नई दिल्ली : 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। यह भारत, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
पूर्व NIA प्रमुख योगेश चंद्र मोदी ने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण में भारत और अमेरिका की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि NIA ने अमेरिकी अदालतों में ठोस सबूत पेश किए और जांच टीम कई बार अमेरिका गई। केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और NIA मिलकर राणा से गहन पूछताछ करेंगी ताकि पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाया जा सके।
केंद्र सरकार ने एडवोकेट नरेंद्र मान को तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है। वह दिल्ली स्थित NIA की विशेष अदालतों और अपीलीय अदालतों में इन मामलों का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनकी नियुक्ति 3 साल की अवधि या मुकदमे के पूरा होने तक, जो पहले हो, के लिए की गई है।
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा, 26/11 हमले के साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की जान गई थी। राणा से पूछताछ के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों और आकाओं के बारे में अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है।
राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए कई कानूनी हथकंडे अपनाए। उसने बीमारी और भारत में जान को खतरे का हवाला देते हुए छूट मांगी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं, लेकिन न्यायाधीश एलेना कागन ने उसकी अपील खारिज कर दी। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने इसे मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि भारत अपने नागरिकों और जमीन पर हमला करने वालों को किसी भी कीमत पर न्याय के कठघरे में लाएगा। भारतीय एजेंसियों की टीम पहले से अमेरिका में मौजूद थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रत्यर्पण की सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की गईं। राणा को हिरासत में लिया गया और टीम गुरुवार दोपहर तक भारत पहुंचेगी।