देहरादून 21 दिसंबर: आज उत्तराखंड के मुख्य मंत्री ने उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में 41 मजदूरों की जान बचाने वाले रैट माइनर्स को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य मंत्री ने रैट माइनर्स को रुपए 50 हज़ार की सम्मान राशि का चैक सौंपा, परंतु रैट माइनर्स इस धनराशी से हताश नज़र आए और उन्होंने चैक वापस करने की बात कही।
इसपर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। “रैट माइनर्स का सम्मान राशि लौटाना दुर्भाग्यपूर्ण” – गरिमा मेहरा दसौनी
शुक्रवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में दसौनी ने कहा कि यदि सिलक्यारा टनल हादसे में 17 दिनों तक फंसे हुए 41 मजदूरों को रैट माइनर्स ने ना निकाला होता तो अभी तक धामी जी मुख्यमंत्री पद से हटा दिए गए होते , 41 मजदूरों की जान पर खतरा बना रहता और उत्तराखंड की देश विदेश में जो फजीहत होती उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय में रैट माइनर्स को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम रखा गया था जिस कार्यक्रम से मेहनतकश माइनर्स मायूस होकर खाली हाथ लौटे, कार्यक्रम के दौरान रैट माइनर्स ने सरकार द्वारा दिए जा रहे 50,000 के चेक को लेने से मना कर दिया। रैट माइनर्स का मानना था की यह उनके द्वारा किए गए असंभव दिखने वाले कार्य के प्रति न्यायोचित नहीं है ,यह उनका सम्मान नहीं अपमान है ।
दसौनी ने कहा कि जिस सिल्कयारा टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में अत्याधुनिक मशीनें तक हांफ गई और फेल हो गई उन सभी 41 जानों को बचाने के लिए रैट माइनर्स ने अपनी जान की बाजी लगा दी , इतना ही नहीं वह संकटमोचक साबित हुए और बिना किसी मजदूर को चोटिल किए उन्होंने वह काम कर दिखाया जो असंभव दिखाई पड़ रहा था। निश्चित रूप से रैट माइनर्स की अव्यावहारिक मांगे तो नहीं मानी जा सकती परंतु सम्मानजनक राशि जरूर दी जा सकती थी, जिससे वह अपना छोटा-मोटा स्वरोजगार शुरू कर सकें और अपने परिवार को एक सम्मानजनक जीवन दे सकें ।
दसौनी ने कहा की रैट माइनर्स का मुख्यमंत्री धामी को इस तरह से भरे कार्यक्रम में चैक वापस करना सरकारी तंत्र की भी विफलता और संवादहीनता ही कही जा सकती है कि अधिकारियों ने रैट माइनर्स से पहले से बातचीत नहीं की और ना ही सरकार और रेट माइनर्स के बीच में समन्वय स्थापित करने की कोशिश की।
दसौनी ने कहा कि रैट माइनर्स का मुख्यमंत्री को इस तरह से चैक लौटाना सरकार के मुंह पर तमाचा है ।दसौनी ने यह भी कहा की जिस दिन मुख्यमंत्री ने 50,000 कि घोषणा की थी उसके दूसरे ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से इस राशि के नाकाफी होने की बात कही थी।
दसौनी ने कहा कि भाजपा का यही चाल चरित्र चेहरा है। कोरोना के दौरान जब लोगों को बचाने के लिए सरकार खुद को असहाय महसूस कर रही थी उस वक्त कोरोना वॉरियर्स ने साथ दिया और पूरी दुनिया ने देखा की किस तरह केंद्र और राज्य की सरकारों ने उन वॉरियर्स पर पुष्प वर्षा की और आज जब वही कोरोना वॉरियर्स कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं तो कोई उनकी सुध लेने वाला तक नहीं। दसौनी ने कहा की आज एक बार फिर जिन रैट माइनर्स ने उत्तराखंड को शर्मसार होने से बचाया, आज उन्ही रैट माइनर्स का इस तरह से मुख्यमंत्री के दरवाजे से खाली हाथ लौटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।