देश में इस समय जिन कुछ मुद्दों की सबसे अधिक चर्चा है उनमें से एक है NRC और सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल, 2019. असल में ये दोनों ही कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े भी हैं. जहाँ केंद्र सरकार और भाजपा ये कह रही है कि इस बिल से उन लोगों को राहत मिलेगी जो पड़ोसी देश में अपने धर्म की वजह से उत्पीड़न का शिकार हैं. इस बिल की सबसे विवादित बात ये बतायी जा रही है कि इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता का पैमाना बनाने की कोशिश है.
इसको लेकर विपक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह से सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है. इस मुद्दे पर जहाँ राजनीतिक दल अपनी अपनी बात रख रहे हैं वहीँ सामाजिक संगठन भी इसको लेकर चर्चा कर रहे हैं. इसी फ़ेहरिस्त में रविवार के रोज़ लखनऊ में भी एक मीटिंग बुलाई गई है. इस मीटिंग में कई संगठन हिस्सा ले सकते हैं. बताया जा रहा है कि इसमें एक साझा रणनीति तैयार होगी कि इस मुद्दे पर सरकार को कैसे घेरना है.
9 दिसंबर को ये बिल लोकसभा में पेश होना है. केंद्र सरकार जानती है कि उसके पास लोकसभा में बहुमत है और वहाँ ये बिल आसानी से पास करा लेगी लेकिन राज्यसभा में पास कराना शायद इतना आसान न होगा. मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में भी इस बिल को ला चुकी है और तब ये लोकसभा में पारित भी हो गया था. परन्तु राज्यसभा में इस बिल का पुरज़ोर विरोध होगा, इस वजह से सरकार ने इसे पेश ही नहीं किया और सरकार का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद ये बिल लैप्स हो गया.
इस बिल के विरोध में सपा नेता अमीक़ जामेई कहते हैं कि इस बिल का विरोध होना चाहिए क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है. उनका दावा है कि अगर यह बिल पास होता है तो नए देश मे ग़रीब लैंडलेस मुसलमान, मायग्रेंट लेबर की ज़िंदगी को त्रासदी मे बदल देगा.लखनऊ के कैफ़ी आज़मी अकादमी में होने वाली इस मीटिंग में अमीक़ जामेई, अब्दुल हफ़ीज़ गॉधी, प्रो पवन आंबेडकर, ख़ालिक़ चौधरी, ताहिरा हसन, एडवोकेट अस्मा इज़्ज़त, ओवैस सुल्तान खॉ, यामीन खॉ और सुहेब अंसारी के बुलावे पर रखी जा रही है, वर्किंग कमेटी ने कहा है की प्रेदश भर के वकील, सामजिक कार्यकर्ता, सेकिलर जमात के लोग इस भयानक त्रासदी के खिलाफ आर पार की लड़ाई मे खुलकर सामने आकर समर्थन करे!