छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों और सत्ताधारी दलों के साथ गठजोड़ पर चिंता जाहिर की है। कोर्ट का मानना है कि पुलिस सत्ता में मौजूद राजनीतिक पार्टी को सपोर्ट करते हैं और विपक्षी पार्टियों का विरोध करते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो जनता पुलिस से न्याय की उम्मीद छोड़ देगी। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) ने सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि “देखा जा रहा है कि पुलिस (Police ) के अधिकारी सत्ता में मौजूद राजनीतिक पार्टी (Political Party) का फेवर करते हैं और सत्ता पक्ष के विरोधियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती जब विरोधी पक्ष के लोग सत्ता में आते हैं तो उन्हीं पुलिस अफसरों पर कार्यवाही करते हैं। देश में इस तरह का जो ट्रेंड दिख रहा है वह काफी परेशान करने वाला है। इसके लिए पुलिस विभाग को ही जिम्मेदार ठहरान चाहिए। पुलिस को चाहिए कि वह कानून के शासन पर टिके रहें। वह सत्ता और विपक्ष किसी के साथ न होकर स्वतंत्र रूप से काम करें। पुलिस महकमे में जिस तरह का ट्रेंड दिखाई पड़ रहा है उसे रोकने की जरूरत है।”
बताते चलें कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई थी। जिसमें कोर्ट ने गुरजिंदर को राहत देते हुए राज्य पुलिस को उनको अगले चार हफ्तों तक राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार न करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को भी एक नोटिस जारी किया है। जिसमें पुलिस अधिकारी से जांच में सहयोग करने की अपील की गई है।