नरेंद्र मोदी सरकार की काले धन के खिलाफ शुरू की गयी लड़ाई अब रंग लाने लगी है। पिछले साल के अंत में नोटबंदी लागू होने के बाद फर्जी कंपनियों के माध्यम से अरबों रुपये के लेन देन का काला चिट्ठा अब खुल रहा है। इसे मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।
काले धन के खिलाफ शुरू हुई मुहिम के तहत इसी साल रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ ने 2,09,032 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था, और इनके बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया गया था। इन 2,09,032 कंपनियों में से 5,800 कंपनियों के बैंक खातों में हुई जमा-निकासी का ब्योरा 13 बैंकों ने उपलब्ध करवाया है। कंपनियों के बैंक खातों में नोटबंदी के बाद और फ्रीज़ किए जाने तक की अवधि के दौरान की गई जमा-निकासी का ब्योरा चौंकाने वाला है। बैंकों की इस रिपोर्ट को सरकार की बेहद बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, और कहा जा रहा है कि यह ‘टिप ऑफ द आइसबर्ग’ है, इसके बाद बहुत कुछ, बहुत बड़ा सामने आएगा।
बैंकों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक एक कंपनी के पास तो 2134 बैंक खाते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर 900 और तीसरे नंबर 300 खाते वाली कंपनियां हैं। कुछ कंपनियों के नाम पर100 बैंक खाते हैं।
इन 13 बैंकों ने सरकार को बताया कि 8 नवंबर, 2016 को इन कंपनियों की लोन की रकम को अलग करने के बाद इनके खाते में सिर्फ 22.05 करोड़ रुपये थे, लेकिन 9 नवंबर, 2016 के बाद इन कंपनियों ने अपने अकाउंट में काफी बड़ी रकम जमा कराई है। इन कंपनियों ने अपने अकाउंट में 4,573.87 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इतनी बड़ी रकम जमा कराने के बाद इन कंपनियों ने अपने खातों से 4,552 करोड़ रुपये निकाले भी हैं।
एक बैंक ने बताया कि 429 ऐसी कंपनियां हैं, जिनके खाते में 8 नवंबर, 2016 तक जीरो बैलेंस था। इसके बाद इन खातों में 11 करोड़ रुपये जमा हुए। कुछ दिन बाद इतनी ही रकम निकाली गई। एक बैंक के मामले में ऐसी 3000 कंपनियों का पता कर लिया गया है।