2014 के बाद से कांग्रेस की जो स्थिति है, उसमें कांग्रेस को अब किसी चमत्कार का ही इंतज़ार है। और एक कुशल नेतृत्व ही वह चमत्कार दिखा सकता है। और इस चमत्कार की उम्मीद कांग्रेस को सोनिया गांधी से है। ग़ौरतलब है, कि सोनिया गांधी के कांग्रेस की डूबती नैया की बागडोर संभालते ही कांग्रेस पार्टी में एक नए उत्साह का संचार हुआ है।
पूरे 1 साल और 8 महीने के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कर दी है। एक तरह से वह पार्टी के लिए संकट मोचन बनकर आई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी एक बार फिर से संभालने के बाद गुरुवार को सोनिया गांधी ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करी, जो करीब 4 घंटे चली जिसमें सभी नेताओं ने अपनी-अपनी बात कही और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी विचार रखे। बैठक के बाद, एक पदाधिकारी ने कहा कि ऐसा लग रहा है, जैसे हम 2004 के चुनाव से पहले के माहौल में आ गए हो, अब हम अपनी ग़लतियों से सबक लेते हुए एक नई रणनीति बना रहे हैं.
पार्टी की बैठक में, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सब को स्पष्ट कर दिया कि सत्ता तक पहुंचने के लिए सड़क पर संघर्ष करना बहुत ज़रूरी है। साथ ही ख़ुद को मजबूत स्थिति में लाने के लिए बूथ से प्रदेश तक कार्यकर्ताओं की पूरी फ़ौज खड़ी करनी होगी। सोनिया गांधी ने कहा, कि हमें अपनी विचारधारा को मजबूत करना होगा। तभी हम मुक़ाबले के लिए तैयार होंगे। और उन्होंने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण पर भी ज़ोर दिया।
सोनिया गांधी ने बैठक में हर पदाधिकारी की बात सुनी ख़ुद सवाल भी किए और पदाधिकारियों के सवालों के जवाब भी दिए। कांग्रेस पार्टी के एक नेता के अनुसार बैठक में पहले के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सक्रियता थी। अब देखना यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दूसरी पारी कांग्रेस के लिए वरदान साबित होती है या नहीं।