Home Blog Page 875

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खौफ में आतंकी, 24 ट्रेनिंग कैंपों को ISI ने खाली कराया

0

इंडियन आर्मी द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पीओके में आतंकी खौफ में हैं. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकी ट्रेनिंग कैंपों से आतंकी भागने लगे हैं. पीओके में 24 आतंकी कैंपों को खाली करा लिया गया है. बुघवार-गुरुवार की रात भारतीय सेना के कमांडोज ने पीओके में घुसकर सर्जिकल ऑपरेशन किया था और 50 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. उनके बचाव में आए पाकिस्तानी सेना को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
अब इस कार्रवाई का असर दिखने लगा है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक से पहले पीओके में ट्रेनिंग कैंपों में 500 से ज्यादा आतंकी थे. अब सिर्फ 200 के करीब हैं. ये आतंकी लॉन्चिंग पैड के तबाह किए जाने का असर है. आतंकवादी भारतीय सेना के खौफ में हैं. ISI ने पहले ही 16 से 17 आतंकी ट्रेनिंग कैंपों को सैनिक ठिकानों में शिफ्ट शिफ्ट कर दिया था. लेकिन बाकी बचे 24 ट्रेनिंग कैंप को आतंकियों ने खाली कर लिया है.
खाली किये गए आतंकी कैंपों में मुज़फ़्फ़राबाद के नज़दीक का लश्कर का मानशेरा का वो कैंप भी है जिसमें 26/11 के आतंकियों को ट्रेनिंग मिली थी. ख़ुफ़िया एजेंसियों की जानकारी के मुताबिक आतंकियों में यह खौफ है कि अगला सर्जिकल स्ट्राइक कहीं उनके कैंप पर ना हो जाए और वह बेवजह मारे जाएं इसलिए ट्रेनिंग कैंप को खाली कर दिया है.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पीओके में ट्रेनिंग कैंपों को खाली कर आतंकी या तो अपने घरों में लौट गए हैं या फिर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उन्हें पीओके में ही सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक जैश, लश्कर और हिजबुल के 200 से ज्यादा आतंकी ट्रेनिंग के बाद घुसपैठ के लिए तैयार बैठे थे.
दरअसल जिस तरीके से सर्जिकल हमले में सात लॉन्चिंग पैड तबाह हुए हैं. आतंकियों में और उन्हें पनाह देने वाले पाकिस्तानी सुरक्षाबलों में खौफ का माहौल है. ऐसे में जिन आतंकियों को सैन्य ठिकानों में शिफ्ट किया गया है उन्हें भी पाकिस्तान की सेना रोक रही है.

'PAK-चीन बॉर्डर पर भारत तैनात करेगा न्यूक्लियर क्षमता वाला राफेल फाइटर'

0

चीन ने आशंका जताई है कि भारत न्यूक्लिअर हथियार की क्षमता वाले 36 राफेल फाइटर जेट्स को चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर तैनात करेगा. इन राफेल जेट्स को भारत फ्रांस से खरीदने वाला है. चीन की स्टेट मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि इसके जरिए भारत विरोधियों पर दबाव बढ़ाएगा.
ग्लोबल टाइम्स ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के हवाले से यह भी लिखा है कि भारत दुनिया में हथियार खरीदने वाला सबसे बड़ा देश है. अखबार का कहना है कि मध्य पूर्व में अस्थिर सुरक्षा माहौल और चीन की क्षमता बढ़ने की वजह से एशिया में हथियारों की खरीद बढ़ रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल फाइटर प्लेन न्यूक्लिअर हथियार ले जा सकते हैं. इससे भारत की न्युक्लिअर हथियार के इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ेगी. साउथ एशिया स्टडीज के डायरेक्टर झाओ गंचेंग के हवाले से बताया गया है कि फ्रांस ने भारत को राफेल टेक्नोलॉजी देने से मना कर दिया है. इससे ऐसा लगता है कि फ्रांस भारत के मिलिट्री इंडस्ट्रियल सिस्टम को बेहतर करने में मदद नहीं करना चाहता.
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि फ्रांस के साथ राफेल खरीद की डील होने से पहले भारत अमेरिका निर्मित F-16 जेट खरीदने की सोच रहा था. रक्षा क्षेत्र में भारत की जरूरतों को देखते हुए रूस, इजरायल और अमेरिका का मार्केट भी अपने हथियार भारत को बेचने की कोशिश कर रहा है.

PAK को झटका, मालदीव भी सार्क बैठक से हटा, कहा- क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म बड़ा खतरा

0

आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की रणनीति कामयाब होती दिख रही है. अब मालदीव ने भी इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन से खुद को दूर कर लिया है. भारत ने आतंकी संगठनों के मददगार पाकिस्तान में सार्क बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया था. इसके बाद बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका ने भी सार्क बैठक से दूरी बना ली थी. अब मालदीव ने भी साफ कर दिया है कि वो इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा.
मालदीव सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सार्क के कई सदस्य देशों ने इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया है वह भी उनके साथ है. इन देशों ने पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को मिल रही मदद और उससे उत्पन्न खतरे और क्षेत्रीय अशांति को इसका कारण बताया है. मालदीव ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की है और कहा कि सीमापार आतंकवाद क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति के लिए खतरा है.
अब भारत समेत 6 देशों की ओर से सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किए जाने के बाद पाकिस्तान आखिरकार घुटनों के बल आ गया है. पाकिस्तान ने शुक्रवार को ऐलान किया कि सम्मेलन फिलहाल स्थगित किया जा रहा है और नई तारीखों का ऐलान जल्द किया जाएगा.
श्रीलंका ने शुक्रवार को ही सार्क समिट में शामिल नहीं होने का फैसला किया था. इससे पहले भारत, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान भी इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में जाने से मना कर चुके हैं. उरी अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सार्क की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था.
दरअसल भारत के सार्क में शामिल होने से इनकार करने के बाद ही कई देशों ने भारत का समर्थन करते हुए इस्लामाबाद के सम्मेलन में शिरकत करने से मना किया. लेकिन श्रीलंका का सार्क में न जाने का फैसला ठीक उस वक्त आया है जब श्रीलंका के पीएम रनिल विक्रमेसिंघे भारत का दौरा करने वाले हैं. 4 से 6 अक्टूबर को श्रीलंका के पीएम भारत में होंगे.
आठ सदस्यीय सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल है और इस लिहाज से नेपाली मीडिया की इस खबर की अहमियत भी है. भारत ने अपने फैसले से नेपाल को अवगत करा दिया है कि पीएम नरेंद्र मोदी नवंबर में प्रस्तावित सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने इस्लामाबाद नहीं जाएंगे. नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है. अगर एक भी सदस्य सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेता है तो इसे स्थगित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है. साल 1985 में बने इस गुट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं.
1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है. भारत के अलावा सार्क के अन्य तीन सदस्य देशों ने भी पाकिस्तान पर आंतक को पनाह देने का आरोप लगाते हुए सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

UN सैन्य समूह को LoC पर सीधे तौर पर कोई गोलीबारी नहीं दिखी, भारत ने कहा ऐसे कैसे नहीं दिखी

0

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी विवाद सुलझाने में उनकी मदद करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने परमाणु हथियार सम्पन्न दोनों पड़ोसी देशों से क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया. बान के प्रवक्ता ने एक बयान जारी किया‘महासचिव हालिया घटनाओं, विशेष तौर पर 18 सितंबर को उरी में भारतीय सैन्य अड्डे पर हमले के बाद संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरों के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को लेकर बहुत चिंतित हैं.’ बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दोनों देशों से ‘अधिकतम संयम बरतने’ और ‘तनाव कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने’ का आग्रह किया है.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था कि इन दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे उसके मिशन को नियंत्रण रेखा पर सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टेफेन दुजार्रिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल (UNMOGIP) को नई घटनाओं के संबंध में नियंत्रण रेखा के पार से सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.’ उनसे जब इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा गया कि भारत ने कहा है कि उसने नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमला किया तो UNMOGIP को कैसे कोई फायरिंग नजर नहीं आई, तब उन्होंने दोहराया कि UNMOGIP को सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
बान ने भारत और पाकिस्तान की सरकारों से कश्मीर समेत आपसी मसलों को ‘कूटनीति एवं वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण’ तरीके से सुलझाने की अपील की है. उन्होंने दोनों देशों से कहा कि यदि दोनों पक्ष स्वीकार करते हैं तो वह मध्यस्थता के लिए उपलब्ध हैं. बता दें कि भारत ने 28 और 29 सितंबर की दरम्यानी रात एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइकल किये जाने का दावा किया है. भारतीय सेना ने कश्मीर के उरी स्थित सैन्य अड्डे पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद यह कार्रवाई की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हमलावर सजा से बच नहीं पाएंगे और जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादास्पद क्षेत्र में लंबे समय से अपनी संस्थागत उपस्थिति बनाये हुये है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1971 के प्रस्ताव 307 के जनादेश के अनुसार भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र का सैन्य पर्यवेक्षक समूह दोनों देशों के बीच कामकाजी रेखा और नियंत्रण रेखा पर और उसके पार संघषर्विराम उल्लंघनों पर नजर रखता है और इसकी सूचना देता है.

भारत को परमाणु हमले की धमकी पर पाक से नाखुश अमेरिका

0

वॉशिंगटन। अमेरिका ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा दी गई परमाणु हमले की धमकियों पर कड़ी आपत्ति जताई है और इस संबंध में पाकिस्तान को अपनी नाखुशी के बारे में सूचित किया है। विदेश मंत्रालय ने एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमने इसके बारे में (परमाणु हमले की धमकी पर अमेरिका की आपत्ति) उन्हें (पाकिस्तान को) स्पष्ट कर दिया गया है। हमने बार-बार ऐसा किया है। अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी दी, हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि पाकिस्तान को यह संदेश किस स्तर पर भेजा गया है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पिछले 15 दिनों में दो बार यह कहा है कि उनका देश भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। अधिकारी से जब आसिफ के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा है कि यह बहुत चिंताजनक है। यह गंभीर बात है।
आसिफ ने अपने ताजा साक्षात्कार में एक पाकिस्तानी समाचार चैनल से कहा था कि यदि भारत हमसे युद्ध करने की कोशिश करता है तो हम उसे नष्ट कर देंगे। पाकिस्तान की सेना भारत के किसी भी दुस्साहस का उत्तर देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा था कि हमने परमाणु हथियार दिखाने के लिए नहीं रखे हैं। यदि ऐसी स्थिति पैदा होती है तो हम इसका (परमाणु हथियारों) इस्तेमाल करेंगे और भारत को नष्ट कर देंगे। इस बयान से ओबामा प्रशासन की भौंहे तन गई हैं और इसे शीर्ष पाकिस्तानी नेतृत्व का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार माना जा रहा है।
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका सामूहिक विनाश करने वाले इन हथियारों की सुरक्षा पर करीबी नजर रख रही है। उन्होंने कहा है कि इन हथियारों की सुरक्षा हमेशा हमारी चिंता का विषय रहा है। उन्होंने इस विशेष मामले में जो कहा है, उसके अलावा भी हम इन हथियारों की सुरक्षा पर हमेशा नजर रखते हैं।
इस बीच रक्षा मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि परमाणु सक्षम देशों की कि यह बहुत स्पष्ट जिम्मेदारी है कि वह परमाणु हथियारों एवं मिसाइल क्षमताओं को लेकर संयम बरतें। इस बीच अमेरिका ने भारत एवं पाकिस्तान से अपील की कि वह उरी आतंकवादी हमले के बाद बढ़े तनाव को कम करने के लिए कदम उठाएं।
विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इसके साथ ही हमने यह बिल्कुल स्पष्ट किया है कि भारतीय सैन्य अड्डे (उरी) पर जो हुआ वह आतंकवादी कृत्य था। विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सभी जानते हैं कि उरी हमले को अंजाम देने वाले कहां से आए थे।
टोनर ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका स्थिति पर बहुत निकटता से नजर रखे हुए था। उन्होंने कहा है कि हमारे दृष्टिकोण से हम दोनों पक्षों से शांति-संयम की अपील करते हैं। हम समझते हैं कि पाकिस्तानी- भारतीय सेनाएं के बीच संवाद जारी है और हमारा मानना है कि उनके बीच जारी संवाद तनाव कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
टोनर ने कहा है कि मेरा मानना है कि हम निश्चित रूप से तनाव बढ़ते हुए और संवाद में किसी प्रकार की रुकावट नहीं देखना चाहते। हमने क्षेत्र में सीमा पार से पैदा हो रहे आतंकवाद के खतरे को लेकर बार-बार और लगातार चिंता व्यक्त की है और निश्चित रूप से इन हालिया हमलों में उरी का हमला भी शामिल है। उन्होंने कहा- हम लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों से निपटने और उन्हें अवैध घोषित करने की अपील लगातार करते रहे हैं।

फरहान के साथ काम करना मुश्किल नहीं होगा: कृति सैनन

0

मुंबई: अभिनेत्री कृति सैनन फरहान अख्तर के साथ अपनी आने वाली फिल्म ‘लखनउ सेंट्रल’ में काम करने को लेकर उत्साहित है। उन्होंने कहा कि अभिनेता फिल्मकार के साथ मिलकर काम करना सहज होगा।
निखिल आडवाणी ‘लखनउ सेंट्रल’ के निर्माता हैं और इस फिल्म के जरिए उनके सहायक रंजीत तिवारी निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं। पहली बार कृति फरहान के साथ स्क्रीन पर नजर आएंगी।
कृति ने कहा, ‘मैं उनसे (फरहान) औचारिक मौकों पर मिली हूं क्योंकि वह ‘रॉक ऑन 2’ में मसरूफ हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वह एक अच्छे व्यक्ति लगते हैं। मुझे नहीं लगता है कि उनके साथ काम करना मुश्किल होगा। जब आप अलग अलग अभिनेताओं के साथ काम करते हैं तो आप अलग अलग प्रतिक्रिया देते हैं। मैं इसे लेकर (फरहान के साथ काम करने को लेकर) उत्साहित हूं।’

अकेले भ्रमण करना उन्मुक्तता का अहसास दिलाता है: कल्कि कोचलिन

0

अभिनेत्री कल्कि कोचलिन का कहना है कि जब भी वे अकेले भ्रमण पर निकलती हैं तो वह अनुभव उन्हें उन्मुक्तता का अहसास दिलाता है। जब वे 18 वर्ष की थीं तब पहली बार अकेले भ्रमण पर निकली थीं।
32 वर्षीय कल्कि ने बताया, ‘यह बहुत जरूरी है कि महिलाएं अकेले यात्रा करें। यह आपको सशक्त होने का अहसास दिलाता है। आप अपने लिए चुनना सीखते हैं। आपको जानकार और समझदार होना चाहिए। यह संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है।’ उनके मुताबिक देश के उत्तरी क्षेत्र के मुकाबले दक्षिणी इलाका पर्यटकों के लिए ज्यादा मित्रवत है। उन्होंने बताया कि किसी भी स्थल की खूबसूरती का आनंद उठाने के लिए वे यात्रा पर अपने फोन को लेकर नहीं जाती हैं।
फिलहाल वे फॉक्स लाइफ के लिए एक यात्रा कार्यक्रम कर रही हैं जिसका नाम है ‘कल्किज ग्रेट एस्केप’। इस शो में पूर्वोत्तर क्षेत्र का उनका यात्रा वृतांत दिखाया जाएगा। इस शो में उनके पिता जोएल कोचलिन भी नजर आएंगे। इसके लिए पिता और पुत्री ने असम, मेघालय और अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की है। कल्कि ने कहा, ‘पूर्वोत्तर की सबसे अच्छी बात वहां के लोगो का खुलापन है। वहां का समाज महिलाओं के प्रति काफी उदार है।

‘बरेली की बर्फी’ में ठेठ गंवई अंदाज में दिखाई देंगे आयुष्मान खुराना

0

मुंबई: आने वाली फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ में अभिनेता आयुष्मान खुराना ठेठ गंवाई अंदाज में दिखाई देंगे और शारीरिक रूप से हिष्ट-पुष्ट किरदार को निभाएंगे।
आयुष्मान ने कहा, ‘फिल्म में मेरा हुलिया गंवई होगा। मुझे मसल्स दिखाने होंगे। ‘मेरी प्यारी बिंदु’ के लिए मैंने वजन घटाया था।’ उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि में बन रही इस रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म में 32 वर्षीय आयुष्मान एक प्रकाशक के किरदार में दिखाई देंगे।
उन्होंने कहा, ‘फिल्म का किरदार एक मजबूत आदमी का है। कई बार आप इस तरह के लोगों से मिलते हैं।’’आयुष्मान के मुताबिक उन्होंने फिल्म के किरदार को अदा करने के लिए उस तरह के लोगों से मुलाकात की। फिल्म का निर्देशन अश्विनी अय्यर तिवारी ने किया है जिसमें कृति सैनोन और राजकुमार राव भी मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे।

धोनी की बायोपिक फिल्म रचेगी इतिहास ?

0

मुंबई: देश के सफल क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी के जीवन पर आधारित फिल्म ‘एम एस धौनी : द अन्टोल्ड स्टोरी’ बड़े पैमाने पर 60 देशों के 4,500 स्क्रीन्स पर रिलीज होगी। फिल्म के निर्माता व फॉक्स स्टार स्टूडियोज के सीईओ विजय सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘एम एस धौनी : द अन्टोल्ड स्टोरी’ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भारत में किसी भी भारतीय फिल्म के लिए बड़े पैमाने पर रिलीज होने वाली फिल्म बनने जा रही है। यह बड़े पैमाने पर तमिल और तेलुगू (डब करके) में रिलीज होने वाली भी पहली हिंदी फिल्म होगी।

unnamed-8

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में फिल्म की अभूतपूर्व मांग और निश्चित समय में विभिन्न भाषाओं में प्रिंट उपलब्ध कराने की मजबूरी के चलते फिल्म पंजाबी और मराठी भाषा में रिलीज नहीं हो सकेगी। फिल्म अभी से ही सुर्खियां बटोर रही है, जिससे फिल्म के निर्माता अरुण पांडे और निर्देशक नीरज पांडे बेहद खुश हैं। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत धौनी की भूमिका में हैं। इस साल की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक ‘एम एस धौनी : द अन्टोल्ड स्टोरी’ 30 सितम्बर को रिलीज होगी।

फ़रिश्ते निकले : देवी और पतिव्रता स्वरूप को खारिज करके भी महिला नायिका बन सकती है

0

किताब – फ़रिश्ते निकले
लेखिका – मैत्रेयी पुष्पा
प्रकाशन – राजकमल
कीमत – 935 रुपये

स्त्री को चूंकि प्रेम और सौन्दर्य से ही जोड़कर देखा जाता है इसलिए उनसे प्रेम और सौन्दर्य के इर्द-गिर्द ही बेहतर रचने की भी अपेक्षा की जाती है. लेकिन अनुभव के विस्तार ने बहुत सारी लेखिकाओं को प्रेम से इतर विषयों पर लिखने को भी प्रेरित किया है. मैत्रेयी पुष्पा हिन्दी साहित्य की एक ऐसी ही लेखिका हैं जिनके लेखन में प्रेम तो रहा लेकिन महिलाओं का गुस्सा, सपने, संघर्ष और सवाल भी उसी तीव्रता के साथ दर्ज हुए हैं. मैत्रेयी का नया उपन्यास ‘फ़रिश्ते निकले’ ऐसी ही नायिका बेला बहू की कहानी है जो प्रेम में तबाह होकर ऐसी ऊंचाई पर पहुंचती है कि दूसरों का आसरा बन सके.
यह उपन्यास मूलतः बेला बहू नाम की नायिका के ‘फूलन देवी’ जैसी शख्सियत बनने के इर्द-गिर्द घूमता है. मैत्रेयी अनेक उदाहरणों से साबित करती हैं कि उपन्यास में आए सभी मुख्य पात्र, जो कि समाज की नजरों में हत्यारे, डकैत और अपराधी हैं, असल में फरिश्ते हैं. संभवतः इसी कारण उपन्यास का नाम ‘फरिश्ते निकले’ रखा गया होगा. मैत्रेयी की लगभग सभी कथा-कहानियों के महिला पात्र एक तरह से बागी होते हैं. उनके लेखन की कुछ खासियतों में से एक यह है कि उनके गांव-देहात की महिला पात्र शहरी महिला पात्रों से कहीं ज्यादा आधुनिक, सशक्त और प्रगतिशील होती हैं. जैसे इस उपन्यास की मुख्य पात्र बेला बहू एक स्थान पर कहती है, ‘सब पुराने बखेड़ा हैं. पंडित, पुजारी और बाबा-सन्तन के तमाम जाल फैले हैं. पूरे बारह साल भक्ति करके देख ली. समझो कि साधु-सन्त और पुजारी महराजों में बरबाद भए. पुन्न-धरम के तमाम टटरम करते-करते बिलात जमा-पूंजी बहा दी. देवी जागरण, साधु सेवा, बरत उपास और तुम्हारे जन्तर-मन्तर सब धोखाधड़ी लगे हमें तो.’
महिला के ऊपर जो नैतिकता के एकतरफा दबाव हैं, मैत्रेयी बहुत साफ-सीधे तरीके से उनकी चीर-फाड़ करती हैं – ‘बेला बहू! परिवार की पोल खुलेगी लेकिन तुम्हारा चाल-चलन तो जितना भी खुलेगा, लोगों की दिलचस्पी की चीज होगी. समाज हो, या साहित्य या कि राजनीति, इनमें आनेवाली स्त्री ‘कैची पॉइंट’ मानी जाती है. मर्दों के चरित्र को कौन देखता है.’
इतिहास में जिन महिला पात्रों या घटनाओं का बहुत महिमामंडन किया गया है और जिन्हें बहुत हेय नज़र से देखा गया है, मैत्रेयी ने दोनों ही तरह की घटनाओं और पात्रों का पुनर्पाठ किया है. वे समाज द्वारा परिभाषित किए गए महिलाओं के देवी और पतिव्रता स्वरूपों को सिरे से खारिज करती हैं – ‘ राजा दशरथ अपना प्रण भूल गए मगर कैकेयी भी भूल जाती यह जरूरी था क्या? बात तो यहीं आकर खटकती है कि वे भी अपने हक को क्यों नहीं भूलीं?… आत्मा की आवाज पर रानी ने राजा की योजना का विरोध किया. पति एवं राजा की विरोधिनी स्त्री अच्छी नारी कैसे मानी जा सकती है? न मानी जाए,… बिन्नू, हम तो जो कुछ समझे हैं, जिन्दगानी ने समझा ही दिया है. अब तो तुम समझो कि हम जिन्दगी को क्या-क्या समझा चुके हैं. दुनिया को बता चुके हैं कि खिताब-मिताब हमारे काम के नहीं. सती, देवी, पतिव्रता, आज्ञाकारिणी, अर्धांगिनी और अनुगामिनी जितने भी ‘अच्छे-अच्छे’ नाम हमने किताबों में पढ़े हैं, सब फरेबी हैं.’
मैत्रेयी के इस उपन्यास में मर्दों की नजर से महिलाओं को भोग की वस्तु समझी जानेवाली छवि कहीं-कहीं बिल्कुल मंटो से मिलती है. यहां तक कि कई जगह पत्नियों के वर्णन पढ़ते-पढ़ते मंटो के वैश्याओं के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द ‘गोश्त’ की याद आ जाती है – ‘मगर खातिरदारी अब बेला की हो रही थी. दूध छुहारे औटाकर, बादाम का हलुआ बनाकर, घी में मखाने तलकर वैद्यजी ने खुराक के रूप में देने के लिए कहा था, जिसके लिए एक औरत का इन्तजाम किया गया. खुराक नहीं खाएगी तो देह पूरी जवान कैसे होगी?… शुगर सिंह जब न तब देह की नाप-तोल करता. वह बकरा, मुर्गा और सुअर की तरह शरीर पर गोश्त चढ़ने के लिए पाली जा रही थी.’
मंटो ने जैसे वैश्याओं की भयंकर दास्तान को दर्ज किया मैत्रेयी ने देश के गांव-देहात की हर दबी-कुचली महिला की तकलीफ, दमन, दैहिक और भावनात्मक शोषण को जबान दी है – ‘बेला बहू, यह खबर हमें भी झूठी नहीं लगी क्योंकि हम ऊंटेरे हैं, जहां भी जाते हैं, ऐसी अनहोनी, घिनौनी और भयानक खबरें सुनते हैं. लगता है, पूरा मुलक लड़कियों, जनानियों और बेहोश देहों और लाशों से पटा पड़ा है जिनके आसपास चील-गिद्ध मंडरा रहे हैं.’
‘जो सदा रौंदी गई बेबस समझकर, वही मिट्टी एक दिन मीनार बनती है’ यह पंक्ति मैत्रेयी की नायिकाओं पर सटीक बैठती है. लेखिका के बाकी उपन्यासों और कहानियों की तरह इस उपन्यास की नायिका भी प्रेम में वैसे ही महकती है जैसे मिट्टी पहली बारिश में सौंधी खुशबू बिखेरती है. लेकिन प्रेम की आड़ में किए गए छल और दमन में ऐसी नायिकाएं मरती-खपती नहीं बल्कि बेला बहू जैसी बागी बनती हैं. इन्हें समाज तो नहीं अपनाता लेकिन ये समाज के लिंगभेद, जातिभेद, वर्गभेद और इंसानियत पर किसी भी तरह के जुल्म के खिलाफ अपनी ही तरह से आवाज उठाती हैं – ‘जो बच्चे हैं या पन्द्रह-सोलह साल के किशोर हैं, वे बड़े होकर दौलत कमाने, दहशत दिखाने या दलबन्दी करके राजनीति पर कब्जा जमाने वाले नहीं होंगे. वे बेला बहू के स्कूल में लाए जाएंगे, सिखाए जाएंगे कि अपने वतन के लिए अच्छे-से-अच्छे सपने क्या होते हैं, कि भाईचारा क्या होता है, कि लड़की और लड़के में समानता जरूरी है. वह तुम्हारी साथी है, शिकार नहीं. डर दहशत जैसे भयानक भावों के लिए जगह नहीं बचेगी.’
इस उपन्यास में चंबल की महिला बागियों की जीवन कथा भी है और लोहापीटाओं का ऐतिहासिक और सामाजिक वर्णन भी. उपन्यास कई मसलों पर समाज और सरकार के दोहरे रवैये की कलई भी खोलता है. कैसे समाज महाराणा प्रताप पर तो गर्व करता है लेकिन महाराणा प्रताप के वंशज लोहापीटाओं को अपराधी मानता है.
उपन्यास पढ़ते-पढ़ते कई जगह पाठकों को फिल्म ‘पानसिंह तोमर’ की सहज ही याद हो आएगी. उपन्यास कई जगह बेहद त्रासद यथार्थ से गुजरने के बाद भी आशा और उम्मीद का रास्ता नहीं छोड़ता. साथ ही पाठकों के मन में समाज को ज्यादा मानवीय दिशा की तरफ ले जाने की छटपटाहट भी पैदा करने की कोशिश करता है. यह मैत्रेयी की सशक्त लेखनी का बल है कि वे कई जगह मंटो का आधुनिक महिला संस्करण लगती हैं. कुल मिलाकर ‘फ़रिश्ते निकले’ एक पठनीय उपन्यास है.

किताब किसे पढ़नी चाहिए –

1. जो समाज में बागी बनी लड़कियों और लोहापीटाओं की जिंदगी की मुश्किलें जानना चाहते हों.
2.उन लड़कियों को खासतौर से जो प्रेम में धोखा खाई हैं या बलात्कार की शिकार हुई हैं, ताकि वे जान सकें कि इसके बाद भी जीवन में आगे बढ़ने के बहुत रास्ते हैं.

लोकप्रिय खबरे