हैदराबाद: तेलंगाना की सत्ता पर क़ाबिज़ तेलंगाना राष्ट्र समिति ने GHMC चुनाव में उम्मीद के मुताबिक़ प्रदर्शन नहीं किया है. हालाँकि पार्टी इस बार भी शहर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 150 सीटों वाली म्युनिसिपल कारपोरेशन में तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 55 सीटों पर जीत हासिल की और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. दूसरे नंबर पर भाजपा ने 48 सीटों पर जीत हासिल की वहीं आल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 44 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस को भी दो सीटों पर जीत हासिल की.
टीआरएस की परफॉरमेंस पिछली बार की तुलना में कमज़ोर होना पार्टी के लिए विचार का विषय है. इस सिलसिले में पार्टी की वरिष्ठ नेता के. कविता ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा,”अभी इसमें वक्त लगेगा. पहले हमलोग उस पर चर्चा करेंगे, फिर फैसला करेंगे.” उन्होंने कहा कि इस चुनाव के ज़रिए उन्हें ये मालूम चल गया है कि भाजपा कैसे चुनाव लड़ती है और उसे कैसे रोका जा सकता है.
उन्होंने कहा, “भाजपा ने दिग्गज नेताओं को लोकल चुनावों में उतारकर मतदाताओं को भ्रमित किया है. हर जगह आक्रामक होने के लिए यह भाजपा की रणनीति है. हम अब भाजपा की रणनीति को समझ चुके हैं और आगे यह सुनिश्चित करेंगे कि हम 2023 के विधानसभा चुनाव में उनसे भी एक कदम आगे रहें. सीएम की बेटी ने कहा, “हमारी पार्टी कमजोर नहीं है. हम 60 लाख सदस्यों वाली एक अच्छी और संगठित पार्टी हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम उनसे एक कदम आगे हैं, 2023 का विधान सभा चुनाव बेहतर ढंग से लड़ेंगे.”
टीआरएस नेता ने कहा, “हम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही भाजपा को रोकने में कामयाब रहे हैं. बाकी देश टीआरएस से यह सीख सकते हैं कि हैदराबाद ने कैसे भाजपा को रोकने का रास्ता दिखाया है.” आपको बता दें कि 2016 के GHMC चुनावों में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति ने 99 सीटें जीती थीं और मेयर पद पर कब्जा जमाया था. तब बीजेपी को सिर्फ 4 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 सीटें मिलीं थीं. बीजेपी ने धुआंधार प्रचार और हिन्दू कार्ड खेलते हुए हैदराबाद में जबर्दस्त जीत दर्ज की है और अपनी ताकत 12 गुना बढ़ाई है.