नागरिक संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना ने अपना कड़ा रुख़…

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद लंबी चली खींचतान और राष्ट्रपति शासन जैसे पड़ावों से गुज़रने के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। जिसमें नेतृत्व मिला शिवसेना के उद्धव ठाकरे को, मुंबई के प्रसिद्ध शिवाजी मैदान में पूरे तामझाम के साथ शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, उद्धव ठाकरे को लगा होगा कि, मुश्किलें ख़त्म हुईं, लेकिन गठबंधन की सरकार में आप अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकते।

इसमें पूरे गठबंधन के समर्थन की ज़रूरत होती है, और यही वजह है कि, लोकसभा में पारित हुए नागरिक संशोधन बिल के पक्ष में शिवसेना ने बिना गठबंधन की परवाह किए वोट किया, तो गठबंधन में मुश्किलें शुरू हो गई हैं। सूत्रों से प्राप्त ख़बरों के मुताबिक कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शिवसेना के प्रमुख नेतृत्व को गठबंधन से बाहर आने की चेतावनी देता हुआ एक संदेश दिया है, जिसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान आया है कि, कल जो लोकसभा में हुआ, उसे भूल जाइए। क्योंकि अभी राज्यसभा में भी बिल के पारित होने की प्रक्रिया होनी है, इसलिए महाराष्ट्र के गठबंधन की सरकार का हिस्सा कांग्रेस सहित एनसीपी की भी निगाहें राज्यसभा में बिल पर शिवसेना के रुख़ पर टिकी होंगी।

वैसे तो शिवसेना ने लोकसभा में बिल के पेश होने से पहले शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बिल की आलोचना करते हुए लिखा था कि क्या हिंदू अवैध शरणार्थियों की ‘चुनिंदा स्वीकृति’ देश में धार्मिक युद्ध छेड़ने का काम नहीं करेगी? और शिवसेना ने केंद्र पर विधेयक को लेकर ‘हिंदू और मुस्लिम’ का ‘अदृश्य विभाजन’ करने का भी आरोप लगाया था। और कहा था कि विधेयक की आड़ में ‘वोट बैंक’ की राजनीति करना देश के हित में नहीं है। लेकिन बाद में लोकसभा में शिवसेना ने इस बिल का समर्थन किया था।

अब इस नागरिक संशोधन बिल पर शिवसेना ने कड़ा रुख अपना लिया है, और शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साफ-साफ शब्दों में केंद्र सरकार को कह दिया है कि, जब तक चीज़ें स्पष्ट नहीं हो जाती, हम समर्थन नहीं करेंगे। शिवसेना प्रमुख मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि, अगर कोई भी नागरिक इस बिल की वजह से डरा हुआ है, तो उनके शक़ दूर होने चाहिए। वह भी हमारे नागरिक हैं। इसलिए उनके सवालों के भी जवाब दिए जाने चाहिए।

कॉन्ग्रेस इस नागरिक संशोधन बिल के सख़्त ख़िलाफ़ है। कांग्रेस के मनीष तिवारी का कहना है कि, ‘यह बिल असंवैधानिक है, संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है, जिन आदर्शों को लेकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान की रचना की थी, यह उसके भी ख़िलाफ़ है। नागरिकता कानून में 8 बार संशोधन किया गया है। लेकिन जितनी उत्तेजना इस बार दिखाई दे रही है, उतनी कभी नहीं थी।