नागरिकता संशोधन बिल के विरोध की जो आग अब तक असम को जला रही थी, अब वह लगभग आधे हिंदुस्तान को अपनी चपेट में ले चुकी है। देश की राजधानी दिल्ली इसकी आग में झुलस रही है। दिल्ली के जामिया नगर से लगे सराय जुलेना के पास डीटीसी की 3 बसों में लगी आग की लपटों में पूरा दिल्ली धधक उठा है। इस आग में सबसे ज़्यादा झुलसा है, दिल्ली का प्रसिद्ध जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय।
इस विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने अपनी आपबीती बताई। जिसे सुनकर दिल दहल जाता है, यह सोच कर कि एक छात्र जिसे देश का भविष्य कहा जाता है, विद्या के मंदिर कहे जाने वाले विश्वविद्यालय में भी सुरक्षित नहीं है। झारखंड के रांची की रहने वाली एक छात्रा ने मीडिया के सामने रोते हुए अपनी आपबीती सुनाई है। छात्र ने बताया कि जब यह सब हुआ वह लाइब्रेरी में थी। तभी सुपरवाइज़र की ओर से कॉल आया कि सब ख़राब होता जा रहा है।
वह वहां से जाने ही वाली थी कि छात्रों का एक झुंड भागते हुए आया और आधे घंटे में पूरी लाइब्रेरी छात्रों से भर गई। जिनमें कुछ छात्र घायल थे। कुछ पुलिस वाले अंदर आये और गालियां देते हुए सभी को बाहर जाने को बोला। छात्रा ने आगे बताते हुए कहा कि वह अपने होस्टल की बिल्डिंग बढ़ने लगी तो उसने सड़क पर कुछ लड़कों को घायल पड़े देखा। छात्रा का कहना था कि जब वो अपने होस्टल पहुंची तो कुछ लड़कों ने कहा कि महिला पुलिस आ रही है तो वो उनसे बचने को कुछ देर के लिए दूसरी जगह चली गई।
जब छात्रा वापस लौटी तो देखा कुछ लड़के घायल हैं। जामिया की छात्रा ने बताया कि दिल्ली एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, सबसे सुरक्षित है, जहां कभी कुछ नहीं हो सकता। छात्रा का कहना था कि अब उसे कहीं सुरक्षित नहीं महसूस हो रहा। उसने कहा उसे नहीं पता के कब वो भीड़ का शिकार हो जाएगी। जामिया की छात्रा का कहना था कि वो मुस्लिम नहीं है फिर भी पहले दिन से आगे खड़ी है। उसका कहना था कि ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा अगर आप सही के साथ खड़े नहीं हो सकते।