शिवपाल ने फिर दी इस्तीफे की धमकी, कहा- सपा में खुशामद का दौर चल रहा है

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और राज्य के काबीना मंत्री शिवपाल यादव के इस्तीफे की धमकी से समाजवादी पार्टी में हड़कंप मच गया है। उत्तर प्रदेश सरकार में नंबर दो माने जाने वाले शिवपाल ने मैनपुरी में रविवार को अवैध कब्जों व भ्रष्टाचार पर चिंता जताते हुए कहा था कि अगर ये चीजें नहीं रुकीं तो वे इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा था कि पार्टी में सभी बड़े नेता सुविधाभोगी हो गए हैं। मैंने अखिलेश से कहा था कि गांव-देहात में निकलो, वहां रात गुजारो लेकिन वे नहीं निकले। उनके मंत्री भी नहीं निकले। सब मंत्री गड़बड़ कर रहे हैं। सपा में खुशामद का दौर है। असल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।
शिवपाल ने फिर सोमवार (15 अगस्त) को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने गृह जिले इटावा में शहीद श्रद्धांजलि यात्रा के शुभारंभ लगभग वही चीजें दोहराते हुए कहा कि हमारे कहने के बावजूद कई ऐसे अधिकारी हैं, जो बातें अनसुनी कर जाते हैं। हम तो बहुत कुछ त्याग करने को तैयार हैं। अगर यह नहीं रुका तो मैं इस्तीफा भी दे सकता हूं। उन्होंने कहा कि आज जो स्थिति है कुछ लोगों ने पार्टी को कमजोर किया है। नेताजी ने बहुत मेहनत से पार्टी को खड़ा किया, लेकिन आज जो बेइमानी और उत्पीड़न हो रहा है। या तो ये होगा, नहीं तो हमें इस्तीफा देना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध शराब की बिक्री और अवैध कब्जे हो रहे हैं। सीओ इंस्पेक्टर और तहसीलदार इस काम को अंजाम दे रहे हैं। जनता का शोषण हो रहा है और अधिकारी सुन नहीं रहे हैं। यह सब नहीं रुका तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री यहीं नहीं रुके और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अवैध धंधे करने वाले और शराब बेचने वालों की सूची बनाई जा रही है। इन लोगों पर जल्द कार्रवाई होगी। सपा ने सारे वादे पूरे किए लेकिन फिर भी कुछ लोगों की वजह से जनता परेशान है। भले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़े लेकिन ऐसे लोगों को सबक जरूर सिखाया जाएगा। ठेकेदारों और इंजीनियरों की जांच कराई जा रही है। दोषी मिलने पर एफआइआर होगी और इनसे जुर्माना वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि थाने, तहसील और चकबंदी कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन रहे हैं। ईमानदारी से काम नहीं हुआ तो वे चकबंदी पर रोक लगा देंगे। तहसीलों में जनता के काम नहीं हो रहे। उन्होंने कहा कि बता देना, अबकी बार कहीं पर भी कब्जा हो तो मैं उसी तहसील में तहसील दिवस के दिन आऊंगा। अधिकारियों को लाकर यहीं पर उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे, देखें कितनी चलती है। जब विभाग मेरे पास है, उसके बाद भी दखल दूसरों का, ये तो नहीं हो सकता। या तो हमें इस्तीफा देना पड़ेगा, या उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
शिवपाल यादव कौमी एकता दल के विलय पर अपने भतीजे अखिलेश से मात खाने के वक्त से ही नाराज हैं और रह रह कर सरकार के कामकाज पर अपना गुस्सा उतार देते हैं। लेकिन ये पहली बार है जब शिवपाल यादव ने इस्तीफे तक की धमकी दे डाली है। बताते चलें कि इसके पहले दो अगस्त को इटावा जिला सहकारी बैंक की 67वीं वार्षिक बैठक में शिवपाल सिंह यादव ने अपने भाई और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का अनुसरण करते हुए अवैध कब्जों में लिप्त सपाइयों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। उन्होंने पार्टी के इस रह के नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ 15 दिन का विशेष अभियान चलाने का एलान भी किया था। उन्हों अफसरों को भी नहीं बख्शा और कहा कि उनकी मिलीभगत से ही भ्रष्टाचार हो रहा है। दो अगस्त के बाद शिवपाल सिंह यादव के संबोधनों में राज्य सरकार के मंत्रियों और अफसरों के खिलाफ बढ़ती तल्खी देखी जा सकती है।