उत्तराखंड: चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति अटकी, आखिर क्यों?

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देहरादून: उत्तराखंड में भर्तियों का लटकना और नियुक्तियों के अटकने का इतिहास लंबा है। एक नहीं, बल्कि कई भर्तियां विवादों के कारण सालों तक लटकी रहती हैं। कुछ में बेवजह का विरोध भी देखने को मिलता है। एक और भर्ती पूरी होने के अब नियुक्ति प्रक्रिया अटका दी गई। जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन, चयनित अभ्यर्थी हर बार यही सवाल उठा रहे हैं कि जब सबकुछ पहले से स्पष्ट था तो फिर जांच का क्यों? यही सवाल भाजपा नेता रविंद्र जुगरान भी उठा चुके हैं।

मामला उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से की गई 254 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती का है। इसको लेकर अब जांच शुरू हो गई है। चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति होनी थी, लेकिन अब सरकार पहले यह पता लगाएगी कि भर्ती सही हुई या गलत? जांच आयुर्वेद निदेशक और अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे कर रहे हैं।

आयुर्वेद विभाग के प्रस्ताव पर उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने 254 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती शुरू की थी। 30 जून को भर्ती का परिणाम घोषित कर चयनित अभ्यर्थियों की सूची शासन को भेजी थी। भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर 4 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्तियों की जांच के आदेश दिए थे।

जिन बिंदुओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वो पहले ही विज्ञप्ती में साफ कर दिए गए थे। भर्ती के लिए निर्धारित नियमों को देखा जाए तो साफ है कि भर्ती पूरी तरह से सही हुई है। इस मामले में कुछ अभ्यर्थियों का आरोप था कि उनके रिटर्न में ज्यादा नंबर थे, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। जबकि, भर्ती की विज्ञप्ति में साफतौर पर लिखा गया था कि लिखित परीक्षा केवल छंटनी के लिए है। परिणाम पर इसको कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

भर्ती में चयन के लिए साक्षत्कार, अनुभव और अकादमिक योग्यता के आधार पर नंबर दिए जाने थे। साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समेत अन्य आरक्षण का भी पूरा ख्याल रखा गया है। साक्षात्कार के लिए विशेषज्ञ देश के अलग-अलग संस्थानों से बुलाए गए थे।

चयनित अभ्यर्थियों के अपने तक और जिनका चयन नहीं हुआ है उनके अपने तर्क हैं। अब सवाल यह है कि जांच में क्या निकलकर आता है। जांच तय करेगी कि भर्ती नियमों के तहत हुई है या फिर गलत हुई है।