मुफ्त की रेवड़ी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार इसकी चर्चा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद फिर होने लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार से उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा जिसमें दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को मुफ्त सुविधाएं बांटने का आरोप लगाया गया है.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र, चुनाव आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस भी जारी किया. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि मतदाताओं को लुभाने के लिए करदाताओं के पैसे का दो राज्य सरकारों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है.
चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं हो सकता. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कहा, श्ऐसा हर बार हो रहा है और इसका बोझ अंततः करदाताओं पर पड़ता है.श् पीठ ने कहा, श्नोटिस जारी करें जिसका जवाब चार सप्ताह में दिया जाए.श् अदालत ने भट्टूलाल जैन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि इसे उन मामलों के साथ संलग्न किया जाए जो इसी जुड़े हैं और लंबित हैं.
सुप्रीम कोर्ट में चुनावों के दौरान रेवड़ी कल्चर को लेकर पहले ही लंबी बहस हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके बारे में सख्त टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने इससे पहले इससे जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की भूमिका पर भी प्रश्न उठाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रेवड़िया बांटकर वोट बटोरना राजनीतिक दलों का मुख्य जरिया बन गया है. इस समस्या को दूर करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाने पर बल दिया था.