कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते एक तरफ हज़ारों लोग बेरोज़गार हो गए तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को भी सुधारने की कोशिश की जा रही है। वहीं मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में लोन को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा कहा गया की, लोन पर मोहलत की अवधि दो साल के लिए बढाई जा सकती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के मुताबिक़ केंद्र और आरबीआई द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि, ऋणों के पुनर्भुगतान पर मोहलत 2 साल तक बढ़ सकती है। तुषार मेहता द्वारा कहा गया कि, हम प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं, जो महामारी के चलते हुए नुकसान के प्रभाव के अनुसार अलग-अलग लाभ उठा सकते हैं।
अदालत से तुषार मेहता द्वारा ब्याज पर ब्याज (Interest on interest on loans) के मामले में और वक़्त मंगा गया है। तुषार मेहता द्वारा कहा गया कि, केंद्र के अफसरों, बैंक एसोसिएशनों और RBI के बीच बैठक कर समाधान निकाला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि, अदालत में पहले ही इस मामले में तीन बार सुनवाई टल चुकी है। एक बार फिर अदालत द्वारा कहा गया कि, सरकार को इस मामले में फेयर रहना होगा – तुषार ने कहा कि सरकार ने एक हलफनामा भी दाखिल किया है। बुधवार को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरिटेरियम पीरियड की अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट से याचिकाकर्ता द्वारा मोहलत की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने की मांग की गई है। दायर की गई याचिकाओं में वकीलों, ट्रांसपोर्ट सेक्टर, टूरिस्ट गाइड, ट्रैवल एजेंसी और उनके ड्राइवरों अन्य सेक्टर के लोगों को छूट देने की मांग की गई है।
याचिकाओं में कहा गया है कि, अधिकतर जनसंख्या खुद रोज़गार कमाने वाली हैं खास तौर सर्विस सेक्टर से जुड़े लोगों को कोरोना लॉक डाउन की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। याचिका में कहा गया है कि, हालात इतने खराब है कि रिकवरी के लिए कंपनी अब कानून को हाथ में ले रही है। हाल ही में आगरा में एक भयानक घटना हुई है, वित्त कंपनी के कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश के आगरा में वाहन मालिक द्वारा लिए गए ऋण का भुगतान न किए जाने पर यात्रियों से भरी बस को कथित तौर पर कब्ज़े में ले लिया।