एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब शिवसेना ने पार्टी का मुखपत्र सामना जारी किया है। जिसमें पार्टी ने फिर एक बार एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस को निशाना बनाया है। साथ ही इसमें आरोप लगाया गया है कि ये सब भाजपा की सोची समझी साजिश थी, जिसमें राज्यपाल ने भी अपना समर्थन दिया। उन्होंने राज्यपाल पर भी शक्तियों का अप्रत्यक्ष रूप से गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया। सामना में कहा गया कि “महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ शिंदे की बगावत से बड़ा भूकंप, पिछले 9 दिनों में तब आया, जब एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा कहने वाले धराशायी हो गए।”
साथ ही आरोप लगाया गया कि “महाराष्ट्र भाजपा का एकतरफा नेतृत्व शिंदे के हाथ में था। फडणवीस का डिप्टी सीएम पद लेने से इनकार का फैसला भी भाजपा नेतृत्व ने ठुकरा दिया। उन्हें किसी समय अपने जूनियर मंत्री रहे शिंदे के मातहत काम करना पड़ रहा है, ये यह उनके कर्मों का फल है।” मुख्यपत्र में आगे लिखा गया कि “2019 में सत्ता का 50-50 का फॉर्मूला उन्होंने ठुकराया था, उसी के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार बनी।”
आगे लिखा गया कि “उद्धव ठाकरे ढाई साल मुख्यमंत्री बने और अब बागी शिवसैनिक शिंदे को यह पद भाजपा हाईकमान ने दिया है. यह काल द्वारा फडणवीस से लिया गया बदला है।” इसके ही सामना में राज्यपाल के फैसले के खिलाफ भी सवाल उठाए गए। लिखा गया कि “सभी विधायक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना उम्मीदवार के रूप में जीते थे, फिर भी उन्होंने उद्धव के खिलाफ बगावत की। दलबदल विरोधी कानून के तहत उनका विधायक पद जा सकता है। लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल और सर्वोच्च न्यायालय ने इन लोगों बल प्रदान किया।”