इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी की शिकायत पहले भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी हर बार यही दलील दी गई कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की जा सकती या उसे हक नहीं किया जा सकता है। लेकिन अब एक बार फिर से इस बहस ने तूल पकड़ लिया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है।
याचिकाकर्ता ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों में सामने आई सभी गड़बड़ियों की जांच की मांग की है। साथ ही ये भी मांग की गयी है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए, कि वह किसी भी चुनाव के अंतिम फ़ैसले की घोषणा के पहले वोट डेटा का वास्तविक और सटीक सामंजस्य स्थापित करें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में चुनाव आयोग (EC) पर सवाल उठाते हुए कहा गया है, कि डेटा में कई बदलाव गड़बड़ियों को छिपाने का एक प्रयास भी हो सकता है।
ख़बर के मुताबिक विशेषज्ञों की टीम ने याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गड़बड़ियों पर शोध किया। यह शोध दो दिनों 28 मई और 29 जून 2019 को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के साथ-साथ ‘माय वोटर्स टर्नआउट ऐप’ पर आधारित था। इस याचिका में कहा गया है, कि इन दो आंकड़ों पर ये निष्कर्ष निकला है कि, 542 निर्वाचन क्षेत्रों में 347 सीटों पर मतदान और मतगणना में विसंगतियां थीं। विसंगतियां एक वोट से 1,01,323 वोटों तक हुई हैं। 6 सीटें ऐसी हैं, जहां वोटों में विसंगति जीत के अंतर से अधिक है। विसंगतियों के कुल वोट 7,39,104 हैं।