उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम कपाट बंद होने का मुहूर्त तय, शीतकाल काल के लिए इस दिन बंद होंगे कपाट

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चमोली/रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा अब संपन्न होने की ओर बढ़ रही है। इस साल शीतकाल के लिए धामों के कपाट बंद करने की तिथि और मुहूर्त का ऐलान कर दिया गया है। बदरीनाथ धाम मंदिर के कपाट 18 नवंबर को दोपहर साढ़े 3 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। धाम में अब तक 16 लाख से अधिक श्रद्धालु ददर्शन कर चुके हैं।

विजयादश्मी पर्व पर 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथियां शीतकालीन गद्दी स्थलों में पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गई हैं। भगवान केदारनाथ के कपाट 15 नवंबर को (भैयादूज पर्व) वृश्चिक लग्न में सुबह 8ः30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी और लिनचोली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी।

16 नवंबर को पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से रवाना होकर शेरसी, बडासू, फाटा, नारायण कोटी और नाला सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी. इसके बाद 17 नवंबर को पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गुप्तकाशी से रवाना होकर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।

वहीं, भगवान तुंगनाथ के कपाट 1 नवंबर को 11 बजे धनु लग्न में शीतकालीन के लिए बंद कर दिए जाएंगे और कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। 2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर बनियाकुंड, दुगलविट्टा, मक्कूबैंड हूंडू और बनातोली यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए भनकुंड पहुंचेगी और 3 नवंबर को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी।

भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ आगमन पर शै भोज का आयोजन किया जाएगा। इस बार मद्महेश्वर धाम के कपाट 22 नवंबर को सुबह आठ बजे वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. भगवान मद्महेश्वर के कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर कूनचट्टी, नानौ, खटारा और बनातोली यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी।

23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रासी पहुंचेगी. 24 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली उनियाणा, राऊलैंक और मनसूना यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी और 25 नवंबर को विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा।