नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल में भी हुआ भारी प्रोटेस्ट…

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नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित करा लेने पर केंद्र सरकार भले ही अपनी वाहवाही करे, और पीठ ठोंके, लेकिन सच तो यह है कि इसे लागू करना सरकार के लिए अब तक का सबसे मुश्किल काम साबित होने जा रहा है। क्योंकि इस विधेयक के पारित हो जाने की ख़बर से देश के अधिकतर राज्य हिंसा और विरोध प्रदर्शनों की चपेट में हैं। असम और पूर्वोत्तर राज्य इस बिल के विरोध प्रदर्शन की आग में झुलस रहे हैं। असम के 12 ज़िले अनिश्चितकालीन कर्फ्यू के साए में हैं। इसके अलावा वहां इंटरनेट और एसएमएस पर भी रोक लगा दी गई है।

पश्चिम बंगाल भी इस विधेयक के विरोध की आग में जल उठा है। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड़ और पुलिस से झड़प की। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के बेलडांगा रेलवे स्टेशन परिसर में आग लगा दी गई। रेलवे सुरक्षा बल के जवानों पर हमला किया गया। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा ज़िले में उलूबेरिया रेलवे स्टेशन पर पटरी को अवरुद्ध करने के बाद परिसर और कुछ ट्रेनों में तोड़फोड़ की। जिससे ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा कर दी है कि वह किसी भी हाल में इस विधेयक को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कह दिया है कि वह इस बांटने वाले विधेयक को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। इसके अलावा केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी इस विधेयक को अस्वीकार कर दिया है।

साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे भेदभाव भरा और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जनता का ध्यान भटकाने वाला बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का इस विभाजनकारी क़ानून पर जो रुख़ होगा , वही रुख़ मध्यप्रदेश का होगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के रुख़ का समर्थन किया है। पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में अरुणाचल प्रदेश में छात्रों ने परीक्षाओं का बहिष्कार किया और सड़कों पर उतर आए। राजीव गांधी विश्वविद्यालय और छात्रसंघ स्टूडेंट यूनियन ऑफ एनईआरआईएसटी के नेतृत्व में हज़ारों प्रदर्शनकारी लगभग 30 किलोमीटर तक विश्वविद्यालय से राजभवन पहुंचे।

असमी समुदाय समेत स्थानीय लोगों ने इस बिल के विरोध में रैली की और राज्यपाल बी.एस.मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा। जिसके माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, ‘हम नागरिकता क़ानून का विरोध करते हैं, और चाहते हैं कि तत्काल उसे वापस लिया जाए। यह क़ानून इस क्षेत्र को धर्म के आधार पर बांट देगा, और मूल लोगों का अस्तित्व संकट में डाल देगा। पूर्वोत्तर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया है। इससे पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन और गृह मंत्री असदुज्जमां ख़ान ने भी अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था।

आधे से ज़्यादा भारत इस नागरिकता संशोधन बिल के विरोध की आग के चपेट में है। और अब देश की राजधानी दिल्ली भी इस नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में मुखर हो उठी है। दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस और छात्रों के बीच हिंसक झड़प की ख़बर है। छात्र विरोध प्रदर्शन करते हुए संसद भवन तक जाना चाह रहे थे। पुलिस और छात्रों के बीच हुई झड़प के बाद 42 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस के मुताबिक 12 पुलिस के जवान छात्रों के साथ हुई हिंसक झड़प में घायल हुए हैं। जिनमें से 2 पुलिस के जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं और आईसीयू में भर्ती हैं। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार इस हिंसक झड़प में 100 छात्र घायल हुए हैं।

जिनमें लगभग एक दर्जन छात्र गंभीर रूप से घायल हैं। झड़प की ख़बर सुनकर आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ख़ान ने मौके पर पहुंचकर हालात संभालने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जबकि छात्रों का कहना है कि पुलिस ने उन पर आंसू गैस का प्रयोग किया। छात्रों ने पुलिस पर पथराव भी किया। इस बीच गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने दिल्ली में कहा है कि, राज्यों को संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत बने क़ानून को ख़ारिज करने का अधिकार नहीं है।