जानें क्यों की भारत के इस पू’र्व क्रिकेटर ने सतना के कि’सान की तारी’फ..

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मध्यप्रदेश के सतना जिले से 12 किलोमीटर दूर पिथौरा’बाद गाँव में रहने वाले बाबूलाल दाहिया कवितायें, कहानी, लेख, मुहावरें, लोक्तियाँ लिखने के बहुत शौ’कीन है। मंगलवार को बाबूलाल दाहिया फिर चर्चा में आ गए जब भारत के पू’र्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्म’ण ने उनकी तारी’फ की।

बाबूलाल दाहिया एक किसान भी है और पिछले साल सरकार ने पद्म’श्री सम्मान से नवाज़ा और अब मशहूर क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्म’ण ने ट्वीट कर उनकी तारी’फ की। वैसे तो यह पेशे से किसान हैं लेकिन उनकी सम’झ और खेती के प्रति सोच और नज़रिया वैज्ञानिक है। अपने खेत में उन्होंने 125 तरह के देसी धा’न के बीज का संग्र’ह कर रखा है। इन बीजों से वो हर साल खेती करते हैं। नयी फसल लेते हैं। अपने इस बीज बैंक से वो दूसरे किसानों को भी बीज उपल’ब्ध कराते हैं।

वीवीएस लक्ष्म’ण ने बाबूलाल की तारीफ करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया “दाहिया पर्यावर’ण को बचाने के लिए असाधार’ण काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेत में चावल की पारंप’रिक 110 वैरायटी की खेती की वो भी रासा’यनिक खाद का उप’योग किए बिना।”

बता दें कि बाबूलाल के पास 8 एक’ड़ जमीन है जिसमें वह जैविक खेती करते हैं। दाहिया डा’क विभाग में पोस्ट मास्टर के पद से रिटायर हुए हैं। वे लोकगीत व लोक संस्कृ’ति के साथ लोक अन्न भी सहेजकर रखते हैं। उनके पास अब देशी धा’न की 110 किस्मों का खजाना है, वे हर साल इन्हें अपने ही खेत में बोते हैं और उनका अध्य’यन करते हैं।

2015 में सिर्फ 400 मिमी बारिश हुई और सू’खे से फसलें बर्बा’द हो गई पर दाहि‍या के खेत में लगी 30 किस्मों पर सूखे का कोई असर नहीं हुआ। उनकी पैदावा’र हर साल की तरह ही रही, इससे आसपास के किसान उनके लोक’विज्ञान से खासे प्रभा’वित हुए। अब 30 गांवों के किसान उनके साथ मिलकर धान और मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं।

बाबूलाल को प्रदेश और केंद्र सरकार कई सम्मान दे चुकी है। पिछले साल उन्हें जैव विवि’धता के लिए पद्म’श्री सम्मान दिया गया था। इससे पहले शिवराज सरकार ने प्रदेश के कृषि कर्म’ण्य किसान का सम्मान देने की घोष’णा की थी। लेकिन बाबूलाल ने प्रदेश में किसान आत्म’हत्या का हवा’ला देते हुए वो सम्मान लेने से इन’कार कर दिया था।