गोरखपुर। 1993 में कांशीराम-मुलायम सिंह की दोस्ती के बाद एक नारा खूब उछाला था कि ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम…!’ नजीता यह हुआ था कि दलित और पिछड़ी जातियों की गोलबंदी से सपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में भी सपा और बसपा की दोस्ती रंग लाती नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है। दोनों ही सीटों पर अब समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पर बढ़त बनाये हुए हैं। सपा के उम्मीदवार की बढ़त के बाद भाजपा पर हार का खतरा मंडराने लगा है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ और भाजपा की पारंपरिक सीट गोरखपुर में चौथे राउंड की गिनती के बाद सपा उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार से 4000 वोटों से आगे है। गोरखपुर में सपा उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद, जबकि भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र दत्ता शुक्ला मैदान में हैं।
अब तक आए रुझानों के मुताबिक फूलपुर में बीजेपी प्रत्याशी कौशलेंद्र पटेल पीछे चल रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि दोनों जगहों पर सपा को बसपा के समर्थन का असर साफ दिखाई दे रहा है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2019 में दोनों पार्टियां मंच साझा करेंगी। क्योंकि अगर इस दोस्ती से योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र में बीजेपी का तिलिस्म टूटता नजर आ रहा है तो दूसरी जगहों पर तो यह और कारगर साबित हो सकता है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा है कि बीएसपी का गठबंधन काम कर रहा है। ऐसा नहीं होता तो परिणाम इतना अच्छा नहीं होता।
गोरखपुर बीजेपी की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है वहीं फूलपुर में कांग्रेस और समाजवादियों का कब्जा रहा है। 2014 की मोदी लहर में पहली बार फूलपुर में बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य ने फूल खिलाया था। लेकिन इस बार सपा को बसपा का समर्थन मिलने के बाद स्थितियां पहले जैसी नहीं रहीं।