को आश्वस्त किया गया है।
मुम्बई कांग्रेस अध्यक्ष निरुपम इससे पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को ख़त लिखकर रविंद्र वायकर को मंत्री परिषद से बर्खास्त करने की मांग भी कर चुके हैं।
उधर आरोपों का सिलसिला शुरू हुए हफ़्ता बीत चुका है लेकिन रविंद्र वायकर अज्ञात जगह पर बने हुए हैं। खुद को मुम्बई से दूर होने का हवाला देते हुए व्हाट्सऐप वीडियो जारी कर वायकर ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद और ग़लत सूचना के आधार पर रचित बताया है।
भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लोकायुक्त ने मांगा शिवसेना के मंत्री से जवाब
देहरादून पुलिस नशे के सौदागरों पर कसेगी शिकंजा
युवाओं की नसों में नशे का जहर कौन पहुंचा रहा है। मैदान से लेकर पहाड़ तक नशे की खेप पहुंचाने के रूट कौन से हैं। नशे के सौदागरों का नेटवर्क किससे जुड़ा है।
पंजाब की तरह यहां भी इस खेल में बड़े सफेदपोश तो शामिल नहीं…. इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए प्रदेश में पहली बार पुलिस एक व्यापक स्टडी रिपोर्ट तैयार कर रही है। यह स्टडी डीजीपी एमए गणपति की पहल पर शुरू हुई है। डीजीपी का मानना है कि अध्ययन पूरा कर पड़ोसी राज्यों पंजाब, हिमाचल हरियाणा और यूपी से मिलकर नशे के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। गणपति का मानना है कि उनके पास टुकड़ों में पहुंच रही सूचनाएं चौंकाने वाली हैं। यदि अब ठोस कदम नहीं उठाए गए तो उत्तराखंड में पंजाब जैसे हालात बन जाएंगे।
नशे के खिलाफ अब तक बातें तो खूब हुई, लेकिन किसी सरकार ने नशाखोरी को रोकने के साथ बड़े सौदागरों तक पहुंचने की ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं हुई। स्पेशल टास्क फोर्स और पुलिस की कार्रवाई भी नशा पहुंचाने वाले बिचौलियों तक समिति रही है। डीजीपी एमए गणपति नशे के कारोबार को लेकर सार्वजनिक रूप से चिंता जता चुके हैं। इसी कड़ी में काम्युनिटी पुलिसिंग के जरिये खासतौर से देहरादून में 11 जुलाई को नशे के खिलाफ मुहिम शुरू हो रही है।
डीजीपी का मानना है कि मौजूदा समय में पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती कमजोर कड़ियों को जोड़ने की है। युवाओं तक पहुंचने वाले मिडिल मैन तक तो पुलिस पहुंच रही है, लेकिन खेप कहां से सप्लाई की जाती है। सप्लायर का यहां कितना बड़ा गठजोड़ है और उसमें कौन लोग जुड़े हैं यह पता लगाना सबसे जरूरी है। पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले हर सौदागर की अब कुंडली तैयार होगी।
नशा के कारोबार पर अध्ययन रिपोर्ट बनाने के लिए पूरा खाका तैयार किया गया है। नशाखोरी किन-किन क्षेत्रों में ज्यादा है और कौन-कौन से मादक पदार्थों की खपत होती है। नशा बढ़ने की वजह क्या है।
अब तक कितने लोग इस गोरखधंधे में पकड़े गए हैं और फिलहाल वे क्या कर रहे हैं। उन्हें किन प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त है। क्या पुलिस स्तर पर किसी तरह की सांठगांठ है। खासतौर से कहां-कहां से नशीले पदार्थों की सप्लाई होती है और कौन बड़े नाम हैं। स्टडी के दौरान इन सभी बिंदुओं पर काम किया जाएगा।
रिपोर्ट तैयार होने के बाद नशे के बड़े सौदागरों पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू होगी। डीजीपी की मानें तो सौदागरों पर कार्रवाई के साथ जागरूकता भी जरूरी है। युवाओं और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम करने के साथ नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय बनाकर कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि नशा कारोबार के तार उत्तराखंड के अलावा यूपी, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल से जुडे़ हैं।
बिजली की आंखमिचौली से दून की जनता बेहाल
देहरादून के बीचों बीच स्थित परेड ग्राउंड सबस्टेशन की बिजली लाइनों में बारिश से आई खराबी के चलते इस सबस्टेशन से जुड़े इलाकों में करीब एक घंटे तक बिजली गुल रही। पावर कारपोरेशन के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने खासी मशक्कत के बाद इन लाइनों को दुरुस्त कर बिजली व्यवस्था सुचारु कराई।
सोमवार को भारी उमस के बीच कई जगह बिजली की आंखमिचौली और लो वोल्टेज की समस्या ने लोगों को खासा परेशान किया। परेड ग्राउंड सब स्टेशन की 33 केवी लाइन दोपहर करीब 2.23 बजे बारिश के चलते ब्रेकडाउन हो गई। इसके चलते इस सबस्टेशन से जुड़े परेड ग्राउंड और एस्लेहॉल, कनक चौक, सर्वे चौक, लैंसडौन चौक, तिब्बती बाजार, सुभाष रोड, कान्वेंट रोड समेत कई इलाकों की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई।
सूचना पर पहुंचे इंजीनियरों और फील्ड स्टाफ ने खासी मशक्कत के बाद एक घंटे बाद आपूर्ति सुचारु कराई। इसके अलावा नेहरू कालोनी, रिस्पना नगर, प्रगति विहार, हरिद्वार बाईपास, शास्त्रीनगर, अजबपुर कलां, कारगी चौक, शिवालिक एनक्लेव, आदर्श विहार, सरस्वती विहार, मोहब्बेवाला, शिमला बाइपास, क्लेमनटाउन, टर्नर रोड, सुभाषनगर आदि क्षेत्रों में भी बिजली की आंखमिचौली से लोग परेशान रहे। उधर देहराखास समेत कई इलाकों में वोल्टेज कम ज्यादा की शिकायत बनी हुई है।
पावर कारपोरेशन के डाइरेक्टर (एचआर) एवं प्रवक्ता पीसी ध्यानी ने बताया कि विद्युत उपभोक्ता बिजली संबंधी किसी भी जानकारी या समस्या की शिकायत के लिए कारपोरेशन के कस्टमर केयर टोल फ्री नंबर 18004190405 पर संपर्क कर सकते हैं। उपभोक्ता विद्युत बिल का भुगतान उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड की वेबसाइट www.upcl.org पर आनलाइन भी कर सकते हैं।
निकायों के 1000 कर्मचारियों के नियमितीकरण पर फैसला आज
उत्तराखंड के विकास एवं अन्य मुद्दों से जुड़े तमाम प्रस्तावों पर विचार-विमर्श और सहमति देने के मकसद से मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है।
इसमें मुख्य तौर पर निकायों के एक हजार कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके अलावा श्रीनगर में जागर महाविद्यालय को खोलने की सहमति भी बैठक में बनने की पूरी उम्मीद है। इसके अतिरिक्त पर्यटन एवं राज्य कर्मचारी कल्याण नियम की नियमावली से संबंधित प्रस्ताव भी कैबिनेट की बैठक में आएंगे।
मंगलवार को दिन में साढ़े ग्यारह बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। सूत्रों के मुताबिक इसमें सबसे अहम प्रस्ताव शहरी विकास विभाग की ओर से करीब एक हजार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नियमित करने संबंधी है। शहरी विकास विभाग से संबंधित विभिन्न नगर निकायों के अध्यक्षों ने मनमाने तरीके से समूह ग और घ के करीब एक हजार कर्मचारियों की नियुक्ति कर ली है।
ऐसे में तमाम दौर की चर्चाओं के बाद इन कर्मचारियों विनियमितीकरण नियमावली-2013 के तहत नियमित करने का प्रस्ताव है। गौरतलब है कि इन एक हजार कर्मचारियों में अकेले चतुर्थ श्रेणी के 856 कर्मचारी हैं।
शहरी विकास विभाग ने इन सभी पदों को नियमित करने संबंधी प्रस्ताव गोपन को भेजा है। वहीं श्रीनगर में जागर महाविद्यालय खोले जाने की मांग पर कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था।
उत्तराखंडी परंपरा के तहत जागर एक तरह के लोकगीत हैं, जिनकी धार्मिक महत्ता होती है। विभिन्न मौकों पर ये लोकगीत गाए जाते हैं।
राज्य की इस परंपरा को बढ़ावा देने के मकसद से इस संबंध में भी एक प्रस्ताव संस्कृति विभाग की ओर से जागर महाविद्यालय खोलने जाने संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त कई अन्य विभागों के महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी बैठक में रखे जाएंगे।
यूपी में गुंडे, माफिया और अपराधियों का आतंक: मायावती
यूपी की जनता सवा चार साल में त्रस्त हो चुकी है। यहां गुंडे, माफियाओं और आपराधियों का आतंक है। बदमाश पुलिसकर्मियों को मार रहे हैं और सरकार कुछ पैसे देकर अपने आपको जिम्मेदारी से मुक्त मान लेती है। ये बातें बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में कहीं।
मायावती ने कहा कि यूपी में पुलिस भी अपराधियों से डर रही है। सरकारी कर्मचारी यहां सबसे ज्यादा असुरक्षित है। बसपा सुप्रीमो ने मुख्तार की पार्टी के सपा के विलय की बात भी उठाई। उन्होंने कहा, विलय रद्द करना नाटक है। उन्होंने कहा कि दागियों को मंत्री बनाने से सपा का फायदा नहीं होगा।
मायावती ने आरोप लगाया कि सपा मुखिया की वजह से ही यूपी में गंभीर अपराध होते हैं। उन्होंने कहा कि सपा जातिवादी, क्षेत्रवादी मानसिकता की है, यूपी में विकास रुक गया है। मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा दादरी, मथुरा और कैरानी सपा-बीजेपी की देन है।
मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव देखते ही मोदी जनता से झूठे वादे करने लगे। 2014 में बीजेपी ने जो वादे किए थे उनका क्या हुआ। यूपी के लोगों को आज भी अच्छे दिनों का इंतजार है। उन्होंने सवाल उठाया कि दो साल में बीजेपी ने कितनी गरीबी दूर की?
मायावती ने कहा कि बीजेपी से बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, दिल्ली में केंद्र के अधीन लॉ एंड ऑर्डर फेल है। मायावती ने ये भी कहा कि यूपी की अपेक्षा दिल्ली की आबादी कम है फिर भी दिल्ली में कानून व्यवस्था फेल है। मायावती ने कहा कि बीएसपी में टिकट के लिए दूसरी पार्टियों में भगदड़ मची है।
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में 2017 तक शामिल हो जाएगा तेजस
नई दिल्ली: देश में बने पहले लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट यानी तेजस के इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गई हैं। दो विमानों का इसका पहला बेड़ा एक जुलाई को बेंगलुरु में तैयार हो जाएगा। इस बेड़े का नाम रखा गया है फ्लांइग ड्रैगर।
शुरू के दो साल बेंगलुरु में रहने के बाद ये स्क्ावड्रन तमिलनाडु के सलूर चला जाएगा। वायुसेना की योजना अगले साल मार्च तक इसके बेड़े में छह तेजस शामिल करने की है। इसके बाद आठ और तेजस बेड़े में शामिल किये जाएंगे। इसके बाद ही तेजस को किसी फॉरवर्ड एरिया में तैनात किया जाएगा।
एक इंजन वाले इस लड़ाकू विमान की तुलना चीन और पाकिस्तान द्वारा मिलकर तैयार किये गए जेएफ-17 से की जाती है। वायुसेना की मानें तो ये विमान जेएफ-17 से कही ज्यादा बेहतर है । धीरे-धीरे तेजस वायुसेना से पुराने पड़ चुके मिग-21 को रिप्लेस कर देगा। मिग-21 का इस्तेमाल हवा से हवा और जमीनी हमले के लिये किया जाता है।
अपग्रेड तेजस वायुसेना के हर तरह के रोल में फिट होगा जिसकी कीमत करीब 250 से 300 करोड़ होगी। वायुसेना ने तेजस बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 120 विमानों का ऑर्डर दिया है।
गो-मूत्र से निकला सोना, गुजरात के वैज्ञानिक ने किया दावा
गुजरात के जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर डॉ. बीए गोलकिया ने गोमूत्र से सोना निकालने का दावा किया है। चार सालों की रिसर्च के बाद डॉ. बीए गोलकिया ने गुजरात में पायी जाने वाली प्रसिद्ध गिर नस्ल की गायों के मूत्र से सोना निकालने का दावा किया है।
टाइम्स आफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलाजी विभाग के अध्यक्ष डाॅ.गोलकिया ने अपने चार सालों की रिसर्च के दौरान गिर नस्ल की 400 से अधिक गायों के मूत्र की लगातार जांच करने के बाद उन्होंने एक लीटर गोमूत्र से 3 मिलीग्राम से 10 मिलीग्राम तक सोना निकालने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह धातु आयन के रूप में पाया गया और यह पानी में घुलनशील है।
गोमूत्र परीक्षण के लिए डाॅ.गोलकिया और उनकी टीम ने क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री विधि का इस्तेमाल किया था। डॉ. गोलकिया ने कहा ‘अभी तक हम प्राचीन ग्रंथों में ही गो-मूत्र में स्वर्ण पाए जाने की बात सुनते थे, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं था। हम लोगों ने इस पर शोध करने का फैसला किया। हमने गिर नस्ल की 400 गायों के मूत्र का परीक्षण किया और हमने उसमें सोने को खोज निकाला।’
उन्होंने कहा कि गोमूत्र से सोना सिर्फ रसायनिक प्रक्रिया के जरिए ही निकाला जा सकता है। डाॅ. गोलकिया ने कहा कि शोध के दौरान हमने गाय के अलावा, भैंस, ऊंट, भेड़ों के मूत्र का भी परीक्षण किया था लेकिन किसी में सोना नहीं मिला। इसके अलावा शोध में यह भी पाया गया है कि गो-मूत्र में 388 ऐसे औषधीय गुण होते है जिससे कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
डॉ. गोलकिया की टीम अब भारत में पाए जाने वाली अन्य देसी गायों के गो-मूत्र पर शोध करेगी।
भारत की NSG के सदस्यता के खिलाफ पाक ने लिखा था 17 देशों को खत
इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता मिलने से रोकने के लिए गहन कूटनीतिक प्रयास किया था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसके लिए 17 प्रधानमंत्रियों को निजी तौर पर पत्र भी लिखा था.
पाकिस्तान के विदेशी मामलों के शीर्ष सलाहकार सरताज अजीज ने सोमवार को यह कहा. अजीज ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय में मीडिया से कहा, “प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस मामले में विभिन्न देशों के 17 प्रधानमंत्रियों को निजी तौर पर पत्र भी लिखे थे, जो कि रिकॉर्ड में है.”
पिछले सप्ताह भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में नाकाम रहा था. चीन के नेतृत्व में कई सदस्य देशों ने एनएसजी में प्रवेश के लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) की शर्त पूरी करने पर जोर दिया था.
अजीज का यह बयान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया के बयान के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अन्य देशों का समर्थन मांग रहा है. उन्होंने साथ ही भारत के खिलाफ पाकिस्तान की गुटबाजी के दावों का खंडन भी किया था.
पाकिस्तान के विपक्ष ने संसद सदस्यता के लिए शरीफ को अयोग्य ठहराने की मांग की
इस्लामाबाद: अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करने पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके चार रिश्तेदारों को नेशनल एसेंबली की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सोमवार को एक याचिका दायर की।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सरदार लतीफ खोसा और फैसल करीम कुंडी ने यह मांग करते हुए चुनाव आयोग में याचिका दायर कर मांग की गई कि शरीफ के साथ ही उनके छोटे भाई और पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ, वित्त मंत्री इशाक डार, शरीफ के दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) सफदर और भतीजे हमजा शाहबाज को अयोग्य ठहराया जाए।
याचिका में कहा गया है कि वे संसद की सदस्यता के पात्र नहीं है क्योंकि वे भ्रष्टाचार में शामिल हैं और संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत ‘ईमानदार नहीं’ है। याचिका में दावा किया गया है कि शरीफ अपने परिवार के सदस्यों की पूर्ण आय का खुलासा नहीं कर पाए हैं।
एनएसजी सदस्यता पाने की भारत की कोशिश पूरी तरह नाकामयाब नहीं हुई है
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल कर प्रतिष्ठित वैश्विक परमाणु व्यापार का अहम हिस्सा बनने की भारत की कोशिश पूरी तरह से नाकामयाब नहीं हुई है. दक्षिण कोरिया के सियोल में हुई एनएसजी की बैठक में चीन और कम से कम सात दूसरे देशों ने फिर से यह कहकर चिंता जताई थी कि परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत न करने वाले देशों को इस समूह का हिस्सा कैसे बनाया जा सकता है. भारत के वार्ताकारों ने जोर देकर कहा कि ऐसा करना न्यायसंगत है क्योंकि परमाणु अप्रसार के मामले में भारत का रिकॉर्ड बेदाग रहा है. परमाणु कारोबार के नियम-कायदे तय करने वाले एनसजी ने जब 2008 में भारत को विशेष छूट दी थी तो इसका आधार यही बात थी. दुर्भाग्य से इसके बावजूद 48 देशों वाला यह समूह इस मुद्दे पर किसी सहमति पर नहीं पहुंच सका.
लेकिन बैठक के कुछ दिन बाद ही एक अमेरिकी अधिकारी का बयान आया है कि आगे एक ऐसा रास्ता है जिसके जरिये 2016 के आखिर तक भारत एनसजी का पूर्णकालिक सदस्य बन सकता है. इस बीच भारत के लिए एक उत्साहजनक संकेत यह भी है कि इस मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत जारी रखने के लिए एक विशेष दूत नियुक्त किया गया है. अतीत भी बताता है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिश कामयाब हो सकती है. अगस्त 2008 में हुई एनसजी की बैठक के बाद जब उसी साल सितंबर में भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों से कारोबार करने की विशेष छूट दी गई थी तो इसका भी पहले काफी विरोध हुआ था. लेकिन अग्रसक्रिय कूटनीति ने इस विरोध को विफल कर दिया था.
सियोल में नाकामयाब हुआ यह प्रयास एक आत्ममंथन का मौका लेकर भी आया है. भारत को खुद से यह पूछना चाहिए कि इस निरंतर विरोध के बावजूद वह कितनी और राजनीतिक और कूटनीतिक ऊर्जा खर्च करना चाहता है. यह भी कि अपने रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उसके पास क्या वैकल्पिक रास्ते हैं. 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मद्देनजर भारत को जो छूट दी गई थी उसने कई तरह से भारत की मदद की. इसके बाद भारत ने रूस और फ्रांस जैसे देशों के साथ परमाणु रियेक्टरों और ऑस्ट्रेलिया के साथ परमाणु ईंधन की आपूर्ति के लिए समझौते किए. यह सही है कि 2010 से 2013 के बीच एनएसजी के नियमों में जो सुधार हुआ था उसके मुताबिक परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत न करने वाले किसी भी देश के साथ ‘एनरिचमेंट और रीप्रोसेसिंग’ (ईएनआर) के क्षेत्र में कारोबार नहीं किया जाएगा. दूसरे शब्दों में कहें तो भारत और किसी दूसरे एनएसजी सदस्य के साथ ईएनआर कारोबार नहीं हो सकता. यह तर्क दिया जाता है कि भविष्य में भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे प्रावधान न बनें, इसके लिए बेहतर है कि किसी बाहरी याचक के बजाय एक प्रभावशाली सदस्य बना जाए.
फिर भी ईएनआर प्रतिबंध को देखते हुए भारत को क्या एनएसजी में दूसरे दर्जे का नागरिक बनने की जरूरत है? खासकर जब उसके पास इस मामले में विकल्प अपने घर में ही मौजूद हैं? एक तरह से एनएसजी की यह बहस हमें गुटनिरपेक्षता की बुनियादी दिशा की याद दिलाती है. अगर इस अवधारणा को आज भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के लिहाज से देखा जाए तो अपने विशाल ऊर्जा बााजार को देखते हुए हमें परमाणु कारोबार के वैश्विक मंच पर आर्थिक साझेदार तलाशने की दिशा में असुरक्षित महसूस करने की जरूरत नहीं है.