भाजपा की सहयोगी ने मारी पलटी, नागरिकता संशोधन विधेयक पर बदला स्टैंड

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नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िला’फ़ बड़ी संख्या में लोग प्रोटेस्ट कर रहे हैं. ये प्रोटेस्ट यूँ तो देश के कई शहरों में हो रहा है लेकिन असम, और नार्थ-ईस्ट में ये बहुत तेज़ है. इसको कम करने की सरकार की कोशिशें चल रही हैं. सरकार प्रदर्शनकारियों से संवाद स्थापित करने की कोशिश भी कर रही है लेकिन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस विधेयक को वापिस लिया जाए. असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के कई नेता केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार से ख़ुश नहीं हैं.

अब ख़बर है कि भाजपा के गठबंधन में शामिल और पहले इस विधेयक को समर्थन देने वाली असम गण परिषद ने यू-टर्न ले लिया है. असम गण परिषद को समझ आ गया है कि जनता इस विधेयक के पक्ष में नहीं है और इसलिए अगर वो इस क़ानून का समर्थन करती है तो उसकी राजनीतिक भविष्य पर संकट आ जाएगा.असम के कई भाजपा नेता भी कैमरे के पीछे मान रहे हैं कि पार्टी से बड़ी ग़लती हो गई है.ख़बर है कि असम गण परिषद भी इस आ’न्दोलन में शामिल हो सकती है.

भाजपा के कई नेता इस बारे में भी विचार कर रहे हैं कि वो अपनी पार्टी छोड़ दें. ऐसा होने पर पूरे नार्थ-ईस्ट में भाजपा के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. मेघालय में भी इस विधेयक के ख़ि’लाफ़ बहुत बड़े स्तर पर प्रोटेस्ट हो रहा है. दिल्ली भाजपा के कई नेता आज ये साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रोटेस्ट सिर्फ़ विपक्षी पार्टी करा रही है लेकिन उनके चेहरे पर चिंता नज़र आने लगी है. दिल्ली की मशहूर जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में भी इस विधेयक के विरोध में प्रोटेस्ट हुआ.

विधेयक के ख़ि’लाफ़ प्रदर्शनकारियों ने शांति मार्च निकालने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे रोका जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच पत्थरबाज़ी हुई. इसमें कई छात्र घा’यल हुए जबकि कुछ पुलिस कर्मियों को भी चोटें आयीं. सोशल मीडिया पर कई जगह छात्रों ने ऐसे भी वीडियो शेयर किए हैं जिसके ज़रिये दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने ख़ुद हिं’सा करवाने की कोशिश की है ताकि प्रोटेस्ट बदनाम हो.