31 जुलाई की आपदा में लापता हो गया था बेटा, तलाश में भटक रहा पिता

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रुद्रप्रयाग : 31 जुलाई की रात को केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर अतिवृष्टि से भीषण तबाही हुई। कई लोग मारे गए। कई लापता हो गए। तब सरकार ने लोगों को रेस्क्यू करने के आंकड़े तो जारी किए थे, लेकिन मरने वालों की संख्या को बहुत कम बताया था। और तो और लापता लोगों की खबरें छापने वालों को और सोशल मीडिया के जरिए मामले को उठाने वालों को पुलिस ने चेतावनी दी थी कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन, सरकार ने बाद में जो आंकड़े बताए, उसके अनुसार अब भी करीब 20 लोग लापता हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक पिता अपने जिगर के टुकड़ के लिए दर-दर भटक रहा है। जगह-जगह पोस्टर लगाकर बेटे का पता लगाने वाले को इनाम देने की घोषणा कर रहे हैं। यह बात आम लोगों के लिए भले उतने मायने नहीं रखती हो, लेकिन जिस परिवार को बेटा गया है। उनके लिए उनकी पूरी दुनिया ही उजड़ चुकी होती है।

आईआईटी रुड़की के दीक्षांत समारोह के बाद दोस्त के साथ सीधे केदारधाम की यात्रा पर निकला राजस्थान निवासी इंजीनियर तपकुंड में आए पानी के सैलाब में कहीं लापता हो गया। इसके बाद से लगातार उसके पिता इंजीनियर बेटे की तलाश में पहाड़ों पर भटक रहे हैं। दीवारों पर पोस्टर चिपका रहे हैं कि आखिर कोई तो जिगर के टुकड़े का पता बता दे।

मजबूर पिता पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं। राजस्थान के अजमेर ब्यावर शहर निवासी अमरचंद सामरिया एलआईसी एजेंट हैं। उनका होनहार पुत्र रुपिन सामरिया का चार साल पहले आईआईटी रुड़की के लिए चयन हुआ। कोर्स पूरा करने के बाद रुपिन अपने गांव गए थे। 27 जुलाई को आईआईटी में दीक्षांत समारोह था। रुपिन माता-पिता और दोस्त धनेंद्र सिंह के साथ रुड़की आ गए। यहां दीक्षांत समारोह में भाग लिया और डिग्री लेकर अपने बैग में रख ली। माता-पिता घर लौट गए और रुपिन अपने दोस्त धनेंद्र के साथ केदारनाथ यात्रा पर निकल पड़ा।

28 जुलाई को ऋषिकेश से टैक्सी लेकर देवप्रयाग पहुंचे। यहां रात गुजारी और अगले दिन टैक्सी से गौरीकुंड पहुंच गए। गौरीकुंड से चले और रात में लिंचोली में सोए। अगले दिन यानी 30 जुलाई को केदारनाथ धाम के दर्शन किए। इसके बाद 31 जुलाई को धाम में आरती देखी और फिर रुड़की के लिए निकल पड़े।

जंगल चट्टी में भारी बरसात का सामना करते हुए जैसे-तैसे दोनों दोस्त चल रहे थे। इसी बीच रुपिन का फोन कहीं गिर गया। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और रास्ता नापना शुरू कर दिया। भारी बारिश के बीच किसी तरह दोनों दोस्त रात में गौरीकुंड तक पहुंच गए।

घर पर दोस्त के मोबाइल से कॉल कर कुशलक्षेम बताई। सुबह सोनप्रयाग पहुंचे तो पानी का सैलाब आ गया। इस सैलाब ने धनेंद्र को दूर तक बहा दिया। धनेंद्र दूर से ही देख रहा था कि रुपिन ने जैसे-तैसे ट्रैकिंग बैग की पट्टी पकड़कर खुद को संभाला है।

इसके बाद धनेंद्र बेहोश हो गया। आंख खुली तो रुपिन नहीं था। ऊपर जाकर पुलिस को सूचना दी, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। इसके बाद से रुपिन के पिता अमरचंद सामरिया लगातार अपने बेटे की तलाश में जुटे हैं। वह पहाड़ों पर जगह-जगह बेटे के फोटो वाले पोस्टर चिपका रहे हैं। लेकिन, बेटे ना तो अब तक उनको जिंदा मिला और ना उसका शव ही मिल पाया है।