भारतीय नौसेना में 29 वर्षों तक सेवा देने वाले विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट (INS Viraat) को तोड़ने की प्रकिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया है कि “एक ग्रुप भविष्य के लिए इसे संरक्षित करना चाहता है और खरीदार को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है। खरीदार ने इसे कबाड़ बनाने के लिए खरीदा है।” याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएस विराट के तोड़ने पर रोक लगा दी है।
बता दें कि साल 1987 में आईएनएस विराट को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। जिसके बाद साल 2017 में इसको सेवामुक्त कर दिया गया (रिटायर कर दिया), जिसके बाद इसकी नीलामी कर दी गई और श्री राम समूह के प्रमुख मुकेश पटेल ने इसे 38.4 करोड़ रुपये में खरीद लिया। बता दें कि इससे पहले केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने युद्धपोत के लिए बोली लगाने के लिए एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार संग्रहालय परियोजना पर 400-500 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार है, लेकिन वहीं विशेषज्ञों ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि जहाज 10 साल से अधिक नहीं चलेगा।
जिसके बाद इसकी नीलामी कर दी गई। श्री राम समूह के प्रमुख मुकेश पटेल द्वारा खरीदने के बाद युद्धपोत को तोड़ने की प्रकिया शुरू हो गई। जिसके खिलाफ याचिका दायर कर अब इस काम को भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि “इसे तोड़ने से अच्छा है कि उसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए।” बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र सरकार द्वारा आईएनएस विराट की मरम्मत के लिए केंद्र को नोटिस भेजा गया था। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख कर इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) मांगी थी।