एक अजीबोगरीब मामला इन दिनों इंटरनेट पर ख़ूब सुर्खियां बटोर रहा है। जहाँ एक क़ैदी को जेल से रिहा करने पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने जेल अधीक्षक यानी जेलर को सज़ा का फ़रमान सुनाया है। यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर का है। जहां ज़िला जेल के जेल अधीक्षक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एक आरोपी को जेल से रिहा कर दिया था। इसके बाद जेल अधीक्षक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की अपील दाखिल कर दी गई है।
दरअसल, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में बताया है कि उसने पहले एक आपराधिक मामले में आरोपी को ज़मानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था, कि अगर वह आरोपी अभी भी हिरासत में है, तो अगले आदेश तक उस आरोपी को जेल से रिहा ना किया जाए। और बाद में यानी कि 3 दिसंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जेल अधीक्षक ने ट्रायल कोर्ट से आरोपी के लिए एक नए जेल हिरासत वारंट की मांग की, लेकिन वारंट के जारी होने का इंतज़ार किए बिना ही जेल अधीक्षक ने आरोपी को जेल से रिहा कर दिया। जिसने रिहा होते ही याचिकाकर्ता पर जानलेवा हमला किया। अब इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के ज़िला जेल अधीक्षक के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी कर दिया है। और सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधीक्षक को 23 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश जारी किया है।