दुनिया भर के सभी लोगों को कोरोना संकट ने परेशान कर रखा है। कई वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन को तैयार करने में लगे हुए हैं। तो वहीं दूसरी ओर सरकार नई गाइडलाइन के जरिए इसको फैलने से रोकने की कोशिश कर रही हैं। कई रिसर्चर्स का कहना है कि अधिक और सबसे कम उम्र के लोगों को इस वायरस का खतरा ज़्यादा है। WHO का कहना है कि 20 साल से कम उम्र के लोगों को इसका खतरा ज़्यादा नहीं है। संस्था का कहना है कि इसकी एक ख़ास वजह उनकी इम्युनिटी है। जबकि उनका कहना ये भी है कि दुनिया भर में संक्रमण को फैलाने में इस उम्र के लोग सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं।
उन्होंने बताया कि दुनिया भर के आंकड़ों के मुताबिक इस उम्र के मरीजों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है और वहीं दुनिया भर में इस वायरस से इनके मरने का आंकड़ा भी काफी कम है। यह मात्र 0.2 प्रतिशत है। हालांकि बच्चों के लिए ये वायरस काफी ख़तरनाक है। जिसके चलते WHO ने कहा कि अभी इस बात को साबित करने के लिए और रिसर्च करने की जरूरत है। दुनिया भर में बच्चों के प्रभावित होने पर यूनिसेफ (UNICEF) की एग्जीक्युटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोरे ने कहा कि “192 देशों में आधे से ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. महामारी ने इन पर गंभीर असर डाला है।”
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में लगभग 16 करोड़ से अधिक स्कूल जाने वाले बच्चे घरों में बैठे हैं और काफी हद तक टीवी, इंटरनेट या ऐसे ही दूसरे किसी तरह से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर WHO के डायरेक्टर जनरल ट्रेडोस गेब्रेसिएस का कहना है कि इस महामारी में स्कूलों को बंद करना सबसे आखिरी फैसला होना चाहिए। स्कूलों को केवल उन इलाकों में बन्द करने था जहां संक्रमित का खतरा ज़्यादा हो। खबर है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में कड़े नियमों के साथ स्कूल खोलने का फैसला लिया है।