पिछले महीने 28 सितम्बर को इंडोनेशिया में भूकंप और फिर उसकी वजह से आयी सुनामी ने भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा के बाद अब भी करीब 5,000 लोग लापता हैं। आपदा के बाद सुलावेसी द्वीप से ही 2,000 से ज्यादा शव बरामद किए गए हैं। अधिकारियों को आशंका है कि अभी भी शहर के मलबे में 5,000 के आसपास लोगों के शव दबे हो सकते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पालू में 1,636 लोगों की मौत हुई। माना जा रहा है कि आखिरी रिपोर्ट आने तक मौत का यह आंकड़ा पांच हजार से भी ऊपर जा सकता है। सुनामी के दौरान पूरे-पूरे गांव तबाह हो गए थे। सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया के पालू और डोंगला शहरों को हुआ है। बिजली और संचार की व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है।
इंडोनेशिया में आए इस भूकंप का केंद्र एक द्वीप सुलावेसी था। भूकंप की रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.5 थी। भूकंप के जोरदार झटकों की वजह से समुद्र में सुनामी की ऊंची-ऊंची लहरें खड़ी हो गईं, जिन्होंने इस द्वीप पर भारी तबाही मचाई।
इस प्राकृतिक आपदा के कारण इंडोनेशिया में लगातार आने वाले भूकंप और सुनामी फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। इसी साल की शुरुआत में लोमबोक द्वीप में कई तगड़े भूकंप आए थे। जिसमें सबसे ज्यादा खतरनाक 5 अगस्त को आया भूकंप था जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.2 थी। इस भूकंप में 550 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह 2010 में 7.5 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके बाद सुमात्रा के तटीय इलाकों में भयानक सुनामी आई थी। जिसमें 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसी भूकंप की वजह से जावा द्वीप पर 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
28 सितम्बर को आये इस भूकंप और सुनामी के चलते लोगों को 14 साल पहले की सुनामी की तबाही की याद ताजा हो गयी, जब रिक्टर स्केल पर 9.1 तीव्रता के भूकंप ने भयानक सुनामी को जन्म दिया था, जिसका बहुत बुरा असर सुमात्रा पर हुआ था। इतना बुरा कि इसे दुनिया के जाने हुए इतिहास की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है। इसका असर 14 देशों पर पड़ा था। इस सुनामी का बड़ा शिकार इंडोनेशिया भी बना था, जहां इस सुनामी की वजह से 1 लाख 68 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी।
इंडोनेशिया,जावा और सुमात्रा जैसे देशों में अक्सर आनेवाले भूकंप और फिर समुद्र में उठने वाली ऊँची लहरों अर्थात सुनामी के आने के कारणों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इंडोनेशिया भौगोलिक रूप से ‘प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के रिंग ऑफ फायर पर स्थित है, जहां भूकंप और ज्वालामुखी संबंधी घटनाओं की सक्रियता सबसे ज्यादा होती है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 7,000 झटके लगते हैं, जिनमें ज्यादातर झटके मध्यम तीव्रता के होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह ‘रिंग ऑफ फायर’ सक्रिय ज्वालामुखी वाले इलाके में आता है। प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह तटीय इलाका दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग है। इंडोनेशिया भी इसी खतरनाक और एक्टिव भूकंप जोन में स्थित है और ‘रिंग ऑफ़ फायर’ का हिस्सा है। यही कारण है कि यहां पर इतने ज्यादा भूकंप आते हैं।
यह रिंग ऑफ फायर का इलाका करीब 40 हज़ार किमी के दायरे में फैला है। यहां पर विश्व के कुल सक्रिय ज्वालामुखियों के 75 फीसदी ज्वालामुखी हैं। अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी इलाके में दुनिया के 90 फीसदी भूकंप आते हैं और बड़े भूकंपों में से भी 81 फीसदी इसी इलाके में आते हैं।