वो गीत तो याद होगा आपको, महंगाई डायन खाए जात है…देश की अर्थव्यवस्था लोगों को लगातार यह गीत गाने पर मजबूर किए हुए है। आपको जानकारी दे दें कि देश में रिटेल महंगाई दर नवंबर में बढ़कर 5.54 फ़ीसदी हो गई है। अगर बात करें विशेषज्ञों की राय की तो महंगाई दर आरबीआई की मध्यम अवधि लक्ष्य जो कि 4 फ़ीसदी ही था से अधिक रही है। इसलिए आप की ब्याज दर की कटौती की उम्मीद पर पानी फिर सकता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक खाने पीने की वस्तुओं पर महंगाई दर 10.1 फ़ीसदी देखी गई, जो कि अक्टूबर में 7.89 फ़ीसदी थी।
देश में महंगाई दर जून महीने में 3.18 फ़ीसदी पर थी, तो वहीं जुलाई में 3.15 फ़ीसदी पर आ गई, यानी .3 फ़ीसदी का अंतर दिखाई पड़ा। लेकिन अगस्त आते-आते महंगाई दर 3.28 फ़ीसदी पर पहुंच गई। सितंबर महीने में उछाल लेते हुए 3.99 फ़ीसदी पर आ गई तो अक्टूबर में बढ़कर 4.62 फ़ीसदी हो गई। नवंबर महीना महँगाई की दृष्टि से बहुत महंगा साबित हुआ, क्योंकि नवंबर महीने में महंगाई दर ज़बरदस्त लेते हुए 5.54 फ़ीसदी पर पहुंच गई।
वहीं दूसरी और औद्योगिक उत्पादन दर -4.3 फ़ीसदी के मुक़ाबले अक्टूबर में -3.8 फ़ीसदी रही जो उत्पादन में मामूली सा अंतर दर्शाती है। लेकिन गुरुवार तक जो आंकड़े जारी हुए उनमें मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन में भी 12.2 फ़ीसदी की कमी रिकॉर्ड की गई है। इसके अलावा उद्योग जगत की डिमांड ना होने की वजह से खनन की भी मांग कम देखी गई, जिसकी वजह से उत्पादन घट गया। आपको जानकारी दे दें कि, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में वहां के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का विशेष महत्व होता है। इसके ज़रिए देश की औद्योगिक वृद्धि गति मापी जाती है। अर्थशास्त्री कहते हैं कि देश के उत्पादन सर्विसेज सेक्टर में आर्थिक सुस्ती का दौर अभी भी जारी है।