कोरोना वायरस के कारण डॉक्टरों और नर्सों को करना पड़ रहा है मुश्किलों का सामना..

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पूरे भारत में कोरोना वाय’रस का संक्रम’ण बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है। वाय’रस के संक्रम’ण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे भारत में लॉकडाउन लागू कर दिया है। जिसकी वजह से सभी देशवासी अपने अपने घरों में आराम कर रहे हैं। लेकिन हमारे देश के डॉक्टर्स अभी भी कोरोना वाय’रस से लड़ने के लिए अपने घरों से दूर हैं और दिन रात इस वाय’रस को मात देने के लिए मेहनत कर रहे हैं। देश के इस मुश्किल वक़्त में वह बिना खाए पिए चौबीसों घंटे अस्पतालों में काम करते हैं। कोरोना वाय’रस की वजह से उन्हें पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) पहन कर काम करना पड़ता है जो किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

इसी संबंध में अंग्रेज़ी पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुंबई के डॉक्टर्स और नर्सों ने अपनी परेशानियों का ज़िक्र किया है। डॉक्टरों ने बताया कि PPE सूट पहनने के बाद वह कुछ भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि PPE में कपड़ों की कई लेयर्स होती हैं। इस पहनकर वह इसे वार्ड में जाते हैं जहां कोरोना वाय’रस के मरीज़ होते हैं। ऐसे वार्डों में एसी भी नहीं चलाया जाता जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मुंबई की इस गर्मी में काम करना कितना कठिन हो जाता होगा। उन्होंने बताया कि PPE पहनने के बाद पूरा मेडिकल स्टाफ पसीने में लथपथ रहता है और सूट के कार’ण वह अपना पसीना तक नहीं पोछ सकता।

सरकारी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने कहा कि “PPE पहनने और उतारने के समय आप अपने चेहरे को छू नहीं सकते। ऐसे में आप भी संक्रमित हो सकते हैं। PPE सूट काफी कीमती होते हैं। ऐसे में आप बार-बार इसे बदल नहीं सकते हैं। हमलोग शिफ्ट शुरू होने से पहले खाना खा लेते हैं। पानी पी लेते हैं और टॉयलेट भी चले जाते हैं, जिससे कि हमें दोबारा PPE चेंज करने की नौबत न आए।” बता दें कि ऐसे कई बड़े बड़े सरकारी अस्पताल हैं जहां चेंजिंग रूम भी नहीं हैं। साथ ही वॉर्ड बॉय को PPE नहीं दिए जाते हैं जिसके कार’ण डॉक्टर्स को ही सारा काम करना पड़ता है।

इस संबंध में एक और डॉक्टर ने कहा कि “हम भी आम इंसान की तरह हैं। हमें भी ड’र लगता है। हमारे लिए कोई अलग से रहने के इंतजाम नहीं है। जो कोरोना वॉर्ड में काम करते हैं वो भी और दूसरे मरीजों को देखने वाले दोनों एक ही हॉस्टल में रहते हैं। शिफ्ट ख’त्म होने के बाद हम लोग तुरंत नहा कर कपड़े चेज़ करते हैं।” इसकी वजह से डॉक्टरों को खाने पीने की भी परेशानी होती है।