दुनिया भर में कुदरत (Nature) के कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं। जिसमें से बहुत से ऐसे भी नज़ारे होते हैं जो केवल कुछ समय के लिए ही दिखते हैं। जिसमें से एक उल्का पिंडों (Meteoroid) भी है। उल्का पिंडों (Meteoroid) को देखने के लिए सभी लोग बेचैन रहते हैं। लेकिन ये सिर्फ किस्मत से ही देखने को मिलता है। खबर मिली है कि रविवार की रात पूरे भारत के लोगों को तड़के उल्का पिंडों (Meteoroid) की बौछार देखने का मौका मिल सकता है।
शनिवार को एमपी बिड़ला तारामंडल के निदेशक देवीप्रसाद दुआरी के दिए गए बयान में कहा गया कि “‘जैमिनिड’ के नाम से जानी जाने वाली उल्का पिंडों की यह बौछार 13 दिसंबर की रात को चरम पर होगी। यह वर्ष की सबसे बड़ी उल्का पिंड बौछार होगी। आसमान में परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं, तो जेमिनिड उल्का पिंड बौछार को भारत के हर हिस्से से देखा जा सकेगा। उल्का पिंड चमकदार रोशनी की जगमगाती धारियां होती हैं, जिन्हें अक्सर रात में आसमान में देखा जा सकता है। इन्हें ‘शूटिंग स्टार’ भी कहा जाता है।”
उन्होंने बताया कि “वास्तव में, जब धूल के कण जितनी छोटी एक चट्टानी वस्तु बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो घर्षण के कारण प्रकाश की खूबसूरत धारी बनती है। साल की एक निश्चित अवधि में आकाश की निश्चित दिशा से आते एक नहीं, बल्कि कई उल्का पिंड देखने को मिलते हैं, जिन्हें उल्का पिंड बौछार कहा जाता है। ये बौछार अकसर उस समय होती है, जब पृथ्वी विभिन्न उल्का तारों के सूरज के निकट जाने के बाद छोड़ी गई धूल के बचे मलबे से गुजरती है।” उन्होंने बताया कि ये बौछार हर साल दिसंबर में होती है। साथ ही ये भी बताया कि आसमान साफ होने के कारण प्रति घंटे 150 उल्का पिंछों की बौछार दिख सकती है।