पाकिस्तान की मुद्रा रुपये में लगातार जारी गिरावट के कारण पाकिस्तान चुनाव से पहले गंभीर आर्थिक संकट में फँसता दिख रहा है। पाकिस्तानी रुपये का अवमूल्यन इस कदर नीचे आ गया है कि एक अमरीकी डॉलर की क़ीमत 118.7 पाकिस्तानी रुपये हो गई। रुपये में भारी गिरावट से साफ़ है कि क़रीब 300 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है।
भारत से पाकिस्तानी रुपये की तुलना अगर डॉलर की कसौटी पर करें तो भारत की अठन्नी पाकिस्तान के लगभग एक रुपये के बराबर हो गई है। आनेवाली ईद से पहले पाकिस्तान की माली हालत वहां के आम लोगों को काफी निराश करने वाली है। हालाँकि इस मंदी से उबरने के लिए पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले 7 महीने में तीन बार रुपये का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर अभी तक नहीं दिख रहा।
पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने हैं और चुनाव से पहले कमज़ोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी और चालू खाते में घाटे का बना रहना पाकिस्तान के लिए ख़तरे की घंटी है और उसे एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फ़ंड (आईएमएफ) यानी अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष के पास जाना पड़ सकता है। पाकिस्तान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक अर्थशास्त्री अशफ़ाक़ हसन ख़ान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अभी पाकिस्तान में अंतरिम सरकार है और चुनाव के वक़्त में वो आईएमएफ़ जाने पर मजबूर हो सकती है। ख़ान ने कहा, ”अगर हम लोग को लगता है कि केवल रुपये के अवमूल्यन से भुगतान संकट में असंतुलन को ख़त्म किया जा सकता है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।” उन्होंने कहा कि इसके तहत निर्यात बढ़ाना होगा और आयात को कम करना होगा, लेकिन यहाँ की कार्यवाहक सरकार पर्याप्त क़दम उठा नहीं रही है। जबकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार इस स्तर तक कम हो गया है कि वो सिर्फ़ दो महीने के आयात में ख़त्म हो जाएगा।
पाकिस्तान के इस गंभीर आर्थिक संकट को चुनावी मुद्दा बनाकर पूर्व प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ की पार्टी मुस्लिम लीग इस बात का प्रचार कर रही है कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो उसे फिर से सत्ता में लाना होगा।