अफ़्रीका की इन दो मुस्लिम महिलाओं को मिला शांति के नोबल का नामांकन, किया है ऐसा काम…

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Iiwad Elman, Hajer Sharief

इस साल अफ्रीका की दो युवा मुस्लिम महिलाओं को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।बता दें कि सोमालिया की 29 वर्षीय इलवाड एल्मन अपने मानवीय और शांति कार्यों के लिए पहचान बना चुकी हैं। मूल रूप से मोगादिशु सोमालिया की एल्मन के पिता भी शांति कार्यों से जुड़े थे। और 1990 के युद्ध और 2000 दशक की शुरूआत के बाद युवा पुनर्वास और शांति कार्यों में ज़ोर-शोर से जुटे रहने की वजह से एल्मन के पिता की हत्या कर दी गई थी।

एल्मन को सोमालिया छोड़कर कनाडा में रहना पड़ा। लेकिन साल 2010 में 19 साल की उम्र में एल्मन सोमालिया वापस लौटीं और मानवीय और महिला दोनों ही क्षेत्रों में अपने पिता के कामों को आगे बढ़ाने लगी।
महिलाओं को सशक्त बनाने शांति स्थापित करने और मानवता की रक्षा के लिए अपने अथक प्रयासों के ज़रिए वह शांतिदूत की तरह सोमालिया में कार्य करती रहीं। सोमालिया का पहला बलात्कार संकट केंद्र एल्मन के महिलाओं की सुरक्षा और उनके शोषण से बचाव के लिए किए गए कार्यों को दर्शाता है।

इसी तरह शांति के नोबेल के लिए नामांकित हेज़र शैरोज़ जिन्होंने 2011 में लीबिया के गृह युद्ध के भयानक मंज़र को देखा था, वह सिर्फ़ 19 साल की उम्र से ही शांति की कोशिशों और मानवीय कार्यों से सक्रिय रुप से जुड़ गईं। उन्होंने एक संगठन की स्थापना की और देश की महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के कार्यों में सक्रियता से जुट गयीं। 2013 में शैरोज़ ने 1325 नेटवर्क परियोजना कि सह-शुरुआत की, जो लीबिया के 30 शहरों के मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं का एक विशाल संग्रह है। शैरोज़ लीबिया और पूरे उत्तरी अफ्रीका के लिए शांति महिला और युवा सशक्तिकरण के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।