अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) विनोद कुमार तिवारी ने भागलपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के रसुल्ला गांव में मॉब लिंचिंग में हुई हत्या के जुर्म में 8 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है। इसके अलावा उन पर 25-25 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। और जुर्माना ना देने की स्थिति में आरोपियों को 3 महीने की अतिरिक्त सज़ा भुगतनी होगी। ज़िला कोर्ट से आरोपियों की ज़मानत ख़ारिज होने के बाद हाईकोर्ट में अपील की गई थी। लेकिन,हाईकोर्ट ने अपील को ख़ारिज करते हुए निचली अदालत को जल्द से जल्द ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था।
कोर्ट में इस मामले के फ़ैसले को सुनने के लिए भारी संख्या में आरोपी पक्ष की महिलाएं एवं पुरुष आए थे। जिसकी वजह से सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। महिला पुलिस की भी बड़ी संख्या में तैनाती की गई थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान नौ लोगों ने गवाही देते हुए घटना का समर्थन नहीं किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपियों को भीड़ द्वारा हत्या करने में दोषी पाया गया, और उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई। कोर्ट के सज़ा सुनाए जाने के बाद महिलाएं कुछ बोलना चाह रही थीं। लेकिन उनके वकील ने उन्हें रोकते हुए कहा कि कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करना चाहिए। और न्याय का दरवाजा भी बंद नहीं हुआ है। और फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।
पूरा मामला 6 जनवरी 2017 का है। 6 जनवरी 2017 को चोरी के आरोप में उमेश मंडल के पुत्र नंदकिशोर मंडल (18 साल) को पीट-पीटकर अधमरा कर के बगीचे में फेंक दिया गया था। गंभीर स्थिति में नंदकिशोर को शाहपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। लेकिन मॉब लिंचिंग के शिकार युवक की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल को रेफर कर दिया था। जहां इलाज के दौरान सुबह क़रीब 11 बजे युवक ने दम तोड़ दिया था। पुलिस ने अपनी जांच में सभी आरोपियों को दोषी पाया। और 22 जनवरी 2017 को आरोपियों के ख़िलाफ़ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। घटना का कारण पंचायत चुनाव को लेकर आरोपियों से विवाद बताया गया था।