नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक एनजीओ ने व्यापक सर्वे के आधार पर दावा किया है, कि भारत में महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा ख़ुश हैं। परिस्थितियां चाहे कितनी ही मुश्किल या तनावपूर्ण क्यों ना हों, पर भारतीय महिलाएं उसमें भी ख़ुश रहने के तरीके निकाल ही लेती हैं। इस सर्वे में कहा गया है कि महिलाओं में ख़ुशी का पैमाना पैसा ना होकर उम्र, शिक्षा और मैरिटल स्टेटस है। महिलाओं पर केंद्रित यह सर्वे पुणे की एक स्वयंसेवी संस्था ‘दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबंधन केंद्र’ द्वारा किया गया है। यह स्वयंसेवी संस्था महिलाओं के स्वास्थ्य शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में काम करती है।
इस संस्था की केंद्र सचिव अंजली देशपांडे ने बताया है कि 2017-18 के बीच देश के 29 राज्यों के 465 ज़िलों में रहने वाली 43,255 महिलाओं पर अध्ययन किया गया। साथ ही इसमें 5 राज्यों के 282 ज़िलों में रहने वाली 7,675 लड़कियों को भी इस अध्ययन में शामिल किया गया। और इस सर्वेक्षण में पाया गया कि जो महिलाएं शादीशुदा हैं वह लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा ख़ुश रहती हैं।
हालांकि, एनजीओ की राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीषा कोटेकर ने कहा है, कि सर्वे महिलाओं के शादीशुदा होने या नहीं होने पर आधारित नहीं है। उन्होंने बताया कि “यह वही परिणाम है जिन्हें हमने पाया है, हमने उन महिलाओं से बात की जिन्होंने ख़ुद के लिव-इन-रिलेशनशिप में होने की जानकारी दी। डेटा का फिर से विश्लेषण किया जाएगा, और उसके बाद ही कोई नतीजा निकलेगा।” बता दें कि सर्वे में लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली सिर्फ़ 29 महिलाओं से बातचीत की गई है। अध्ययन में यह भी पाया गया है, कि जिन्होंने दुनिया का मोह त्याग दिया है या पूरी तरह से अध्यात्म की राह अपना ली है, वह महिलाएं ज़्यादा ख़ुश रहती हैं। सूत्रों के अनुसार इस सर्वे को ‘स्टेटस ऑफ वूमेन इन इंडिया’ का नाम दिया गया है। और इस सर्वे की रिपोर्ट को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत रिलीज करेंगे।