बिहार में अब भाजपा- जदयू गठबंधन में भाजपा चाहती है बदलाव, आया बड़ा बयान

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Nitish Kumar- Amit Shah

इन दिनों चुनावी माहौल हर ओर अपना असर दिखा रहा है जहाँ महाराष्ट्र में चुनाव के नतीजे आ गए हैं वहीं बिहार में अभी उपचुनाव का माहौल गरम रहा है। ख़बरें हैं कि बिहार में बीजेपी-जदयू गठबंधन में अब बीजेपी चाहती है बराबरी का तालमेल, बराबरी के समझौते को नज़रअंदाज़ करना इस बार नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी तक 4 विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ चुके हैं और हर बार जदयू अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी है। अब बदली हुई परिस्थिति में जब बीजेपी ने भी अपने संगठन का विस्तार किया है और केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है तो ऐसे में बीजेपी का मानना है कि विधानसभा चुनाव में बराबरी की सीटों के समझौते को नज़रअंदाज़ करना इस बार नीतीश कुमार के लिए शायद आसान नहीं होगा।

यहाँ बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ दिन पहले यह बयान दिया था कि जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन अटल है। और बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बिहार में बीजेपी के अध्यक्ष संजय जयसवाल का कहना है कि सीटों के तालमेल पर क्या फार्मूला होगा, उस पर बीजेपी का कहना है कि अब उन्हें नीतीश कुमार से उम्मीद है कि वह अपनी तरफ से इस पर कोई घोषणा करेंगे जैसे बीजेपी ने उन्हें नेता मानकर अपना बड़ा दिल दिखाया है नीतीश कुमार सीटों के समझौते पर अपना बड़ा दिल दिखाएंगे।

माना जा रहा है कि संजय जायसवाल ने यह बयान अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का मूड भांपकर ही दिया है। क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बयान के 2 दिन पहले ही संजय जायसवाल ने भागलपुर में एक बड़ा बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि एनडीए अटूट है। और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जो भी बयान देते हैं वह उनकी निजी राय होती है। जहां तक पार्टी के स्टैंड का सवाल है तो जो भी पार्टी के अधिकृत प्रवक्ता बोलें उसे ही पार्टी की राय माना जाना चाहिए। इस बयान को इस बात का संकेत माना गया था कि पार्टी ने गिरिराज सिंह के नीतीश कुमार को निशाना बनाए जाने वाले बयानों से किनारा कर लिया है। लेकिन बीजेपी नेता संजय जयसवाल के इस बयान का सीधा मतलब यही लगाया जा रहा है कि पार्टी चाहती है कि जैसे लोकसभा में उसने बराबरी की सीटों का फ़ैसला किया।

वैसे ही नीतीश कुमार अब विधानसभा चुनावों में भी बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़ने के सिद्धांत पर अपनी सहमति की मोहर लगाएं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि भाजपा ने गठबंधन धर्म के लिए जब नीतीश कुमार के मात्र दो सांसद जीते थे तब अपने कई निवर्तमान सांसदों को टिकट से बेदख़ल करके 17-17 की बराबरी के फार्मूले को अपनाया था। तो नीतीश कुमार ने भी पिछले विधानसभा में राजद के 22 विधायकों के बावजूद बराबर के सिद्धांत को अपनाते चुनाव लड़े थे। इस तरह से जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने एक दूसरे के लिए बराबरी का फार्मूला अपनाया है। जिसकी इस बार के विधानसभा चुनावों में भी उम्मीद लगाई जा रही है।