अवसर था ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100 वीं जयंती का और इस विशेष दिन पर ग्वालियर में विजयाराजे सिंधिया की छत्री स्थल (समाधि स्थल) पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया था। बता दें कि इस श्रद्धांजलि समारोह में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी नेता यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
ग़ौरतलब है कि इस अवसर पर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का उनकी बुआ और बीजेपी नेता यशोधरा राजे द्वारा गले लगाकर अभिवादन करना सियासी माहौल के ठहरे पानी में पत्थर फेंकने जैसा हो गया है। जिस आत्मीयता से ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी बुआ यशोधरा राजे और वसुंधरा राजे सिंधिया मिले और बहुत देर तक बातें कि ऐसा दृश्य बहुत लंबे समय के बाद देखने को मिला है.
जब सिंधिया राजघराने के सभी सदस्य एकसाथ-एकजुट नज़र आए। और उन्होंने पारंपरिक तरह से एक दूसरे का स्नेह जताते हुए अभिवादन किया। बता दें कि जिस तरह से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य ने स्वागत किया था। उसके बाद अब अपनी दोनों बुआ यशोधरा राजे वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ राजमाता विजयराजे सिंधिया की 100 वीं जयंती पर इतनी गर्मजोशी से मिलने और बातचीत करने के अंदाज़ ने राजनीति की दीवारों के कान खड़े कर दिए हैं। और अब इस मेल-मुलाक़ात पर सब अपने-अपने क़यास लगा रहे हैं।
इसकी वजह यह भी है कि पिछले साल विजयाराजे सिंधिया की 99 वीं जयंती पर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी नेता यशोधरा राजे सिंधिया एक साथ ना आकर अलग-अलग समय पर विजयाराजे सिंधिया की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे। जबकि ग्वालियर चंबल क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषक और सिंधिया परिवार को क़रीब से जानने वाले राकेश अचल का कहना है कि यह विजयाराजे सिंधिया की 100 वीं जयंती थी। और इस मौक़े पर सभी का मिलना और फिर बुआ से आत्मीयता जताना उनकी परम्पराओं का हिस्सा है। इसलिए इस मुलाक़ात के राजनीतिक मायने नहीं निकाले जा सकते। सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन, बुआ और भतीजे के इस स्नेहपूर्ण अभिवादन ने राजनीतिक गलियारों में खुसर-पुसर ज़रूर शुरू कर दी है।