अगर वक्त बुरा चल रहा हो तो इस दिन करें शिव उपासना

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सनातन अथवा हिन्दू धर्म में हर प्रकार की विपदा से छुटकारा पाने के अनेक उपाय बताये गए हैं। लेकिन आर्द्रा नक्षत्र से युक्त चतुर्दशी को भगवन शिव की उपासना से सभी प्रकार के दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों का समूल नाश हो जाता है।
विद्येश्वरसंहिता के अनुसार – आर्द्रा नक्षत्र से युक्त चतुर्दशी तिथि को बाण लिंग की स्थापना करके उसकी पंचोपचार विधि से पूजन करें। जिस किसी को यह अनुष्ठान करना हो उसके 12 अंगुल के नाप के बराबर बनाये गए लिंग को बाण कहा जाता है। संहिता में इसे उत्तम कहा गया है। ध्यान रखें, शिव पूजा में भूलकर भी शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
लिंग स्थापना के बाद सम्मुखासीन होकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए अपना मनोरथ व्यक्त करें। संकल्प के बाद शिवलिंग की धूप,अक्षत,पुष्प और गंध से पूजन करें। तत्पश्चात इस मन्त्र से प्रार्थना करें –
नमो निष्कलरूपाय नमो निष्कलतेजसे। नमः सकल नाथाय नमस्ते सकलात्मने।।
नमः प्रणववाच्याय नमः प्रणवलिङ्गिने। नमः सृष्टियादिकत्रे च नमः पञ्चमुखाय ते।।
पञ्चब्रह्मस्वरूपाय पञ्चकृत्याय ते नमः। आत्मने ब्रह्मणे तुभ्यमनन्तगुणशक्तये।।
सकलाकलरूपाय शम्भवे गुरवे नमः ।।

प्रार्थना के पश्चात रुद्राक्ष की माला से शिव कवच के इस मन्त्र का जाप 108 माला करें।
मन्त्र इस प्रकार है –
नमस्कृत्य महादेवं विश्वव्यापिनमीश्वरम्। वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम्।

हालांकि भगवान शिव का पंचाक्षर मन्त्र सबसे लोकप्रिय हिंदू मंत्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मंत्र है। लेकिन सकाम उपासना और तत्कालिक लाभ के लिए स्कंदपुराण के ब्रह्मोत्तरखंड में वर्णित अमोघ शिव कवच के इस मन्त्रजाप का अनुष्ठान सबसे उत्तम है।

जप समाप्त होने बाद शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ कर लें
वह इस प्रकार है —
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै “न” काराय नमः शिवाय॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै “म” काराय नमः शिवाय॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय॥
सिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवाय॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै “य” काराय नमः शिवाय॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

एक दिन किये जाने वाले इस अनुष्ठान से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। यदि एक दिन में करना संभव न हो तो अगले दिन जप से पूर्व एक माला पंचाक्षर मन्त्र का जप करें तथा जप के पश्चात पुनः एक माला पंचाक्षर मन्त्र का जप कर लें।