नयी दिल्ली : बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों ने लघु अवधि की ऋण दर रेपो में कटौती का स्वागत करते हुए कहा है कि यह एक सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ता मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0।25 प्रतिशत की कटौती की है।
यह लगातार तीसरा मौका है जबकि केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरें घटाई हैं। अब रेपो दर 5।75 प्रतिशत पर आ गई है। आईसीआईसीआई बैंक के समूह प्रमुख (वैश्विक बाजार-बिक्री, व्यापार एवं शोध) बी प्रसन्ना ने कहा, ‘‘यह नीतिगत रुख काफी सकारात्मक है। यह फैसला सर्वसम्मति से हुआ है। रुख को बदलकर नरम किया गया है। मौद्रिक समीक्षा वृद्धि और निजी निवेश को प्रोत्साहन देने वाली है।’ मुथूट फिनकॉर्प के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) वासु रामास्वामी ने कहा कि नीतिगत दर में ताजा कटौती से उपभोक्ता मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशेषरूप से आम आदमी को इससे फायदा होगा।
पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक खुशरू जिजिना ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का सर्वसम्मति से रेपो दर में 0।25 प्रतिशत कटौती का फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है। श्रीराम ट्रांसपोर्ट एंड फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी उमेश रेवान्कर ने कहा कि ऊंची ब्याज दरों की वजह से वाहन बिक्री, रीयल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ता मांग निचले स्तर पर थी। रिजर्व बैंक को बैंकों के जरिये खुदरा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को वित्तपोषण बढ़ाना चाहिए।
इससे उपभोक्ता खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।’ लक्ष्मी विलास बैंक के ट्रेजरी प्रमुख आर के गुरुमूर्ति ने कहा कि आगामी दिनों में हमें और उपाय देखने को मिल सकते हैं। इससे दरों में कटौती का लाभ तेजी से स्थानांतरित होगा। तीन बार में नीतिगत दर में 0।75 प्रतिशत की कटौती की गई है। आगामी महीनों में इसका लाभ ग्राहकों को मिल सकता है।
सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका अंशुमान मैगजीन ने कहा कि रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती स्वागतयोग्य है। मुद्रास्फीति के नीचे आने और वृद्धि को लेकर चिंता की वजह से इसकी उम्मीद थी।’ महिंद्रा ग्रुप के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) वी एस पार्थसारथी ने कहा कि दर कटौती और आगे का रुख अच्छा है। दर कटौती का लाभ स्थानांतरित होने से देश को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।