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राज्यसभा में रो पड़ीं शशिकला, जयललिता ने किया पार्टी से सस्पेंड

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नई दिल्ली। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की सांसद शशिकला पुष्पा आज राज्यसभा में रो पड़ीं। उन्होंने सदन में अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की। शशिकला की इस मांग के बाद राज्यसभा का माहौल गरमा गया। और सभी सासंदों ने मिलकर एक सुर में महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।
शशिकला ने सदन में कहा है कि उनकी जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि उन्हें कल थप्पड़ मारा गया था। इस दौरान वह काफी भावुक दिखीं। रुंधे गले से सदन में उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं मिलेगी तब तक वो सदन से जाएंगी ही नहीं।
शशिकला ने कहा कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए धमकी दी जा रही है। शशिकला के इस खुलासे पर सदन मे जमकर हंगामा हुआ। इस पर समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि एक महिला ने सुरक्षा का मुद्दा उठाया है तो सदन इसे देखे।
वहीं अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता ने राज्यसभा सांसद शशिकला पुष्पा को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के कारण निलंबित कर दिया। पार्टी ने कहा कि पार्टी का नाम खराब करने के लिए उन्हें निलंबित किया गया है।
2 दिन पहले AIADMK सांसद शशिकला ने DMK के लीडर त्रिचिशिवा को थप्पड़ मारा था। इसी बात पर जय़ललिता शशिकला से नाराज़ हो गईं। शशिकला के मुताबिक उनको इस घटना के बाद रिज़ाइन करने को कहा गया। हालांकि इसके लिए शशिकला ने त्रिचिशिवा से माफी भी मांगी।

SC ने कश्मीर के हालात पर रिपोर्ट मांगी, राज्यपाल शासन की मांग खारिज

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सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाधिवक्ता रंजीत कुमार से कश्मीर घाटी के हालात पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी। न्यायालय ने राज्य में राज्यपाल शासन की मांग को खारिज कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी की याचिका पर यह रिपोर्ट तलब की है।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. खानविल्कर तथा न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने रिपोर्ट पेश करने का आदेश देते हुए याचिकाकर्ता जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी से कहा कि अदालत राज्यपाल को राज्य के शासन की बागडोर संभालने के लिए नहीं कह सकती।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ठाकुर ने पार्टी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील व पार्टी के प्रमुख भीम सिंह से कहा, ‘‘जमीनी हालात पल-पल बदलते हैं, यह वह मुद्दा नहीं है, जिसे न्यायपालिका के माध्यम से निपटा जाए।’’
पैंथर्स पार्टी ने प्रशासन के नाकाम होने के आधार पर राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने की मांग को लेकर 22 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। याचिका में जम्मू एवं कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला दिया गया है, जो राज्य सरकार व विधानसभा को निलंबित रखते हुए राज्यपाल को राज्य का संचालन करने के लिए सभी तंत्रों को अपने हाथ में लेने की अनुमति प्रदान करता है।
भीम सिंह से यह पूछते हुए कि किस प्रकार आपके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है, पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि न्यायालय की कार्रवाई का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की गई, तो पार्टी को न्यायालय की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के प्रमुख भीम सिंह से कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करें कि आप अदालत की कार्यवाही का कोई राजनीतिक लाभ नहीं लेंगे। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको हमारी भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप एक राजनीतिक शख्स हैं। जाइए और मुद्दे को लोगों के बीच सुलझाइए, न्यायालय में नहीं।’’ न्यायालय ने उनके पिछले एक साल से कश्मीर घाटी न जाने का संदर्भ देते उनसे पूछा कि वह अंतिम बार कश्मीर कब गए थे। भीम सिंह ने न्यायालय से कहा कि बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, तो पीठ ने कहा, ‘‘ठीक है, वे स्कूल नहीं जा पाए, क्योंकि हालात ही कुछ ऐसे बन गए।’’
मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख अगले सप्ताह मुकर्रर करते हुए पीठ ने भीम सिंह से कहा, ‘‘आप एक भी किसी ऐसे व्यक्ति को सामने लाइए, जो हालिया अशांति के कारण अस्पताल नहीं जा सका।’’
कश्मीर में आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से भड़की हिंसा व तनाव में अब तक दो पुलिसकर्मियों और 48 आम नागरिकों सहित 5० लोगों की जान जा चुकी है।

पठानकोट हमले में PAK के खिलाफ मिले बड़े सबूत

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पाकिस्तान के खिलाफ अहम सबूत भारत के हाथ लगे हैं. पठानकोट एयरबेस हमले में पाकिस्तानियों के शामिल होने को लेकर दी जा रही भारत की दलीलों को इससे काफी मजबूती मिलने की उम्मीद है. पठानकोट हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को अमेरिका ने एक हजार पन्ने का डोजियर सौंपा है.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपी खबर के मुताबिक इस डोजियर में हमले को लेकर जैश-ए मोहम्मद के सरगना कासिफ जान की चार फिदायीनों से हुई बातचीत भी रिकॉर्ड है. 2008 में मुंबई धमाके से पहले लश्कर के आतंकियों के बीच हुई बातचीत की तरह ही इस रिकॉर्ड को भी देखा जा रहा है. उस दौरान भी लश्कर के सरगना कराची से ही मुंबई धमाके की साजिश कर रहे थे.
पठानकोट हमले के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के चारों फिदायीन पाकिस्तान स्थित पंजाब का नासिर हुसैन, गुजरांवाला का अबू बकर और सिंध प्रांत का उमर फारूख और अब्दुल कयूम लगातार 80 घंटे तक पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से लगातार संपर्क में थे. डोजियर में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आकाओं के बीच एक तय समय में हुई बातचीत भी दर्ज है.
अमेरिका ने एनआईए को MLAT (म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी) के तहत ऐसी तमाम जानकारियां सौंपी हैं. एनआईए के अधिकारी इन सबूतों का विश्लेषण कर रहे हैं. जांच के मुताबिक वॉट्सएप पर बातचीत के अलावा कासिम जान एक फेसबुक अकाउंट भी चला रहा था. अकाउंट उसी नंबर से जुड़ा हुआ था जिससे हमलावरों ने एसपी सलविंदर सिंह को किडनैप करते वक्त पठानकोट से कॉल किया था.
‘मुल्ला दादुल्ला’ के फेसबुक अकाउंट से जुड़े नंबर से भी आतंकियों ने पाकिस्तान में कॉल किया था. यह अकाउंट भी कासिम जान ही चलाता था और इन्हें पाकिस्तान स्थित टेलिकॉम फर्म्स (टेलेनॉर ऐंड टेलेनॉर पाकिस्तान कम्युनिकेशंस कंपनी लिमिटेड, इस्लामाबाद) के आईपी अड्रेस का इस्तेमाल करके एक्सेस किया जा रहा था. इन फेसबुक पेजों पर जिहाद से जुड़े कंटेंट , वीडियो और कमेंट दिखते हैं.
इन कंटेंट में पाकिस्तान सरकार की ओर से जैश के आतंकियों को गिरफ्तार किए जाने की निंदा की गई है. आतंकियों ने जैश-ए-मोहम्मद की फाइनेंशियल बॉडी अल-रहमत-ट्रस्ट के नंबरों पर भी कॉल किया था. इस बारे में भारत ने अमेरिका से टेक्निकल डिटेल्स मांगी थीं. एनआईए ने अमेरिका से इन चैट्स और अकाउंट्स की डिटेल मांगी थी.

राजनाथ के प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे से बौखलाया आतंकवादी हाफिज सईद

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लाहौर : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पाकिस्तान दौरे से वहां के अातंकियों का सरगना हाफिस सईद बौखला गया है. उसे भय सता रहा है कि सार्क देशों के आतंरिक मामलों के मंत्रियों के सम्मेलन में कोई ऐसा फैसला नहीं ले लिया जाये ताकि उसकी आतंक की फैक्टरी बंद होने की नौबत आ जाये. राजनाथ सिंह पर ‘‘मासूम कश्मीरियों की हत्या का जिम्मेदार’ होने का आरोप लगाते हुए जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने चेतावनी दी है कि यदि राजनाथ दक्षेस के मंत्री स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद आते हैं तो देशभर में विरोध प्रदर्शन होंगे.
हाफिज सईद ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं पाकिस्तान सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या वह मासूम कश्मीरियों की मौतों के जिम्मेदार राजनाथ का स्वागत करके कश्मीरियों के जख्मों पर नमक छिड़केगी?’ आज जारी इस बयान में कहा गया, ‘‘यह विडंबना होगी कि एक ओर पूरा पाकिस्तान कश्मीर में भारत के अत्याचारों का विरोध कर रहा है और दूसरी ओर पाकिस्तानी शासक सिंह को मालाएं पहनाएंगे.’ वर्ष 2008 के मुंबई हमले के सरगना हाफिज सईद ने कहा, ‘‘यदि सिंह तीन अगस्त को इस्लामाबाद आते हैं तो जमात उद दावा देश भर में विरोध प्रदर्शन करेगा ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि पाकिस्तानी शासक भले ही कश्मीरियों के हत्यारों की अगवानी के लिए मजबूर हैं लेकिन पाकिस्तान के अवाम मजलूम कश्मीरियों के साथ खड़े हैं.’
सईद ने कहा कि तीन अगस्त को इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर, क्वेटा, मुल्तान, फैसलाबाद, मुजफ्फराबाद और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और रैलियां निकाली जाएंगी.
सईद के सिर पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का ईनाम रखा हुआ है.
उसने कहा कि इस्लामाबाद में सिंह की मौजूदगी ‘‘भारतीय बलों के हाथों’ दर्जनों कश्मीरियों की हत्या के मद्देनजर कश्मीरियों के साथ-साथ पाकिस्तानियों में भी ‘‘अशांति’ पैदा कर सकती है.
उसने कहा कि सिंह के श्रीनगर दौरे के दौरान कश्मीर के लोगों ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया था। पीएमएल-एन सरकार ‘‘को भी भाजपा के नेता की अगवानी करने से यह कह कर इनकार कर देना चाहिए कि इससे कश्मीरियों और पाकिस्तानियों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और उनकी भावनाएं भड़क सकती हैं.’ इसी बीच हिज्बुल मुजाहिदीन के सुप्रीम कमांडर सईद सलाउद्दीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा कि हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में 49 लोगों के मारे जाने से घाटी में चल रहे तनाव को देखते हुए वह नयी दिल्ली से अपने राजदूत को तत्काल वापस बुलाएं और भारत के साथ ‘‘व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों को निलंबित’ करें. उसने कहा कि पाकिस्तान की सरकार को दक्षेस सम्मेलन के लिए सिंह को आमंत्रित नहीं करना चाहिए.
सलाउद्दीन ने कल शाम ‘आजादी-ए-कश्मीर मार्च’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘बीमार प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कम से कम नई दिल्ली से पाकिस्तान के राजदूत को वापस बुला लेना चाहिए और भारत के साथ व्यापार और कूटनीतिक रिश्ते निलंबित कर देने चाहिए. शासकों को पाखंड छोड़ना चाहिए और पाकिस्तान की सरकार को या तो कश्मीरियों का मुद्दा उठाना चाहिए या भारत से दोस्ती का.’ उसने कहा कि कश्मीर में पिछले 23 दिन से कर्फ्यू लगा हुआ है और घाटी ‘‘भारत के लिए एक ऐसा ज्वालामुखी बन गयी है, जो किसी भी समय फट सकता है.’ उसने कहा, ‘‘बेहतर होता कि पाकिस्तानी सरकार दक्षेस सम्मेलन में भारत के गृहमंत्री को न बुलाती क्योंकि इससे कश्मीरियों के बीच गलत संदेश जाएगा.’

सऊदी में भूखे-प्यासे फंसे हैं सैकड़ों भारतीय

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सऊदी अरब के शहर जेद्दा में पिछले तीन दिनों से लगभग 800 भारतीय भूखे-प्यासे फंसे हैं.एक व्यक्ति इमरान खोखर ने ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ये जानकारी दी. इस ट्वीट के जवाब में सुषमा ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह सऊदी अरब जा रहे हैं.
सुषमा के मुताबिक़ उन्होंने सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास को बेरोज़गार भारतीय कामगारों को मुफ़्त खाना देने को कहा गया है.
खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय नौकरी करते हैं. पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से सऊदी अरब और दूसरे खाड़ी देशों को भारी नुक़सान झेलना पड़ा है.
इसके अलावा कई खाड़ी देशों में राजनीतिक अस्थिरता से कंपनियां बंद हुई हैं और बड़ी संख्या में भारतीयों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं.
इससे भारतीय कामगारों के सामने आजीविका का संकट तो है ही, बक़ाया वेतन का भुगतान नहीं मिलने से उनके सामने खाने तक का संकट पैदा हो गया है.
सुषमा ने ट्वीट किया, “मेरे सहयोगी वीके सिंह इस मामले को सुलझाने के लिए सऊदी अरब जाएंगे और एमजे अकबर इस मामले को सऊदी और कुवैत के अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे.”
उन्होंने एक और ट्वीट किया, “मैं आपको आश्वस्त करती हूँ कि सऊदी अरब में कोई भी बेरोज़गार भारतीय भूखा नहीं रहेगा. मैं हालात पर हर घंटे नज़र रख रही हूँ.”
सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाड़ी देशों सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, क़तर, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में 60 लाख भारतीय काम करते हैं.
सऊदी अरब की बात करें तो वहाँ की लगभग एक-तिहाई आबादी विदेशी है और इनमें भारतीयों की तादाद तकरीबन 30 लाख है.

पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त मानते हैं ओबामा

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वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक अच्छा मित्र मानते हैं और दोनों देशों ने कई परियोजनाओं पर मिलकर काम किया है। व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव एरिक शुल्ज ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम भारत सरकार के साथ नजदीकी सम्पर्क में हैं। राष्ट्रपति ओबामा प्रधानमंत्री मोदी को एक अच्छा मित्र मानते हैं। हमने कई परियोजनाओं पर सहयोग किया है।’
शुल्ज दक्षिण चीन सागर पर चीन के व्यवहार के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। शुल्ज ने कहा, ‘‘हाल में, विशेष रूप से अमेरिका ने भारत के साथ जिस समझौते पर मिलकर काम किया उसके चलते पेरिस जलवायु समझौता हकीकत में बदल पाया। इसलिए राष्ट्रपति को उस कार्य का अत्यधिक गर्व है। इसके साथ वह प्रधानमंत्री मोदी के, उस पर उनके कार्य के लिए आभारी हैं।’’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यद्यपि यह हमारे संबंध का एकमात्र पहलू नहीं है। जाहिर तौर पर हमारे बीच आर्थिक संबंध, गहरे सुरक्षा संबंध हैं। इसलिए राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने संबंध को काफी महत्व देते हैं।’

फिर वही सैलाब, फिर वही सवाल

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जिस मॉनसून को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अहम माना जाता है उसके प्रचंड रूप ने एक बार फिर कुछ राज्यों को तहस-नहस कर दिया है. असम से लेकर कर्नाटक तक थोड़े से वक्त में हुई मूसलाधार बारिश के चलते आई बाढ़ न सिर्फ कई जिंदगियां लील चुकी है बल्कि उसने खेती और मेहनत से खड़ी की गई लोगों की संपत्ति का नाश भी कर दिया है. पानी कम होगा तो केंद्रीय टीमों द्वारा नुकसान के आकलन से जुड़े आंकड़े और तटबंधों की मरम्मत करने जैसे कामों का वही चिर-परिचित चक्र शुरू हो जाएगा.
असम, जहां अब तक 31 मौतें हो चुकी हैं, में भारी गाद लाने वाली ब्रह्मपुत्र के तटबंधों को मजबूत करने के लिए कई परियोजनाएं हैं. बाढ़ नियंत्रण विभाग और आपदा राहत बल, दोनों के पास ही भारी-भरकम बजट भी है. बाढ़ की तैयारी, राहत और नुकसान को कैसे कम से कम रखा जाए, इस पर सैकड़ों करोड़ रु खर्च होते हैं. लेकिन अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है जिससे भारी बारिश के असर को कम किया जा सके. उफनाई नदी अक्सर एक ही रात में कमजोर तटबंधों को तोड़ देती है.
अब एक बार फिर पूर्वोत्तर भारत और दूसरी जगहों पर आई बाढ़ हमें एक नई अंतर्दृष्टि भी दे रही है. समय आ गया है कि केंद्र इस संकट से निटपने में एक समन्वित नजरिये का परिचय दे. इसकी शुरुआत उसे उन भविष्यवाणियों की समीक्षा से करनी होगी जो 180 विशेष स्टेशनों से जारी की जाती हैं. उसे इसकी भी समीक्षा करनी होगी कि ये अलर्ट जिन 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलते हैं उनकी इन पर क्या प्रतिक्रिया रहती है.
शहरी भारत भी बाढ़ से कम पीड़ित नहीं है. लेकिन शहरों के प्रशासन ने विनाश से कुछ ज्यादा सबक नहीं सीखे हैं. बीते हफ्ते गुड़गांव, बेंगलुरू और दिल्ली में लगे जाम और उससे उपजे असंतोष के दृश्य दुनिया भर में प्रसारित हुए. यह सब चेन्नई में हुई बर्बादी के कुछ ही महीने बाद हुआ. सवाल यह है कि हमारे शहर जिस विनाशकारी तरीके से बढ़ रहे हैं क्या उसका कोई समाधान हो सकता है? बेंगलुरु दलदली इलाकों यानी वेटलैंड्स के प्रति सरकारी उदासीनता का उदाहरण है. यहां ज्यादातर वेटलैंड्स या तो प्रदूषित हो चुके हैं या फिर उनके एक बड़े हिस्से पर अतिक्रमण हो चुका है. अगर हमें घनी आबादी वाले अपने शहरों को रहने योग्य बनाना है तो हमें इन जलस्रोतों को गादमुक्त कर उन्हें उनके पुराने रूप में बहाल करने का काम युद्धस्तर पर करना होगा. जिन वेटलैंड्स पर निर्माण हो चुका है उनकी भरपाई करने के लिए नए कृत्रिम वेटलैंड्स विकसित किए जा सकते हैं.
बाढ़ की विभीषिका को देखकर पर्यावरण मंत्रालय को अंदाजा हो जाना चाहिए कि पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के आकलन के बिना बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं को मंजूरी देना एक प्रतिगामी कदम है. झीलों पर अतिक्रमण करने के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने भले ही कुछ रियल एस्टेट कंपनियों पर जुर्माना ठोका हो लेकिन शहरी नियोजन संस्थाएं भी बराबर की जिम्मेदार हैं और नियमों के उल्लंघन को मौन स्वीकृति देने के लिए उन्हें भी कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए. ताजा बाढ़ से जो लोग प्रभावित हुए हैं उन्हें राहत पहुंचाने का काम राजनीति को परे रखकर होना चाहिए ताकि खासकर जिन लोगों का भारी नुकसान हुआ है उनकी जरूरतें सही मायने में पूरी हो सकें.

रियो ओलंपिक में नहीं दिखेगा 17 ग्रेंडस्लेम खिताबों के शंहशाह का जलवा

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बासेल। दुनिया के पूर्व नंबर एक स्विटजरलैंड के टेनिस स्टार रोजर फेडरर अपनी घुटने की चोट के कारण रियो ओलंपिक में नहीं खेल पायेंगे। 17 ग्रैंड स्लेम खिताबों के बादशाह फेडरर ने कहा है कि यदि उन्हें अपने कॅरियर में और खेलना है तो उन्हें रियो में नहीं जाना होगा। चोट की वजह से फेडरर वर्ष 2016 के शेष सत्र में भी नहीं खेलेंगे।
ब्राजील के रियो डी जेनेरो में 5 से 21 अगस्त तक ओलंपिक खेल होने हैं और फेडरर ने अपनी चोट के कारण इन खेलों से हटने का फैसला किया है। 34 वर्षीय फेडरर को गत फरवरी में घुटने में चोट लग गई थी। इसके बाद वह मई में अपनी पीठ में दर्द के कारण फ्रेंच ओपन में भी नहीं उतरे थे।
फेडरर के वर्ष 2016 के शेष सत्र से हटने से उनके प्रशंसकों और स्विटजरलैंड की पदक उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। नंबर तीन रैंकिंग के फेडरर ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ” रियो में स्विटजरलैंड का प्रतिनिधित्व नहीं करने से बेहद दुखी हूं। मेरे लिए 2016 के शेष सत्र में खेलना भी बेहद मुश्किल है। मैं हमेशा की तरह प्रेरित हूं और अपनी पूरी ताकत शानदार अंदाज में वापसी करने पर लगाऊंगा। मैं 2017 में आक्रामक टेनिस खेलने का प्रयास करूंगा। ‘

कैरेबियंस पर भी छाया विराट कोहली का खुमार, दुनिया के दिग्गज क्रिकेटर का बेटा भी बना 'खास' फैन

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विव रिचर्ड्स के बेटे माली रिचर्ड्स पर इन दिनों जैसे विराट कोहली का खुमार छाया हुआ है। माली रिचर्ड्स ने विराट से मिलने की हसरत पूरी करते हुए उन्हें तोहफे के तौर पर एक पेंटिंग भेंट की है।
टीम इंडिया के धुरंधर बल्लेबाज और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के खेल के प्रशंसकों की सूची में एक और हाई प्रोफाइल नाम जुड़ गया है। कोहली की खासम-ख़ास फैन लिस्ट में शामिल होने वाला शख्स और कोई नहीं बल्कि क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में गिने जाने वाले सर विवियन रिचर्ड्स के बेटे।
जी हां, विव रिचर्ड्स के बेटे माली रिचर्ड्स पर इन दिनों जैसे विराट कोहली का खुमार छाया हुआ है। माली रिचर्ड्स ने विराट से मिलने की हसरत पूरी करते हुए उन्हें तोहफे के तौर पर एक पेंटिंग भेंट की है।
विराट ने वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा में विवियन रिचर्ड्स स्टेडियम में खेले गए पहले टेस्ट में शानदार दोहरा शतक जड़ा था और टीम इंडिया ने यह मुकाबला पारी और 92 रन से जीता था। माली पहले खुद क्रिकेटर रहे हैं और उन्होंने 18 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेले हैं। फिलहाल वह एक आर्ट गैलरी के मालिक हैं जिसका नाम ‘द हाउस ऑफ क्रिएटिविटी’ है।
माली और उनके मित्रों को एक नई प्रेरणा मिली है विराट कोहली। माली ने एंटीगा के सर विवियन रिचर्ड्स स्टेडियम में दोहरा शतक लगाने वाले विराट को यह पेंटिंग दी। 32 वर्षीय माली ने कहा, ” हम काफी उत्साहित हुए थे जब हमें पता चला कि विराट पहले टेस्ट के लिए एंटीगा में खेलेंगे। हम उनके लिए कुछ रचनात्मक करना चाहते थे लेकिन हमें उनके वेस्टइंडीज आने की तारीख नहीं पता थी। हमने उनके दोहरे शतक को यादगार बनाने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने एंटीगा में इतिहास रचा था। हमने यह पेंटिंग मात्र एक दिन में तैयार की है।”

'…तो नहीं करनी चाहिए एक जैसी गेंदबाजी': ईशांत

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जमैका। भारत के तेज गेंदबाज इशांत शर्मा गेंदबाजों के प्रदर्शन से काफी खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले तीन टेस्ट मैचों में भी सकारात्मक और निर्मम इरादों के साथ उतरेगी। भारत ने एंटीगा में खेले गए पहले टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज को पारी और 92 रन से हराया था।
इशांत ने कहा कि हमें निर्मम बनना होगा और सकारात्मक क्रिकेट खेलनी होगी। बाकी हमें खेल आगे बढ़ने के साथ परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति बनानी होगी। पहले टेस्ट मैच में सफलता शार्ट पिच गेंद करने और कभी कभी फुल लेंथ गेंद करने से मिली।
इशांत ने कहा कि वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों को शार्ट पिच गेंदों के सामने जूझना पड़ा। हमने रणनीति के अनुसार गेंदबाजी की। हमने शार्ट पिच गेंदें की और इसके अलावा कुछ फुललेंथ गेंदें भी की। ऐसी पिच जहां पर मदद नहीं मिल रही हो आपको निरंतर एक जैसी गेंदबाजी करनी चाहिए। उमेश और शमी ने पहली पारी में अच्छी गेंदबाजी की।

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