सोशल मीडिया के बहुचर्चित स्तंभ व्हाट्सएप ने एक चौंकाने वाला ख़ुलासा करते हुए बताया है कि, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इस्राएली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकार और मानवाधिकार एक्टिविस्ट पर नज़र रखी गई थी। यह ख़ुलासा एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सैन फ्रांसिस्को की एक अमेरिकी संघीय अदालत में हुआ। इस दौरान व्हाट्सएप ने आरोप लगाया कि इज़रायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करते हुए क़रीब 1,400 व्हाट्सएप यूज़र्स पर नज़र रखी हुई थी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अमेरिका बेस्ड डायरेक्टर (कम्युनिकेशंस) कार्ल वूग ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को जानकारी दी है कि, “भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सर्विलांस पर रखा गया था। लेकिन मैं उनकी पहचान व संख्या की जानकारी का ख़ुलासा नहीं कर सकता। मैं यह कह सकता हूं कि यह संख्या बहुत कम नहीं थी।”
जबकि एनएसओ ग्रुप ने आरोपों को ख़ारिज किया है। उनका कहना है कि हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं की गई है। एनएसओ का दावा है कि पेगासस सिर्फ़ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया। कंपनी का कहना है कि हम अपने प्रोडक्ट का लाइसेंस सिर्फ़ सरकारी एजेंसियों को ही देते हैं। वहीं दूसरी ओर व्हाट्सएप का आरोप है कि इस घटना में कम से कम 100 लोगों को निशाना बनाया गया था। जो दुर्व्यवहार का अचूक तरीका है। अगर और पीड़ित सामने आते हैं, तो यह संख्या बढ़ भी सकती है।