उत्तराखंड में होली धूम, एमडीडीए एचआईजी सोसायटी में दिखा खास उत्साह

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पूल पार्टी का आनंद उठाती सोसाइटी की महिलाएं

देहरादून | उत्तराखंड में रंगों का पर्व होली पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में होली का त्योहार बीते दिन ही धूमधाम से मनाया गया, वहीं कुमाऊं और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में आज होली की रंगत छाई हुई है।

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देहरादून की एमडीडीए एचआईजी आईएसबीटी सोसायटी में भी होली का खासा उत्साह देखने को मिला। सोसायटी के लोगों ने एकजुट होकर रंगों का त्योहार मनाया और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की। सुबह से ही लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर पर्व की शुभकामनाएं देते नजर आए।

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होलिका दहन कार्यक्रम

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने संगीत, नृत्य और पकवानों के साथ इस पर्व का आनंद लिया। रंगों और उमंगों के इस पर्व ने उत्तराखंड को एक बार फिर आपसी प्रेम और एकता के सूत्र में पिरो दिया है।

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कुमाऊं में आज होली की धूम

कुमाऊं क्षेत्र की पारंपरिक बैठकी होली और खड़ी होली की परंपरा भी आज पूरे उत्साह के साथ निभाई जा रही है। कुमाऊं के विभिन्न गांवों और कस्बों में होली के गीतों की गूंज सुनाई दे रही है। होल्यारों की टोलियां पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ लोकगीत गाते हुए आनंद मना रही हैं।

हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा और बागेश्वर समेत कई इलाकों में होली के रंगों की छटा देखने को मिल रही है। खासतौर पर मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर होली के सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं। स्थानीय बाजारों में भी इस मौके पर रौनक देखने को मिल रही है, जहां अबीर-गुलाल, पिचकारी और मिठाइयों की खरीदारी जोरों पर रही।

होली का पर्व प्रेम और सद्भाव का प्रतीक

उत्तराखंड में होली केवल रंगों का खेल नहीं, बल्कि मेल-जोल और आपसी सद्भाव का संदेश भी देती है। पर्व के दौरान लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और खुशियों को साझा करते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में होली की परंपराएं और भी खास होती हैं, जहां पूरे गांव के लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं।

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भोजन के बाद सुबह के उत्साह की चर्चा में महिला शक्ति जिनका सहयोग और योगदान हर कार्यक्रम को सफल बना देता है।
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कार्यक्रम के आयोजक श्री ईश्वरी दत कवि जी एवं श्री महावीर सिंह रावत जी ने बताया कि हमारा प्रयास रहता है कि समस्त एमडीडीए एचआईजी सोसायटी परिवार हर त्यौहार साथ मिलकर मनाए, किसी भी परिवार या कॉलोनी को हर सुख दुख में साथ होना चाहिए। हमने अपने तजुर्बे से यही सीखा है और अपने एचआईजी परिवार को हम ऐसे आयोजनों से यही सिखाते हैं। एक छोटा सा प्रयास बहुत बड़ा कार्य कर देता है।