अंशुल पांडे ने कहा कि हमारे शास्त्र कहते हैं कि प्रत्येक नारी देवी है, केवल वह अपनी शक्तियों को नहीं पहचान पाती। मार्कण्डेय पुराण (61.5) में कहा गया है “देवी! समस्त संसार की महिलाएं आपके अंश का ही हिस्सा हैं”। उनका कहना है कि सनातन धर्म ही एकमात्र धर्म है, जहां नारी की पूजा होती है, उदाहरण के लिए…
1) नवरात्रि में कन्या पूजन।
2) सुमंगली पूजा-अग्नि पुराण (264.16) के अनुसार सुमंगली देवी के अनेक नामों में से एक है और दक्षिण भारत में मृत महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु यह पूजन किया जाता है।
3) मात्र नवरात्रि ही नहीं बल्कि देवी पूजन का दैनिक विधान है।
4) नवजात शिशु के लिए छठवें दिन षष्टी पूजन करने का विधान है जब षष्टी माता का अर्चन होता है।
शास्त्रों में भी देवी की वंदना करने की बात कही गई है। मनु स्मृति (3.56) में कहा गया है
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति
अर्थात देवता उस स्थान में निवास करते हैं जहाँ नारी की पूजा होती है और जहां उन्हें पूजा नहीं जाता, वहां सारे अच्छे कर्म भी निस्तेज ही जाते हैं। इसलिए सदैव इसका ध्यान रखें कि कहीं नारी शक्ति का अपमान तो नहीं हो रहा।
कहा गया है कि “माता एक सच्ची मित्र होती है जब हम आपदाग्रस्त होते हैं और राजा से रंक भी बन जाते हैं। ऐसे समय मित्र धोखा दे जाते हैं जब हम मुसीबत में होते हैं।पर माता का आश्रय हमसे जुड़ा रहता है और हमारा पथ प्रदर्शन करते हुए हमें उचित सलाह देती है जब तक कष्ट दूर नहीं होता।” मुझे पता नहीं इसको किसने लिखा है, पर इसमें मातृत्व के साथ स्त्रीत्व की भी सुगन्ध आती है।
महिलाएं केवल अच्छी माता ही नहीं बल्कि एक अच्छी प्रबन्धक , जोड़ने की असीम संभावनाएं से युक्त, मुसीबतों का शमन करनेवाली और बहुत कुछ होती है। वह निर्माण कर सकती हैं तो विनाश करने की क्षमता रखती है। पर वह ऐसा नहीं करती।देवी पुराण(9.47.6) में यही लिखा है कि” देवी ने मंगल चंडी का रूप लिया और महिलाओं में लोकप्रिय हो गई।
महाभारत के शांतिपर्व (226.12) में कहा गया है कि जहां सत्य पराक्रम दान तपस्या और वचन निवास करते हैं वहीं लक्ष्मीजी विराजती हैं। महिला दिवस पर कागज़ रंगकर महिला सम्मान की बात होती है, पर क्या यह इसी दिन होना चाहिए? मां का सम्मान रोज होना चाहिए। महिलाओं का सम्मान हमेशा करना चाहिए, अपमान बिल्कुल नहीं। मनु स्मृति (3.57) में कहा गया है।
शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् । न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ।
अर्थात अगर परिवार की महिला शोषण के कारण दुखी है, वह परिवार शीघ्र नष्ट हो सकता है। उसके प्रसन्न रहने पर खुशहाली आती है।
अंग्रेजी कैलेंडर में केवल एक दिन सम्मान की बात की गई है, पर सनातन धर्म में प्रत्येक दिन महिला के सम्मान की बात करता है। शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं। विष्णु और ब्रह्मा भी लक्ष्मी और सरस्वती के बिना अधूरे हैं।