देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने स्वच्छता की रैंक में अव्वल द’र्जा कायम किया है। अब उसी प्र’क्रिया को आगे बढ़ाते हुए शह’र को शोर मु’क्त करने के लिए कवा’यद शुरु कर दी है जिसके साथ शह’र पहला साइ’लेंट सिटी ऑफ इंडिया बनेगा।
इसके लिए प्रशा’सन ने प्लान तैयार कर ला’गू करना भी शुरु कर दिया है। प्लान के तहत शहर के 17 स्थानों को चि’न्हित कर कार्य किया जा रहा है। इस कार्य को आने वाले साल में पूरा करने का ल’क्ष्य रखा गया है। शह’र के साइ’लेंट सिटी बनने से तेज ध्वनि वाले लाउडस्पीकरों समेत डीजे पर भी प्रतिबं’ध लग जाएगा।
इस संबं’ध में कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि, पिछले कुछ सालों से शह’र में ध्वनि प्रदूष’ण काफी तेजी से बढ़ा है जिसके चलते नॉइस पॉल्यूशन की चुनौती से निप’टने के लिए प्लान तैयार किया गया है जिसके तहत प्रदूषण नियंत्र’ण बोर्ड ने शह’र के 17 ऐसे स्थानों को चयनित किया है, जहां पर सबसे ज्यादा हॉर्न बजाने और ध्वनि प्रदूष’ण की सम’स्या पैदा हुई है।
इन स्थानों को नो हॉर्न जोन बनाया गया हैं। इनमें यूनिवर्सिटी, अस्पताल के साथ ही हाईकोर्ट जैसे संवेदनशील स्थान शामिल किए गए हैं। चिह्नित स्थलों में दो सड़कों को भी साइ’लेंट जोन में रखा गया है। इसमें शहर की पहली आदर्श सड़क गिटार चौराहे से साकेत चौराहे तक और पलासिया चौराहे से रीगल तक का मार्ग भी शामिल किया गया है।
इस मार्ग को ट्रैफिक के लिए पहले से ही आदर्श मार्ग घो’षित किया हुआ है। हाईकोर्टट होने के चलते भी ये मार्ग ट्रैफिक के लिए संवेदनशील है। इनन स्थलों के सौ मीटर के दा’यरे में हॉर्न बजाना और तेज ध्वनि यं’त्रों का उपयोग प्रतिबं’धित किया गया है।
इस योजना के तहत नो हॉर्न जोन चिन्हित करने के साथ ही डीजे और तेज आवाज में बजने वाले लाउडस्पीकरों पर प्रतिबं’ध लगाया गया है जिसके लिए डीजे संचालकों और धा’र्मिक आयोजन करने वाली संस्थाओं की लिस्ट तैयार की जा रही है। साथ ही गाड़ियों के तेज हॉर्न की गति पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिए गए हैं।
ध्वनि प्रदूष’ण पर डॉक्टरों का कहना है कि ध्वनि प्रदूष’ण से इंसानों को घा’तक बीमारियां हो सकती है। लगातार तेज़ आवाज़ में रहने से इंसान बह’रा हो सकता है।
इंदौर की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया का कहना है कि “ध्वनि प्रदूष’ण का संब’ध कानों से है और कान सीधे मस्तिष्क से जुड़े होते हैं। इसलिए ध्वनि प्रदूष’ण से घा’तक बीमारियां होने का खत’रा रहता है। इससे न केवल आप बह’रे हो सकते हैं बल्कि याददा’श्त और एकाग्रता में कमी, चिड़’चिड़ापन, अवसाद जैसी बीमारियों के अलावा नपुं’सकता और कैं’सर जैसी जा’नलेवा बीमारियों की च’पेट में भी आ सकते हैं।”