कुछ वर्ष पहले तक हवाई जहाज़ से यात्रा करना एक गौरव की बात मानी जाती थी । केवल बहुत अधिक् सम्पन्न व्यक्ति और बडे नेतागण ही हवाई जहाज़ से यात्रा करते थे । सामान्य लोग तो हवाई अड्डे पर दूर से ही विमान को देख देख कर खुश होते रहते थे । आसमान में उडते हवाई जहाज़ को बच्चे-बडे निहारते रहते थे । आज स्थिति बदल गई है । अब हवाई यात्रा एक सामान्य बात हो गई है । गांव, कस्बे, नगर और महानगर के बच्चे, युवा, बडे, बूढे, महिला-पुरुष; सभी हवाई जहाज़ से यात्रा करने लगे हैं ।
हवाई यात्रा की सुविधा देने वाली कम्पनियां बढती जा रही हैं, और हवाई जहाज़ों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है । फ़िर भी, हवाई जहाज़ों में बढती भीड के कारण यात्रियों को कभी कभी प्रतीक्षा भी करनी पडती है । आमतौर पर हर हवाई जहाज़ के सारे आसन भरे रहते हैं । यात्रियों की संख्या तो बढ गई है, परंतु साथ ही साथ यात्रा करने वालों की परेशानियां भी बढती जा रही हैं । अनेक हवाई अड्डे छोटे पडने लगे हैं । कुछ हवाई अड्डों पर विमानों की लम्बी कतार लग जाती है और हर दो-तीन मिनिट में विमान उडान भरते या उतरते रहते हैं ।
अब अधिकांश हवाई जहाज़ों में खाने-पीने की वस्तुएं केवल अतिरिक्त रुपये देने पर ही उपलब्ध करवाई जाती हैं । अब शायद केवल एअर इंडिया ही एकमात्र ऐसी कम्पनी रह गई है जो यात्रियों से खाने-पीने की चीज़ों के लिये अलग से रुपये नहीं मांगती । अब तो हर आसन भी बिकने लगा है । 100 रुपये से 800 रुपये तक अलग अलग आसनों का अतिरिक्त मूल्य वसूला जाने लगा है । सामान की भार सीमा भी कम कर दी गई है और यात्रियों को सीमा से अधिक भार के लिये अतिरिक्त भुगतान करना पडता है । यात्रियों का व्यवहार भी अब बहुत कष्टदायी होने लगा है ।
अनेक यात्री बार बार टोकने और घोषणा करने के बाद भी मोबाइल पर बात करते रहते हैं । ऐसा करके शायद अपना महत्व दर्शाने का झूठा प्रयास ही करते हैं ऐसे यात्री । अनेक यात्रियों को बार बार टोका जाता है कि वे अपने आसन पर बैठे रहें और अपनी कुर्सी की पेटी बांधे रखें । फ़िर भी कुछ लोग कभी भी खडे हो जाते हैं या चलने-फ़िरने लगते हैं । अनेक बार मैंने कुछ ऐसे यात्रियों को भी देखा है जो अपने निश्चित आसन की जगह किसी अन्य ऐसे आसन पर बैठ जाते हैं जो किसी सामने की पंक्ति में खाली हो । विमान परिचारिकाएं ऐसे लोगों को एक-दो बार टोकने के बाद चुपचाप बैठ जाती हैं । सबसे अधिक कष्टदायी स्थिति तब होती है जब विमान अपने गंतव्य पर उतरने लगता है ।
अनगिनत लोग हवाई जहाज़ के हवाई पट्टी पर उतरते ही खडे हो जाते हैं और अपना सामान ऊपर के सामान कक्ष से निकालने लगते हैं । अनेक यात्री दरवाज़े की तरफ़ बढ जाते हैं । हवाई जहाज़ के पूरी तरह रुकने, सीढी लगने या ऐरो-ब्रिज लगने और फ़िर दरवाज़ा खुलने तक के पन्द्रह-बीस मिनिट वे खडे रहते हैं, परंतु अपने स्थान पर बैठे नहीं रह पाते । इसका कारण क्या है, यह मैं आजतक समझ नहीं पाया हूं । एक दूसरे को धक्का देते हुए लोग इस तरह बाहर निकलने लगते हैं जैसे पहले बाहर निकलने वाले को कोई पुरस्कार मिलने वाला हो । अंत में अपने भारी सामान को लेने के लिये वे फ़िर से पन्द्रह-बीस मिनिट और कभी कभी तीस-चालीस मिनिट तक भी खडे रहते हैं ।
मोबाइल फ़ोन तो कभी कभी हवाई जहाज़ के उतरने से पहले ही चालू कर दिये जाते हैं । “बस अभी फ़्लाइट लैंड हुई है” ; “गाडी कहां है, गेट के पास ले आओ” ; आदि आदि बातें सुनाई देती रहती हैं । उडान के दौरान अनेक यात्री मोबाइल पर अपने या बाहर के फ़ोटो लेते रहते हैं । कई लोग हवाई अड्डे पर, हवाई जहाज़ तक के रास्ते पर, हवाई जहाज़ की सीढियों के पास या विमान के पास अपनी फ़ोटो लेते रहते हैं और सभी फ़ोटो “फ़ेसबुक” पर दूसरों को दिखाते रहते हैं । शायद यह भी अपना महत्व दिखाने का एक तरीका होता है । कुछ लोगों को तो अपनी एक ही तस्वीर बार बार फ़ेसबुक पर दिखाने की आदत हो जाती है, केवल जगह का नाम बदल कर लिख देते हैं ।
शायद वे यह दर्शाना चाहते हैं कि वे हर दिन अलग अलग स्थान से अलग अलग स्थान के लिये हवाई जहाज़ से ही यात्रा करते रहते हैं । कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो फ़ेसबुक पर अपनी फ़ोटो डालकर लिख देते हैं कि वे उच्च श्रेणी से यात्रा कर रहे हैं या उच्च श्रेणी के प्रतीक्षालय में बैठे हैं । इससे दूसरों पर क्या असर पडता होगा, यह वे ही जानते होंगे जो ऐसा करते रहते हैं । हवाई जहाज़ से यात्रा करने वाले अधिकतर यात्री केवल अंग्रेज़ी ही बोलते रहते हैं । यह सब देख देख कर मैं समझ नहीं पाता हूं कि वास्तव में य हवाई यात्रा है या दुखदायी यात्रा है ।
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किशन शर्मा
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