देश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए शुरू किया टीकाकरण अभियान 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। लेकिन देश में अब भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगाया है। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने वैक्सीन लगवाने से खुश नहीं हैं। यानी देश में बहुत से लोगों ने भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘COVAXIN’ लगवाई है। लेकिन इस वैक्सीन को WHO ने अभी तक मान्यता नहीं दी है। जिससे लोग खुश नहीं है और अब कोविशील्ड लगवाने की मांग कर रहे हैं। दरअसल ये वो लोग हैं जो विदेशी यात्रा करना चाहते हैं। लेकिन WHO की ओर से मान्यता ना मिलने की वजह से COVAXIN का टीका लगवाने वाले लोग विदेशी यात्रा नहीं कर सकते।
इस बात से नाखुश लोगों ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की है। जिसमें कोर्ट से कोवैक्सीन (COVAXIN) लगवा चुके लोगों को कोविशील्ड (COVISHIELD) का टीका लगाने की इजाज़त मांगी है। लोगों की इस याचिका पर सुनवाई कर रहे जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने गुस्सा जताया। उन्होंने कहा कि हम इस तरह से लोगों के जीवन से नहीं खेल सकते हैं। डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि “खबरों से पता चला है कि भारत बायोटेक ने WHO में अपना प्रतिनिधित्व किया है. इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा लेकिन तब तक WHO के फैसले का इंतज़ार कीजिए। ऐसी याचिकाओं पर दखल देना जोखिम भरा है। इससे अच्छा है कि हालात को देखा जाए कि क्या हो रहा है? दीवाली के बाद मामले की सुनवाई होगी।”
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में लिखा गया कि “हर रोज ऐसे छात्र और लोग होते हैं जो विदेश यात्रा करना चाहते हैं लेकिन उन्हें प्रवेश से वंचित किया जा रहा है क्योंकि WHO ने अभी तक COVAXIN को मान्यता नहीं दी है। COVAXIN के साथ पूरी तरह से टीकाकरण होने के बाद किसी व्यक्ति को Cowin पर पंजीकरण करके कोविशील्ड के साथ टीकाकरण करने की अनुमति नहीं है।” इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि “आप WHO के डेटा के हकदार कैसे हैं? हम इस तरह लोगों की जिंदगी से नहीं खेल सकते। यह क्या है? इस तरह की चीजें अक्सर प्रतियोगियों द्वारा भी की जाती हैं। समाचार पत्र हमें बता रहे हैं कि भारत बायोटेक ने WHO को एक अभ्यावेदन दिया है और इसमें निर्णय लिया जाएगा। WHO के प्राधिकरण की प्रतीक्षा करें।”