नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में 19 नए मंत्रियों को शामिल करने के बाद विभागों में फेरबदल करके सबको चौंका दिया है. स्मृति ईरानी की जगह पर प्रकाश जावड़ेकर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है जबकि स्मृति ईरानी अब कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद विस्तार और फेरबदल के तहत मंगलवार रात स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास जैसे अहम मंत्रालय से हटाकर कम अहमियत वाले कपडा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई.
वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार छोड दिया है. हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी और जेएनयू विवाद जैसे वाकयों की वजह से ईरानी का लगभग दो साल का कार्यकाल विवादों में रहा है. बहरहाल, ईरानी को महत्वहीन समझा जाने वाला कपडा मंत्रालय दिए जाने से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं किया गया कि वह 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार का चेहरा बनाए जाने की स्थिति में वह प्रचार के लिए ज्यादा वक्त निकाल सकें. प्रधानमंत्री ने आज अपने मंत्रिपरिषद के विस्तार में 19 नए मंत्रियों को शामिल किया जिनमें भाजपा नेता एस एस आहलूवालिया, एम जे अकबर और विजय गोयल जैसे जानेमाने नाम शामिल हैं.
पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावडेकर को सरकार के इस दूसरे विस्तार में तरक्की देकर कैबिनेट रैंक के मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई. अकबर को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया है. विदेश मंत्रालय में वी के सिंह एक अन्य राज्य मंत्री हैं. शहरी विकास मंत्री एम वैंकैया नायडू को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. हालांकि, उनसे संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है. यह जिम्मेदारी अब रसायन एवं उवर्रक मंत्री अनंत कुमार संभालेंगे. मंत्रिपरिषद में हुए इस फेरबदल में डी वी सदानंद गौडा से कानून एवं न्याय मंत्रालय वापस ले लिया गया. कानून एवं न्याय मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार अब रविशंकर प्रसाद संभालेंगे. गौडा को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय आवंटित किया गया है. जयंत सिन्हा को वित्त राज्य मंत्री के पद से हटाकर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री बनाया गया है. इस पद पर अब तक महेश शर्मा थे. शर्मा अब सिर्फ संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे.
मंत्रिपरिषद में हुए इस फेरबदल में पांच राज्य मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया. पांच मंत्रियों को हटाने और विस्तार के बाद अब मोदी मंत्रिपरिषद में 78 मंत्री हो गए हैं. कैबिनेट मंत्रियों में चौधरी वीरेंद्र सिंह को ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय से हटाकर इस्पात मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की जिम्मेदारी अब नरेंद्र सिंह तोमर को दी गई है. वह पहले खदान एवं इस्पात मंत्री थे. अन्य कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के प्रभार में कोई बदलाव नहीं किया गया. बिजली, कोयला एवं अक्षय उर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को खदान मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है जबकि संतोष कुमार गंगवार को जयंत सिन्हा की जगह वित्त मंत्रालय में भेजा गया है. इससे पहले, गंगवार कपडा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे. अर्जुन राम मेघवाल वित्त मंत्रालय में दूसरे राज्य मंत्री होंगे. पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी संभाल रहे जावडेकर एकमात्र ऐसे मंत्री रहे जिन्हें कैबिनेट रैंक में तरक्की दी गई, जबकि सभी नए मंत्रियों को राज्य मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई. इससे पहले, ऐसी अटकलें थीं कि गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमण को कैबिनेट रैंक में तरक्की दी जाएगी. नए मंत्रियों में विजय गोयल को युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री :स्वतंत्र प्रभार: बनाया गया है. असम के मुख्यमंत्री बनने से पहले इस पद पर सर्वानंद सोनोवाल काबिज थे. अनिल माधव दवे को पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है. भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है जबकि डॉ. एस आर भामरे को रक्षा राज्य मंत्री बनाया गया है.
आहलूवालिया को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. अजय टम्टा (उत्तराखंड), अर्जुन राम मेघवाल (राजस्थान), कृष्णा राज (उत्तर प्रदेश), रामदास अठावले (महाराष्ट्र), रमेश सी जीगाजिनगी (कर्नाटक) उन दलित मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें राष्ट्रपति भवन में आज आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिपरिषद के सहकर्मी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और सहयोगी पार्टियों के नेता मौजूद थे. कांग्रेस का कोई भी नेता इस मौके पर मौजूद नहीं था. जिन अन्य चेहरों को मंत्री बनाया गया उनमें पी पी चौधरी, सी आर चौधरी (राजस्थान), ए एम दवे, फग्गन सिंह कुलस्ते (मध्य प्रदेश), महेंद्र नाथ पांडेय उत्तर प्रदेश) पुरुषोत्तम रुपाला, जे भाभोर और मनसुखभाई मंडाविया (गुजरात), राजेन गोहाईं (असम) और एस आर भामरे (महाराष्ट्र) शामिल हैं. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रपति ने सांवर लाल जाट (जल संसाधन), मोहनभाई कल्याणजीभाई कुंदरिया (कृषि), निहाल चंद (पंचायती राज), मनसुखभाई धानजीभाई वासव (जनजातीय मामले) और राम शंकर कठेरिया (एचआरडी) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
मोदी मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव: स्मृति ईरानी की HRD से छुट्टी
सऊदी अरब: जेद्दाह का आत्मघाती हमलावर निकला पाकिस्तानी
रियाद। सऊदी अरब के जेद्दाह स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के निकट कल आत्मघाती हमला करने वाला पाकिस्तानी नागरिक था। यह जानकारी आज सऊदी अरब के गृह मंत्रालय ने दी ।
संदिग्ध पाकिस्तान हमलावर की पहचान 35 वर्षीय अब्दुल्ला कलजर खान के नाम से की गयी है जो जेद्दाह में अपने अभिभावकों तथा पत्नी के साथ 12 वर्ष से रह रहा था। सऊदी अरब के तीन स्थानों जेद्दाह, मदीना तथा कातिफ में कल आत्मघाती हमले किये गये।
हमलावरों के समेत चार व्यक्तियों की मौत हो गयी। यह हमले रमजान के अंतिम सप्तह में किये गये। इन हमलों की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। हमलों के बाद सऊदी अरब में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है।
ISIS ने हसीना सरकार को बताया 'काफिर,' बांग्लादेश में और हमलों की दी धमकी,
ढाका हमले को अभी एक हफ्ता भी नहीं बीता कि आतंकी संगठन आईएस ने एक वीडियो जारी कर बांग्लादेश को और हमलों की धमकी दी है. इस वीडियो में आईएस ने ‘मुजाहिदों’ और ‘मुजाहिद देशों’ पर भी हमले करने की धमकी दी है.
ये वीडियो रक्का से बांग्ला में आईएस से जुड़ी एक वेबसाइट पर जारी किया गया और बुधवार को इसे यू-ट्यूब पर भी रिलीज कर दिया गया. वीडियो में जिन लोगों को दिखाया गया है, उनमें से तीन बांग्लादेशी मूल के हैं, लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पाई है.
वीडियो में ये लोग कह रहे हैं, ‘हम मुजाहिदों की हत्या करना तब नहीं बंद नहीं करेंगे, जब तक हम जीतेंगे नहीं या अपने धर्म के लिए जान नहीं देंगे. हम शहीद होंगे और शहादत देंगे. हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है.’ वीडियो में एक दूसरा शख्स सरकार को काफिर कह रहा है. वो कहता है, ‘सरकार ने अल्लाह का कानून बदल दिया है और इंसानों का बनाया हुआ कानून लागू कर दिया है इसलिए ये अब काफिर हो गए हैं. हमारे धर्म के मुताबिक ये हमारा फर्ज है कि हम इनके खिलाफ लड़ें. मुजाहिद दुनियाभर में बेगुनाह मुस्लिमों की विमानों और बम धमाकों के जरिए जान ले रहे हैं.’
वीडियो में तीसरा शख्स मुस्लिम भाई-बहनों को जिहाद के लिए आगे आने को कहता है. वो कहता है, ‘इंशा अल्लाह, अल्लाह हमारा जिहाद कबूल करेगा. आईएस ने ढाका हमले की जिम्मेदारी ली थी. हालांकि बांग्लादेश की जांच एजेंसियों ने इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का लिंक भी बताया था.
पिछले हफ्ते ढाका में हुए आतंकवादी हमले की जांच में भारतीय सुरक्षा एजेंसियां बांग्लादेश के साथ मिलकर काम कर रही हैं. इस हमले में 22 लोग मारे गए थे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारतीय एजेंसियां बांग्लादेश के जांच अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि ढाका के राजनयिक इलाके के मशहूर होली आर्टिसन बेकरी में 12 घंटे के बंधक संकट के पीछे की साजिश का पता लगाया जा सके.
गुजरात में डीएनए टेस्टिंग एक बड़ा कारोबार बन गया है
बीती 26 जून को राजकोट में नारन वसोया की गिरफ्तारी ने पूरे गुजरात को हिलाकर रख दिया. उन पर अपने ही बेटे की हत्या करवाने का आरोप है. खबरों के मुताबिक वसोया को लंबे समय से शक था कि उनका 33 साल का बेटा दीपेश उनका नहीं है. आरोप है कि कुछ समय पहले उन्होंने दो लोगों को पांच लाख रु दिए और दीपेश को मरवा दिया.
यह भले ही एक दुर्लभ मामला हो लेकिन, द हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें तो गुजरात में लोगों का अपने पितृत्व पर संदेह कोई विरली बात नहीं है. खबर के मुताबिक बीते कुछ समय के दौरान आधुनिक तकनीक की उपलब्धता बढ़ने के बाद ऐसे लोग अब पितृत्व परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं (लैब्स) का रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि गुजरात में एक के बाद एक डीएनए कलेक्शन सेंटर खुलते जा रहे हैं. मोटा-मोटा अनुमान है कि बीते चार साल में ऐसे 100 सेंटर खुल गए. कई लोकल पैथॉलॉजी लैब्स भी यह सुविधा देने लगी हैं. वे सैंपल लेती हैं और परीक्षण के लिए उन्हें राज्य से बाहर के शहरों में स्थित प्राइवेट डीएनए लैब्स में भेज देती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक डीएनए लैब्स इंडिया से जुड़े रवि किरण बताते हैं, ‘गुजरात में डीएनए टेस्टिंग की मांग लगातार बढ़ रही है जिसके चलते हमें वहां पर नए कलेक्शन सेंटर खोलने पड़े हैं.’ हैदराबाद स्थित इस लैब के गुजरात में 22 कलेक्शन सेंटर हैं. एक अन्य कलेक्शन सेंटर के कर्मचारी बताते हैं कि जागरूरकता और तकनीक की उपलब्धता के चलते बीते दो साल में पितृत्व परीक्षण के मामलों की संख्या लगभग दुगुनी हो गई है. वे बताते हैं कि सौराष्ट्र और अपेक्षाकृत पिछड़े उत्तरी गुजरात के दूर-दराज के इलाकों से भी लोग उनके यहां आ रहे हैं.
हालांकि इसमें अपनी पत्नी पर संदेह करने वाले लोगों की भूमिका ही नहीं है. बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने आईवीएफ तकनीक की मदद से संतान सुख पाया है और अब वे जानना चाहते हैं कि डॉक्टर ने अपना काम ठीक से किया या नहीं. आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिसमें शुक्राणु और अंडाणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है और इसके बने भ्रूण को गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है. गुजरात में आईवीएफ की मदद से माता-पिता बने कई लोग जानना चाहते हैं कि कहीं डॉक्टर ने किसी और का शुक्राणु या अंडाणु तो इस्तेमाल नहीं कर लिया. डीएनए लैब्स के रवि किरण कहते हैं, ‘जिन लोगों ने आईवीएफ पर करीब पांच लाख खर्च कर दिए वे मन की शांति के लिए 13 हजार रु का टेस्ट करवाने के लिए भी तैयार रहते हैं.’
लोगों के ये संदेह निराधार भी नहीं हैं. ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब पितृत्व परीक्षण के बाद पता चला कि फर्टिलिटी क्लीनिक ने अपना काम ठीक से नहीं किया.
गुस्साये गांगुली ने कहा, शास्त्री को बैंकॉक में छुट्टी मनाने नहीं जाना चाहिए था
कोलकाताः भारत के दो पूर्व कप्तानों के बीच चल रहा विवाद आज तब नये मोड़ पर पहुंच गया जबकि सौरव गांगुली ने रवि शास्त्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि वह भारतीय कोच का पद नहीं मिलने के लिये उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो मुंबई का क्रिकेटर ‘खुशफहमी में जी रहा है.’ अनिल कुंबले के मुख्य कोच पद के लिये चुने जाने के बाद शास्त्री ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएससी) के एक सदस्य गांगुली तब उपस्थित नहीं थे जब उनका इंटरव्यू लिया गया जिसे वह अनादर मानते हैं.
इस मामले में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. गुस्साये गांगुली ने आज शास्त्री पर जवाबी हमला बोला. उन्होंने इस पूर्व भारतीय ऑलरांडर की बैंकॉक में छुट्टियां मनाते हुए इंटरव्यू देने पर इस पद को लेकर उनकी गंभीरता को लेकर सवाल उठाये. गुस्साये गांगुली ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उनकी (शास्त्री) टिप्पणी बेहद व्यक्तिगत है. यदि रवि शास्त्री को लगता है कि उनके भारतीय कोच नहीं बन पाने के लिये सौरव गांगुली जिम्मेदार है तो फिर वह खुशफहमी में जी रहा है. ’’
भारत के सबसे सफल कप्तानों से एक गांगुली ने शास्त्री के इस सुझाव पर भड़क गये जिसमें उन्होंने कहा था कि अगली बार जब साक्षात्कार लिये जा रहे हों तो उन्हें उपस्थित होना चाहिए. गांगुली ने कहा, ‘‘इससे मुझे गुस्सा आया कि वह मुझे सलाह दे रहा है कि मुझे इस तरह की बैठकों में उपस्थित होना चाहिए. मैं पिछले कुछ समय से बीसीसीआई की बैठकों का हिस्सा रहा हूं और मैं हमेशा उनके लिये उपलब्ध रहा. रवि को मेरी सलाह है कि जब भारत के कोच और सबसे महत्वपूर्ण पद के लिये चयन हुआ तब उन्हें समिति के सामने होना चाहिए था ना कि बैकाक छुट्टियां मनाते हुए प्रस्तुति देनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक दो समाचार पत्र पढ़े और इसे नजरअंदाज करना चाहा. मुझे बहुत दुख हुआ कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपने विचार रखे. विशेषकर वह जो पिछले 20 साल से बीसीसीआई की प्रत्येक समिति में रहा. दस साल पहले वह कोच के चयन के लिये मेरी पोजीशन में थे. वह सब कुछ जानते थे. मैंने 19 जून को बीसीसीआई को सूचित किया और मुझे आधिकारिक मेल मिला. बीसीसीआई से मंजूरी मिलने के बाद मैं इन मेल की प्रतियां भी बांट दूंगा. ’’
गांगुली ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि वह गंभीर था या नहीं लेकिन मेरा मानना है कि यदि आप खेल का सबसे महत्वपूर्ण पद चाहते हो तो आपको गंभीर होना चाहिए. लेकिन यदि आप सम्मान की बात कर रहे हो तो आपको भी यहां होना चाहिए था. जब तीन सदस्यीय समिति हो और महत्वपूर्ण लोग फैसले लेने से जुड़े हों तो यह केवल सौरव गांगुली का फैसला नहीं होता है. इसलिए ये निजी टिप्पणियां काफी दुखद हैं. ’’
शास्त्री के सार्वजनिक टिप्पणी करने पर गांगुली ने कहा, ‘‘उन्हें थोड़ी परिपक्वता दिखानी चाहिए विशेषकर जबकि वह दस वर्षों से भी अधिक समय से इस तरह की समितियों में हों. ’’
कुंबले के भारतीय कोच के रूप में शुरूआत करने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. जैसे मैंने कहा कि वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. वह भारतीय क्रिकेट का एक चैंपियन है और वह इस टीम को आगे ले जाएगा. ’’
रितिक रोशन स्टारर 'मोहनजोदड़ो' के गानों को रहमान ने दी आवाज
ऑस्कर विजेता संगीतकार ए. आर. रहमान ने आगामी फिल्म ‘मोहनजोदड़ो’ के लिए गाना भी गाया है. आशुतोष गोवारिकर निर्देशित इस फिल्म के लिए रहमान ने गीतों की रचना भी की है.
फिल्म के पहले गाने के रूप में ‘तुम हो’ गाने को जुलाई में रिलीज किया जाएगा, जिसमें रितिक रोशन और पूजा हेगड़े दिखेंगे. रहमान के साथ ‘लगान, ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन इंडिया’, ‘स्वदेश’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके गोवारिकर ने अपने बयान में कहा, ‘मैं पांचवी बार रहमान के साथ काम कर रहा हूं. हम दोनों के लिए काफी अच्छा अनुभव है.’
गोवारिकर ने कहा, ‘हमने कल्पना से काफी कुछ निर्मित किया है और इसके साथ ही हमने शोध के माध्यम से जानकारी हासिल की है और पुरातत्वविदों की भी मदद ली है.’
प्रागैतिहासिक समय की कहानी पर आधारित फिल्म में रितिक और पूजा की प्रेम कहानी दिखाई गई है. निर्देशक ने कहा कि रहमान ने इस दुनिया को सुंदर रूप से निर्मित करने में काफी मदद दी है.
इस फिल्म के निमार्ता सिद्धार्थ राय कपूर और सुनीता गोवारिकर हैं. फिल्म 12 अगस्त को रिलीज होगी.
अमेरिका में बंदूक संस्कृति पर लगाम क्यों नहीं लग सकती?
‘मैंने कुछ महीने पहले कहा था, उससे कुछ महीने पहले भी कहा था और हर बार जब हम गोलीबारी की घटना देखेंगे तो दोबारा कहूंगा. इससे निपटने के लिए हमारा सोचना या प्रार्थना करना ही काफी नहीं है.’
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का यह बयान पिछले साल अक्टूबर में एक कॉलेज में हुई गोलीबारी की घटना के बाद आया था. उन्होंने और भी कई बातें कहीं जिनका मजमून यह था कि अमेरिकी समाज में बंदूक की जो संस्कृति गहरे जम चुकी है उसका इलाज हो. ओबामा कई मौकों पर यह बात कहते रहे हैं. उन्हें अमेरिका में हथियार कानूनों को सख्त बनाने का मुखर समर्थक माना जाता है. लेकिन, दुनिया में सबसे ताकतवर माने जाने वाले इस शख्स की भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं चल पा रही.
हाल में ऑरलैंडो गे-नाइटक्लब में गोलीबारी की घटना के बाद एक बार फिर अमेरिका में बंदूक संस्कृति पर बहस शुरू हो गई है. ऑरलैंडो की घटना में 50 लोग मारे गए थे जबकि 58 अन्य घायल हुए. इसे 9/11 के बाद की सबसे बड़ी हिंसक वारदात कहा जा रहा है.
लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद भी बीते हफ्ते अमेरिकी संसद में शस्त्र नियंत्रण के लिए लाए गए प्रस्ताव बुरी तरह गिर गए. सीनेट में इस संबंध में चार प्रस्ताव पेश किए गए थे, लेकिन चारों ही प्रस्ताव सीनेट में आगे बढ़ाए जाने के लिए जरूरी न्यूनतम 60 वोट हासिल नहीं कर पाए. इनमें से एक प्रस्ताव यह भी था कि किसी व्यक्ति को बंदूक बेचे जाने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच की जाए. इसके अलावा आए प्रस्तावों में पृष्ठभूमि जांच तंत्र के लिए वित्तीय कोष बढ़ाने, आतंकी या अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की पृष्ठभूमि जांचने के लिए ज्यादा समय देने और आतंकी निरीक्षण सूचियों में दर्ज लोगों को बंदूकें न बेचे जाने की बात कही गई थी.
सवाल उठता है कि पूरी दुनिया को झकझोर देने वाली ऐसी घटनाओं के बावजूद अमेरिका में शस्त्र नियंत्रण पर होने वाली चर्चा किसी ठोस मुकाम पर क्यों नहीं पहुंचती.
अमेरिका में बंदूक रखना उतना ही आसान है जैसे भारत में लाठी-डंडा रखना. यहां 88.8 फीसदी लोगों के पास बंदूकें हैं जो दुनिया में प्रति व्यक्ति बंदूकों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा आंकड़ा है. यही वजह है कि प्रति 10 लाख आबादी पर सरेआम गोली चलाने (मास शूटिंग) की घटनाएं अमेरिका में सबसे ज्यादा हैं. 2012 में इनकी दर 29.7 रही. दिसंबर 2012 में सैंडी हुक स्कूल में हुई मॉस शूटिंग के बाद अमेरिका में ऐसी कुल 998 घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें 1105 लोग मारे गए हैं और 3929 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. यहां सिर्फ उन्हीं घटनाओं की बात हो रही है जिनमें चार या चार से ज्यादा लोगों को या तो निशाना बनाया गया था या फिर इतने ही लोगों की जान गई थी. ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा मानी जाती है जो दर्ज ही नहीं हो पाते. मास शूटिंग के अलावा अमेरिका में बंदूक से खुदकुशी के मामले भी सबसे ज्यादा हैं. 2013 में ऐसी 21 हजार से भी ज्यादा घटनाएं सामने आईं.
अमेरिका में बंदूक संस्कृति की जड़ें इसके औपनिवेशिक इतिहास, संवैधानिक प्रावधानों और यहां की राजनीति में देखी जा सकती हैं. कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे अमेरिका का इतिहास आजादी के लिए लड़ने वाले सशस्त्र योद्धाओं की कहानी रहा है. बंदूक अमेरिका के आजादी के सेनानियों के लिए आंदोलन का सबसे बड़ा औजार रही. इसलिए यह नायकत्व और गौरव की निशानी बन गई.
यही वजह है कि जब नागरिक अधिकारों को परिभाषित करने के लिए 15 दिसंबर 1791 को अमेरिकी संविधान में दूसरा संशोधन हुआ तो उसमें बंदूक रखने को एक बुनियादी अधिकार माना गया. इस संशोधन में कहा गया, ‘राष्ट्र की स्वाधीनता सुनिश्चित रखने के लिए हमेशा संगठित लड़ाकों की जरूरत होती है. हथियार रखना और उसे लेकर चलना नागरिकों का अधिकार है जिसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए.’ अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन का भी कहना था कि बंदूक अमेरिकी नागरिक की आत्मरक्षा और उसे राज्य के उत्पीड़न से बचाने के लिए जरूरी है. यही वजह है कि जब भी बंदूकों पर लगाम लगाने की बात होती है तो इसे एक तरह से संविधान पर मंडरा रहे खतरे की तरह पेश किया जाता है.
संवैधानिक व्याख्या को बदलने की अड़चन के बीच अमेरिका की शक्तिशाली हथियार लॉबी भी हथियारों पर नियंत्रण के प्रयासों की मुखर विरोधी है. इनमें नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) नाम सबसे ऊपर आता है. इसका अनौपचारिक नारा ही है कि ‘बंदूकें किसी को नहीं मारतीं, लोग एक-दूसरे को मारते हैं.’ सदस्यों की संख्या 50 लाख होने की वजह से इस संगठन का राजनीतिक वजन भी खासा है. विधायिका के स्तर पर हथियार कानूनों को सख्त बनाने की कोशिशों को रोकने के लिए यह हथियार समर्थक जनप्रतिनिधियों की चुनाव लड़ने और जीतने में मदद करता है. इसने बाकायदा एक ‘पॉलिटिकल विक्ट्री फंड’ बना रखा है. एनआरए सदस्य और अधिकारी इंटरनेट और सोशल मीडिया खूब पर सक्रिय रहते हैं. वे संवैधानिक अधिकार और नागरिक आजादी का हवाला देकर हथियार कानूनों को सख्त बनाने के पैरोकारों की जमकर खिंचाई करते हैं. पिछले साल ओबामा ने इस संगठन का नाम लिए बगैर कहा था, ‘विचार करें कि क्या आपका संगठन आपके विचारों का प्रतिनिधित्व करता है.’
2012 में सैंडी हुक में गोलीबारी की घटना के बाद हथियार कानूनों को सख्त बनाने की दिशा में कुछ ठोस प्रयास हुए थे. लेकिन वे सफल न हो सके. तब भी सीनेट में हथियार कानूनों को सख्त बनाने के प्रस्ताव गिर गए थे. रिपब्लिकन पार्टी के नेता ऐसे बदलाव के मुखर विरोधी हैं. इस समय अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकनों का दबदबा है. एनआरए की तरह वे भी मानते हैं कि बंदूक रखना और इसे लेकर चलना आत्मरक्षा के लिए जरूरी है.
जहां तक आम जनता की बात है तो हथियार कानूनों को सख्त बनाने पर उसकी राय बंटी हुई है. प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण के मुताबिक बीते 20 वर्षों में बंदूक पर नियंत्रण के बजाय जनमानस इस विचार की तरफ ज्यादा झुका है कि बंदूक रखना हर शख्स का अधिकार है. इसमें यह भी पता चला है कि हथियारों का समर्थन करने वालों में श्वेत आबादी (जिसके राजनीतिक रूप से रुढ़िवादी होने की संभावना ज्यादा होती है), रिपब्लिकन या ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने स्नातक तक पढ़ाई नहीं की है. पिछले साल जुलाई में आए इस सर्वेक्षण के मुताबिक सैंडी हुक जैसी घटना ने भी लोगों की सोच में कोई बदलाव नहीं किया है.
साफ है कि जब तक इन हालात में कोई बदलाव नहीं होता तब तक गोलीबारी की ये घटनाएं नियमित अंतराल पर होती रहेंगी. जैसा कि ऑरलैंडो की घटना के बाद अपनी संपादकीय टिप्पणी में अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना था कि आज ऑरलैंडो है तो कल कोई और शहर होगा.
कोई BJP नेता उद्धव ठाकरे को 'शोले' का असरानी बताए, हम बर्दाश्त नहीं करेंगे: शिवसेना
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच पोस्टर वार अब मजाक की हद से आगे बढ़कर जुबानी जंग तक पहुंच गया है. बुधवार को शिवसेना ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि किसी बीजेपी नेता ने उनके प्रमुख उद्धव ठाकरे की तुलना फिल्म ‘शोले’ के जेलर से की है और पार्टी इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.
इससे पहले शिवसेना ने मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का मजाक उड़ाने वाले पोस्टर चस्पां किए और पार्टी की शहर इकाई के प्रमुख आशीष शेलार का दक्षिण मुंबई में पुतला फूंका. पार्टी चीफ के बदले पार्टी चीफ की इस नीति के कारण सत्तारूढ़ गठबंधन के दोनों सहयोगी दलों के बीच की तल्खी और बढ़ गई है.
हालांकि इस ओर केंद्र में सत्तासीन बीजेपी ने भी चेताया है कि यदि शिवसेना नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं पर लगाम कसने में विफल रहता है तो वह माकूल जवाब देने में सक्षम है.
दरअसल, यह पूरा माजरा बीजेपी के प्रकाशन ‘मनोगत’ में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता माधव भंडारी के लेख से शुरू हुआ. आलेख में भंडारी ने शिवसेना को सत्ता से अलग होने की चुनौती दी थी और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की तुलना ‘शोले’ में हास्य कलाकार असरानी की जेलर वाली भूमिका से की थी.
इस तुलना से बौखलाए शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को शहर में ऐसे पोस्टर चस्पां किए, जिसमें अमित शाह और माधव भंडारी ‘शोले’ के किरदारों के परिधान में नजर आ रहे हैं. इसमें अमित शाह को मुख्य विलेन गब्बर सिंह के रूप में दिखाया गया.
शिवसेना ने इसके अलावा बीजेपी शहर ईकाई के प्रमुख आशीष शेलार का पुतला भी दहन किया गया. जबकि कुछ दिनों पहले ही बीजेपी ने शिवसेना को पार्टी नेताओं के पुतला दहन के खिलाफ चेताया था.
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य बीजेपी के सचिव और विधान पाषर्द सुजीत सिंह ठाकुर ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में शिवसेना कार्यकर्ताओं के लगातार उकसावे के बावजूद बीजेपी शांत रही है. अगर कोई इसका दूसरा अर्थ निकाल रहे हैं तो उन्हें स्पष्ट रूप से यह समझना चाहिए कि बीजेपी माकूल जवाब देने के लिए सक्षम है.’
अंधेरी में आग लगने से 5 बच्चों समेत एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत
मुंबई के अंधेरी वेस्ट इलाके में एक दर्दनाक हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई है. यहां बुधवार देर रात एक मेडिकल शॉप में भीषण आग लग गई, जिस कारण उसके ठीक ऊपर पहली मंजिल पर सो रहे 9 लोग आग की चपेट में आ गए. घायलों को अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन सभी की मौत हो गई. दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया.
मामला अंधेरी पश्चिम के जुहू गली का है. मरने वालों में दो महिलाएं, एक पुरुष और पांच बच्चे शामिल हैं. बताया जाता है कि देर रात किसी समय मेडिकल स्टोर में आग लगी. अंदर रखी दवाओं और केमिकल्स की वजह से आग ने जल्द ही भवायह रूप अख्तियार कर लिया. देखते ही देखते स्टोर के ऊपर पहली मंजिल भी आग की चपेट में आ गई. आस-पास के लोग भी सो रहे थे, इसलिए किसी को इस घटना की खबर नहीं लगी.
बाद में जब लोगों के चीखने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दी तो पड़ोसियों की नींद खुली. सभी ने अपने बूते आग बुझाने की कोशिश शुरू की और फायर स्टेशन को फोन किया गया. दमकल की गाड़ियां भी समय से पहुंचीं, लेकिन जब तक ऊपर सो रहे लोगों को निकाला जाता वो बुरी तरह झुलस चुके थे. आनन फानन में सभी आठ पीड़ितों को कूपर अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
पुलिस ने बताया कि आग लगने के कारणों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है. लेकिन शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट की आशंका जाहिर की जा रही है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.
उत्तराखंड के मुख्य सचिव को मिली PM मोदी की शाबाशी
सौर पंप कार्यक्रम में भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने वाले दस राज्यों में उत्तराखंड ने भी अपनी जगह बनाई है। इस दिशा में हुए बेहतर काम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की तारीफ की। वे बुधवार को देशभर के सभी मुख्य सचिवों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए रूबरू थे।
मोदी ने यह भी कहा कि बिजली या डीजल से चलने वाले ज्यादा से ज्यादा पंप सेट को सौर ऊर्जा में परिवर्तित किया जाए। इसके अलावा उन्होंने तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अलावा आपदा प्रबंधन की तैयारियों के बारे में मुख्य सचिव से जानकारी ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह से प्रगति (प्रोएक्टिव गवेर्नेस एंड टाइमली इप्लीमेंटेशन) के तहत जोशीमठ में बन रही तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के बारे में जानकारी ली।
मुख्य सचिव ने बताया कि 3846 करोड़ रुपये से निर्माणाधीन 520 मेगावॉट की रन ऑफ द रिवर परियोजना से उत्तर भारत के राज्यों को बिजली मिलेगी। इसमें 130 मेगावाट क्षमता की चार यूनिट होंगी। एनटीपीसी को जोशीमठ के भलगांव में चुगान की अनुमति उत्तराखंड सरकार ने दे दी है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के इको सेंसिटिव जोन के परिसीमन को हटाने (डीलिमिटेशन) के बारे में कैबिनेट में फैसला हो गया है। इसे मंजूरी के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ को भेजा जा रहा है। बताया गया कि इस परियोजना में 12 किमी की सुरंग बननी थी। सात किमी सुरंग बन चुकी थी लेकिन दैवीय आपदा के दौरान यह क्षतिग्रस्त हो गयी।
इसे दोबारा बना लिया गया है। शेष सुरंग बनाने का कार्य चल रहा है। राज्य सरकार ने 29000 निजी नलकूपों को सौर पंप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है। इसकी अनुमानित लागत 1362 करोड़ रुपये है। बाढ़ से बचाव की तैयारियों के बारे में मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य ने फ्लड प्लेन जॉनिंग एक्ट-2013 बनाकर लागू किया है।
इसके तहत बाढ़ संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। पर्वतीय नदियों से गाद देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की नदियों में जमा होे जाती है। इन जनपदों में नदियों में जमा गाद को हटाने के लिए चुगान की अनुमति दी गई है। एसडीआरएफ के 425 जवान सात संवेदनशील स्थानों पर तैनात हैं। इसके अलावा 107 रेस्क्यू टीम भी तैयार हैं। सभी जनपदों में राहत एवं बचाव कार्य की मॉक ड्रिल कर ली गई है।