देश विदेश के सैलानियों को लुभाने वाले ऐतिहासिक मुगल गार्डन का नाम बदल दिया गया है. इसके साथ ही अब इसकी पहचान भी पूरी तरह से बदल गई है. अब इस गार्डन को अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा. नाम बदलने के साथ ही अब सियासत भी बागबाग हो रही. एक तरफ बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत किया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि देश नासमझों के हाथ में चला गया है.
देश भर में नाम बदलने की कड़ी में अब एक और नाम जुड़ गया है. आम जनता के लिए खुलने से ठीक पहले यह एलान हुआ. मुगल गार्डन की दशकों पुरानी पहचान में बदलाव हो गया है. इस बीच अब राजनीति भी तेज हो गई है. विरोधी दलों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. नाम बदलने की वजह बीजेपी की मुगलों से नफरत बताया है. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी को लगता है नाम बदलने से विकास हो रहा है. उन्हें लगता है कि इसी को विकास कहते हैं.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, बीजेपी सरकार की ये आदत है, शहरों का, सड़क का नाम बदलते हैं. अब गार्डन का भी बदल दिया. अपना गार्डन बनाइए उसका नाम रखिए. नाम बदलने की प्रथा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, नई सरकार आएगी वो भी नाम बदलेगी, फिर कोई सरकार आएगी वो भी नाम बदलेगी. सरकार अपना काम करें, डेवलपमेंट करें.
इस्लामिक स्कॉलर साजिद रशीदी ने भी इस फैसले की निंदा की है. उनका आरोप है कि हिंदुयों को खुश करने के लिए मुग़ल गार्डन का नाम बदला गया. अगर इस सरकार को नाम ही बदलना था तो ये झूठे वादे न करते, अगर ऐसा ही चलता रहा तो मोदी को महात्मा गांधी बना दिया जाएगा. कोई एक समूह मोदी को ही राष्ट्रपति मानने लगेंगे. ये नाम बदलने से अंदर का ही युद्ध शुरू हो जाएगा.
वहीं, इतिहासकारफिरोज बख्त ने कहा आजादी के अमृत महोत्सव का समय है .इसी का हवाला देकर मुगल गार्डन को अमृत उद्यान का नाम दिया गया है. कुछ लोग इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ बता रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इस नामकरण को मजहबी चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
अमृत उद्यान के बारे में सबकुछ
राष्ट्रपति भवन में कुल 5 गार्डन हैं जिनमें से एक को मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता था. जिसके अब अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा. 15 एकड़ में फैले अमृत उद्यान में 138 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और 70 अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 5 हजार मौसमी फूल हैं. इसका डिजाइन साल 1917 में सर एटविन लुटियंस ने तैयार किया था.
अमृत उद्यान को अंग्रेजों ने बनाया बसाया लेकिन कहा जाता है कि इसका डिजाइन ताजमहल के बगीचों और जम्मू-कश्मीर के बगीचों से इन्सपायर है. इसी वजह से इसे मुगल गार्डन कहा गया. कुछ लोगों का तर्क है कि भारत की एक बड़ी आबादी से इमोशनली कनेक्ट होने के लिए अंग्रेजों ने ये नाम रखा था.