भारत में कोरो’ना संकट के चलते अभी सभी स्कूलों और कॉलेजों के दाखले भी बंद है और सभी तरह की पढ़ाई ऑनलाइन हो इस बात पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसी के चलते राजिस्थान में भी सरकारी स्कूलों के हालात भी सुधारने की कोशिश हो रही है। लॉटरी सिस्टम की मदद से सरकारी स्कूलों में दाखले कराए जा रहे हैं और वही प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकार ने सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की पहल की है। इन स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। राजिस्थान के हर जिले में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए थे। अब इन स्कूलों में एडमिशन के लिए अंबार लगा हुआ है। इस के चलते प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी अब इन स्कूलों में एडमिशन पाना चाहते हैं। अब एडमिशन के लिए बच्चों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इसके लिए अब लॉटरी सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। जयपुर के मानसरोवर स्थित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल में 100 सीटों पर एडमिशन के लिए कुल 1600 आवेदन आए हैं। यानी हर 16 में से केवल एक भाग्यशाली स्टूडेंट का ही स्कूल में दाखिला हो पाएगा।
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल जो कि जयपुर के मानसरोवर में स्तिथ है। उसमे पहली कक्षा में एडमिशन के लिए शनिवार को लॉटरी निकाली गई। पहली कक्षा की 30 सीटों के लिए कुल 150 आवेदन आये। इसका मतलब है कि हर 5 स्टूडेंट्स में से सिर्फ एक का है एडमिशन हो पायेगा। जिसको देखते हुए महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल की प्रिंसिपल अनु चौधरी का कहना है कि, बड़ी संख्या में अभिभावक डॉक्यूमेंट्स के अभाव में आवेदन नहीं कर पाए। इसलिए यह संख्या कम है वरना आवेदनों की भरमार हो जाती। लॉटरी सिस्टम के ज़रिए एडमिशन होने वाले बच्चों के माँ बाप का कहना है कि जहाँ हम प्राइवेट स्कूल्स में महंगी फीस से परेशान हैं। वहीं उन्हें विश्वास है की सरकारी स्कूल भी बच्चों को अच्छी तालीम देने में कामियाब रहेंगें। इसी के चलते महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल में तीसरी क्लास की सिर्फ 3 सीटों के लिए 63 आवेदन आए हैं। वहीं छटी क्लास के लिए कोई सीट नही है उसके लिए फिर भी 62 आवेदन आ गए। इस बात से अंदाज़ लगाया जा सकता है कि स्कूल में दाखिले की दौड़ कितनी बड़ी है।
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल की प्रिंसिपल अनु चौधरी के द्वारा ये बात बताई गई के पिछले साल ही ये सरकारी स्कूल हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम हुआ है। हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम में बदलने का प्रभाव ये पढ़ा कि यहां छात्रों की संख्या बढ़ कर तीन गुना हो गई और अब यहां एडमिशन के लिए मारा-मारी मची हुई है। प्रिंसिपल अनु चौधरी का कहना है कि, लॉ’कडा’उन की वजह से भी आवेदनों की संख्या इस बार ज्यादा है। लॉ’कडा’उन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है और प्राइवेट स्कूल फीस में रिया’यत देने को तैयार नहीं है। इसी के चलते लोग अपने बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराना चाहते हैं। वही इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ शिक्षा में अच्छे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहे इस सरकारी स्कूल के चर्चे अब खूब हैं, लिहाज़ा यहां एडमिशन के लिए आवेदनों का अंबार लगा है।