शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर दिया ये बयान,’नागरिकता ठीक पर ये मत देना…’

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नागरिकता संशोधन बिल की वजह से आज पूरे देश में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। ऐसे में लोकसभा में विधेयक के पक्ष में वोटिंग करने वाली शिवसेना के रुख़ में राज्यसभा में वोटिंग को लेकर परिवर्तन आया और उहोंने राज्य सभा में बिल के विरोध में मतदान तो नहीं किया लेकिन पक्ष में भी मतदान नहीं किया और सदन से वॉक आउट किया। महाराष्ट्र में इस समय शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की सरकार है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लोकसभा में बिल के समर्थन को लेकर बहुत नाराज़ थीं। और उन्होंने यहां तक कह दिया था कि, कांग्रेस गठबंधन से बाहर आ जाएगी। इस पर शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने बयान दिया था कि, लोकसभा में जो हुआ उसे भूल जाइए। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधेयक पर कड़ा रुख़ अपनाते हुए बयान दिया कि, उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं।

उन्होंने कहा कि जब तक इस विधेयक पर सरकार पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं करती, तब तक शिवसेना राज्यसभा में इस विधेयक के समर्थन में मतदान नहीं करेगी। और राज्यसभा में जब विधेयक पर मतदान का समय आया, तो उस समय शिवसेना ने ना पक्ष में मतदान किया ना विरोध में बल्कि उन्होंने सदन से वाकआउट किया। और शिवसेना की सदन में ग़ैर-मौजूदगी को लेकर जब शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि, हमारी कुछ चिंताएं थीं, जिसको लेकर हमने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन सरकार की तरफ से कुछ सही जवाब नहीं मिला, इसलिए हमने राज्यसभा में इस बिल का समर्थन नहीं करने का फ़ैसला किया।

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि, ‘हमने कभी यह नहीं कहा कि, इन शरणार्थियों को नागरिकता नहीं मिले, हम चाहते हैं कि, पड़ोसी देश में जो हमारे भाई प्रताड़ना के शिकार हैं, उन्हें यहां नागरिकता मिले, लेकिन इसके पीछे ‘वोट बैंक’ की राजनीति नहीं होनी चाहिए। ‘वोट बैंक’ की राजनीति के तहत यह सही नहीं है। अगर ऐसा है तो इन लोगों को 25 साल तक मतदान का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। इन लोगों को मतदान का अधिकार देना ठीक नहीं है।’

बिल लोकसभा और राज्य सभा में पारित ज़रूर हो गया है लेकिन इसका विरोध थमा नहीं है और ना अभी जल्द थमने की उम्मीद है। असम इस नागरिकता संशोधन बिल की आग में जल रहा है। गोवाहटी में कर्फ्यू तो 10 ज़िलों में एहतियातन इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। देश में हर कोई इस विधेयक का अपनी तरह से विरोध कर रहा है। सारी विपक्षी पार्टियां इस बिल के विरोध में एकजुट हैं। बुद्धिजीवी और मनोरंजन क्षेत्र के लोग भी लगातार इसके विरोध में सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं