उत्तर प्रदेश में अब सरकारी ख़ज़ाने से नहीं होगा मंत्रियों के आयकर बिलों का भुगतान

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उत्तर प्रदेश में लगभग 4 दशक पुराना एक क़ानून मंत्रियों के आयकर का भुगतान राजकोष से सुनिश्चित करता था। ‘उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन भत्ते एवं विविध कानून 198’ तब बना था जब विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के सहयोगी रहे कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि क़ानून पारित होते समय मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विधानसभा में तर्क दिया था कि राज्य सरकार को ही आयकर का भुगतान करना चाहिए, क्योंकि अधिकतर मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं, और उनकी आय बहुत कम है। इस क़ानून की वजह से अब तक 19 मुख्यमंत्रियों और लगभग 1000 मंत्रियों को फायदा पहुंचा है.

राज्यसभा के 2012 के चुनाव के समय दाख़िल हलफ़नामे के मुताबिक़ उस समय बसपा सुप्रीमो मायावती की संपत्ति 111 करोड़ रुपए बताई गई थी। लोकसभा के हाल के चुनाव के समय दाख़िल हलफ़नामे के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी उनकी पत्नी डिंपल के साथ 37 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है। विधान परिषद के 2017 के चुनाव के समय दाख़िल हलफ़नामे के मुताबिक़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संपत्ति 91 लाख रुपए से अधिक है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पी.एल पुनिया कहते हैं कि वेतन अब पहले की तुलना में कई गुना बढ़ चुके हैं, इसलिए इस रियायत की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है, बेहतर होगा कि इस कानून पर पुनर्विचार करके इसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए।

इसी विषय में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि अब तक ‘उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन भत्ते एवं विविध कानून 1981’ के अंतर्गत सभी मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान राज्य सरकार के सरकारी ख़ज़ाने से किया जाता रहा था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के अनुसार यह निर्णय लिया गया है, कि अब सभी मंत्री अपने आयकर का भुगतान स्वयं करेंगे। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सरकारी ख़ज़ाने से अब मंत्रियों के आयकर बिलों का भुगतान नहीं किया जाएगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने यह सूचना दी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ‘उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन भत्ते एवं विविध कानून 1981’ के इस प्रावधान को अब ख़त्म कर दिया जाएगा।